ICU में कोविड-19 के रोगियों को पेट के बल लिटाकर जिंदगियां ऐसे बचा रहे हैं डॉक्टर

0
1032

मरीजों को ठीक करने के लिए भारत समेत दुनियाभर के डॉक्टर नये-नये तरीके ढूंढ रहे हैं। बीते सप्ताह अमेरिका में कोविड-19 मरीज के इलाज में एक तरीका अपनाने से चमत्कार हुआ।

दुनिया के लगभग हर हिस्से तक कोरोना वायरस का संक्रमण पहुंच चुका है। बस अब कुछ ही देश ऐसे हैं, जहां पर इस वायरस ने अभी तक दस्तक नहीं दी है। दुनिया के लिए चिंता का विषय यह है कि  कोविड-19 का अब तक कोई इलाज मौजूद नहीं है। मरीजों को ठीक करने के लिए भारत समेत दुनियाभर के डॉक्टर नये-नये तरीके ढूंढ रहे हैं। बीते सप्ताह अमेरिका में कोविड-19 मरीज के इलाज में एक तरीका अपनाने से चमत्कार हुआ। 
बीते सप्ताह अमेरिका में डॉक्टर मंगला नरसिम्हन को एक इमरजेंसी कॉल आया। Long Island Jewish अस्पताल के आईसीयू में भर्ती एक 40 वर्षीय कोविड-19 मरीज की हालत बहुत खराब थी। डॉ. मंगला के साथी चाहते थे कि वो जल्दी से आईसीयू में पहुंचे जिससे उस मरीज का सटीक इलाज हो सके। मंगला सीनियर डॉक्टर हैं और उन्होंने अपने साथियों से कहा कि जब तक मैं अस्पताल  आती हूं मरीज को पेट के बल लिटा दो। डॉक्टर ने कहा- ऐसा करके देखो, क्या मरीज को कोई आराम मिला? दिलचस्प बात ये है कि डॉ. मंगला को अस्पताल जाने की जरूरत नहीं पड़ी। उनकी तरकह नई काम कर गई और मरीज को बहुत आराम मिला। चमत्कार हो गया।
आप भी जानते हैं कि कोविड-19 मरीजों की मौत अक्सर acute respiratory distress syndrome के कारण हो रही है। यही सिंड्रोम उन रोगियों की मौत का कारण भी बनता है जिनमें इन्फ्लुएंजा, निमोनिया ज्यादा गंभीर हो जाता है।  सात साल पहले फ्रांसीसी डॉक्टरों ने New England Journal of Medicine में लिखा था कि ARDS की वजह से जिन मरीजों को वेंटिलेटर लगाना पड़ा हो उन्हें पेट के बल लिटाना चाहिए। इससे उनकी मौत का जोखिम घट जाता है। 
वहीं मेसाचुसेट्स जेनरल हॉस्पिटल में आईसीयू यूनिट की डायरेक्टर कैथरीन हिबर्ट कहती हैं-जब एक बार इस तरकीब को काम करता हुआ देखते हैं तब आपकी इच्छा होती है कि हर गंभीर मरीज पर इसे ट्राई करके देखा जाए। फिर आप गदगद हो जाते हैं कि ये तरकीब तो तुरंत काम कर रही, लोगों की जिंदगियां बच रही हैं।’
इसके बाद अमेरिका में डॉक्टर अब वेंटिलेटर लगे हुए ARDS के मरीजों को पेट के बल लिटाकर जीवित बचा रहे हैं। अब डॉक्टरों ने इस तरीके की रफ्तार बढ़ा दी है जिससे कोविड-19 के मरीजों को ज्यादा से ज्यादा संख्या में बचाया जा सके।  डॉक्टरों का कहना है कि इससे अनगिनत मरीजों को फायदा हो रहा है। 
 
वेंटिलेटर के मरीज एक दिन में 16 घंटे तक पेट के बल लेटे रह सकते हैं। बाकी के समय उन्हें चित्त सुलाया जाता है।  क्रिटिकल केयर एक्पर्ट्स का कहना है कि पेट के बल सोने पर ऑक्सीजन अच्छे तरीके से फेफड़ों में पहुंचती है जबकि जब हम चित्त सोते हैं तो शरीर के भार की वजह से फेफड़ों का कुछ हिस्सा दब जाता है। मरीजों को पेट के बल लिटाकर हम उनके फेफड़ों के वो हिस्से खोल रहे हैं जो पहले कभी खुले नहीं थे। 
 
गंभीर मरीजों को पेट के बल लिटाने का एक कमजोर पक्ष भी है। दरअसल पेट के बल लिटाने के लिए मरीजों को नींद की दवा भी देनी होती है क्योंकि वेंटिलेटर लगे मरीजों के लिए बिना किसी नींद की दवा के 16 घंटे लेटे रहना आसान नहीं।  नींद की दवा देने का एक और निगेटिव पक्ष है ये कि मरीजों को ज्यादा समय आईसीयू में गुजारना पड़ सकता है। 
 
पर एक अच्छी नई बात यह है कि कई अस्पतालों में डॉक्टर उन मरीजों को भी पेट के बल लिटा रहे जो आईसीयू में नहीं हैं। नर्सों की टीम ऐसे मरीजों के पास जाकर उन्हें पेट के बल लेटने की सलाह देती है। मरीजों से कहा जा रहा कि अगर आप एक बार में 16 घंटे नहीं लेट सकते तो इसे चार-चार घंटों में बांटा जा सकता है। साथ ही जो मरीज आईसीयू में नहीं है उसे 16 घंटे लेटने की जरूरत नहीं। वो 8 घंटे भी लेट सकता है। यह सच है कि कोविड-19 का अब तक कोई इलाज मौजूद नहीं है, लेकिन मरीजों को ठीक करने के लिए दुनियाभर के डॉक्टर अलग-अलग तरीके ढूंढ रहे हैं। बीते सप्ताह अमेरिका में एक गंभीर कोविड-19 मरीज के इलाज में कुछ ऐसा ही देखने को मिला है। 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here