राजकुमार शुक्ल आजाद भारत में क्यों अंजान रह गए, क्योंकि शुक्ल गांव-गंवई के एक मामूली किसान थे

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राजकुमार शुक्ल आजाद भारत में क्यों अंजान रह गए, क्योंकि शुक्ल गांव-गंवई के एक मामूली किसान थे
 
लेखक: (स्व.) राय प्रभाकर प्रसाद, पुस्तक: राजकुमार शुक्ल, प्रकाशक: National Book Trust, New Delhi, मूल्य: मात्र 65 रुपये
(स्व.) राय प्रभाकर प्रसाद,

”यदि राजकुमार शुक्ल न होते, तो गांधी चंपारण नहीं आ पाते, गांधी शायद महात्मा गांधी नहीं कहला पाते, स्वतंत्रता-संग्राम को गांधी का नेतृत्व नहीं मिल पाता और गांधी देशवासियों के पिता नहीं कहला पाते। ऐसे थे राजकुमार शुक्ल। 

 
स्वयं शोषण और विलासिता में आकंठ डूबे चंपारण के अधिकतर बड़े-बड़े किसान तब कहाँ थे जब शुक्ल खेतों और कचहरियों मेंं किसानों की अस्मिता की रक्षा में खून-पसीना एक कर रहे थे, जब गांधी चंपारण के हजारों-हजार किसान-मजदूरों के दुखड़े सुन रहे थे, जब वे तथा शुक्ल गांव-गांव और नगर-नगर घूम रहे थे। लेकिन जब उषा की लालिमा दिखलाई पड़ने लगी, तब होड़ लग गई कि कौन कितना आगे बढकर कितनी ऊंची आवाज में बोलता है कि मैं ही सबसे बड़ा बांका लडाका हूँ। जो बड़बोले आगे बढकर आगे आए, वे सुजान बन गए और जो संकोचवश पीछे रह गए, वे अंजान रह गए।
 
शुक्ल क्यों अंजान रह गए? क्योंकि शुक्ल गांव-गंवई के एक मामूली किसान थे। उनके पास वैभव नहीं था। उन्हें उच्च शिक्षा प्राप्त नहीं थी। वे अंग्रेजी नहीं जानते थे। वे उन सामंतों और जमींदारों में से नहीं थे जो पेड लगाने समय न जाने क्या-क्या कर रहे थे। लेकिन जब मंजरियां दिखने लगीं, तो उनके मुंह से पानी टपकने लगा और वे उद्यान के स्वामी बन फलों का स्वाद लेने के लिए पेडों को ही काटने लग गए।
 
शुक्ल इसलिए भी अंजान रह गए क्योंकि ब्राह्मण होते हुए भी वह ब्राह्मणवाद के शिकार हो गए। तब भी, और आज भी, न केवल चंपारण बल्कि संपूर्ण बिहार में संख्या, वैभव एवं प्रभुत्तासंपन्न ब्राह्मणों की भौगोलिक उपजातियों का बहुसंख्यक समुदाय अपनी तथाकथित श्रेष्ठता प्रमाणित करने के लिए ब्राह्मणों की अनेक उपजातियों को ब्राह्मण के रुप में मानने से इनकार करता रहा है और वर्ण-व्यवस्था तथा ब्राह्मणवाद पर कोई अलबेला चोट करता है।”
(उपरोक्त अंश “राजकुमार शुक्ल” पुस्तक के पेज नंबर-15 से)
नोट: इस पुस्तक के प्रकाशक का ईमेल पता: office.nbt@nic.in
 
NATIONAL BOOK TRUST, INDIA
Nehru Bhawan, 5 Institutional Area,
Phase-II Vasant Kunj, New Delhi -110070
Phone No: +91-11-26707700
Email: office.nbt@nic.in

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