बड़ी-बड़ी कम्पनियां खेती करती हैं अमेरिका में

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अमेरिका यात्रा संस्मरण-5

अमेरिका में वस्तुतः खेती का काम बड़ी-बड़ी कम्पनियां करती हैं। ये कम्पनियां किसानों से उनका खेत किराये पर लेती हैं। खेत न्यूनतम करीब आधा मील तक चौड़ा और जहां तक नजर जाए, न्यूनतम करीब एक-दो मील तक लम्बा होता है। खेतों के बीच कहीं मेंड़ नहीं नज़र आते हैं।

रामसुंदर द्सौंधी/शैंपेन शहर, इलोनाइस राज्य, USA

अमेरिका में बड़े पैमाने पर खेती का काम होता है। मक्का, सोयाबीन और गेहूं यहां के प्रमुख फसल हैं। इसके अतिरिक्त अल्फाल्फा (एक प्रकार का पशु आहार), कपास, गन्ना, टमाटर और आलू भी उपजाया जाता है। फलों में अंगूर, संतरा और सेव के बगान भी हैं। परंतु इलोनाइस राज्य के शैंपेन और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक पैमाने पर मक्का और सोयाबीन की खेती की जाती है।
वस्तुतः यहां खेती का काम बड़ी-बड़ी कम्पनियां करती हैं।
ये कम्पनियां किसानों से उनका खेत किराये पर लेती है। अप्रैल महीने में जब मौसम का तापमान करीब 13 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है, तब बड़े-बड़े ट्रैक्टरों एवं अन्य उपकरणों की मदद से उन खेतों में मक्का/सोयाबीन की बुआई की जाती है। 13से 20 डिग्री सेल्सियस के तापमान में पौधे अच्छी तरह उगते हैं। खेत न्यूनतम करीब आधा मील तक चौड़ा और जहां तक नजर जाए, न्यूनतम करीब एक-दो मील तक लम्बा होता है। खेतों के बीच कहीं मेंड़ नहीं नज़र आते हैं।
पौधे से पौधे तथा एक कतार से दूसरी कतार की दूरी अपेक्षाकृत बहुत ही कम होती है जिसके कारण खेतों के भीतर घुसना मुश्किल होता है। मिट्टी बहुत उपजाऊ होने के कारण फसलों का ग्रोथ बहुत अच्छा होता है। बीज भी विधिवत processed रहते हैं, फलस्वरूप Germination शत प्रतिशत रहता है। चूंकि यहां कोई भी जानवर खुले में नहीं घूमते हैं, अतः ऐसे जानवरों से फसलों के नुकसान की कोई संभावना नहीं रहती है। गर्मी में भी बीच-बीच में वर्षा हो जाया करती है, अतः सिंचाई की भी जरूरत नहीं होती है।
सितम्बर तक फसल तैयार हो जाती है तब बड़े-बड़े Crop Pickers के माध्यम से कटाई की जाती है। तैयार फसल को विधिवत शोधित कर खेतों में ही बने बड़े-बड़े Silos (स्टील की बड़ी-बड़ी बेढ़ियां) में भंडारण किया जाता है।Silos की तस्वीर भी इसके साथ पोस्ट किया जाता है। कुछेक जगह खेत के ही एक किनारे पर किसान अपना घर बनाकर रहते भी हैं। ऐसे एक किसान के घर की तस्वीर भी इसके साथ पोस्ट किया जा रहा है। कुछेक जगह बीज गुणन के दृष्टिकोण से तापमान नियंत्रण के लिए उपयुक्त संरचना का भी निर्माण किया जाता है। ऐसे संरचना की तस्वीर भी पोस्ट किया जा रहा है। मक्का के कुल उत्पादन का 13% निर्यात किया जाता है तथा 27% का उपयोग इथानौल बनाने में किया जाता है।
फलों के भी अलग-अलग फार्म हुआ करते हैं। 2016 में पिछली यात्रा के दरम्यान सेव के फार्म में जाने का अवसर मिला था।संभवतः अगस्त का महीना था। कुछ शुल्क जमा लेकर हर व्यक्ति को एक-एक थैला दिया गया था।इस थैले में जितना संभव हो उतना सेव तोड़ लेने की अनुमति प्रदान की गई थी। फार्म के अन्दर सेव के पौधों में लटके हुए लाल-लाल सेव के तैयार फल मनोहारी दृश्य के साथ-साथ लालच भी उत्पन्न कर रहे थे। कतारबद्ध करीब दस-दस फुट की दूरी पर सेव के पौधे और एक कतार से दूसरे कतार की दूरी भी 10फुट। इस प्रकार अमेरिका में वैग्यानिक विधि से उन्नत खेती की जाती है जिससे औसतन कम लागत पर भरपूर उत्पादन होता है।सबकुछ विधिवत व्यवस्थित ढ़ंग से।
इसके अतिरिक्त कुछ जगहों पर खेतों में पवन चक्की (wind mill) स्थापित की गई है। ऐसी जगहों पर हवा की गति ऐसी रहती है जिससे पवनचक्की का परिचालन वायु के वेग से संभव हो पाता है। ऐसी पवन चक्की से बिजली का उत्पादन होता है। इसके लिए किसानों को प्रति पवनचक्की के लिए 8,000 डालर(करीब 5,40,000 रुपये का भुगतान किराए के रूप में होता है। इससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
Comments on facebook:
Deorath Kumar: खेती में भी आगे है अमरीका, बहुत ज्ञानवर्धक पोस्ट
 
Prabhat Kumar: बेहतरीन पोस्ट, आपके द्वारा अमेरिका की दी गई एक एक जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है, पढ़कर ज्ञानबर्धन हुवा। हमे आपके अगले पोस्ट का इंतजार रहेगा।
 
Ram Sundar Dasaundhi: 40 डालर( करीब2800रुपये) प्रति एकड़ से लेकर 300 डालर(करीब 2100रुपये)प्रति एकड़ प्रति वर्ष की दर से कंपनी किसानों को भुगतान करती है। एक किसान के पास बहुत जमीन होती है….400 से 500 एकड़। मौसम के कारण फसल तो एक ही होता है।
 
पं. दीपक शर्मा: अत्यंत ही ज्ञानवर्धक पोस्ट ! ऐसा प्रतीत हो रहा है मानों हम स्वयं अमेरिका में घूम रहे हों !
 
Ajay Rai: आपके पोस्ट के माध्यम से यह महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हुई जिसमें एक बात तो स्पष्ट है कि अमेरिकी लोग जो हैं अनुशासित है उनके पास सोच है कैसे क्या चलना है उन सब को देखते हुए ही वह आगे बढ़ते हैं तभी वह सफल है आपको कोटि-कोटि धन्यवाद जो आपने वहां के आबोहवा के साथ-साथ वहां का रहन सहन वहां का कल्चर उन सबों से आपने अवगत कराया है ।
 
Abhishek Kumar: अमेरिका को बहुत करीब से जानने का मौका मिला।
 
Mahendra Pratap Bhatt: आपकी दी जानकारी और रोचक प्रस्तुतिकरण ने मन मोह लिया। अब हमें ही उठना होगा, इस तरह की जीवनशैली देना नेताओं के बस की बात नहीं।
 
Dharmendra Sharma: कुछ ऐसा ही पढ़ते वक्त मेरे जेहन में भी कौंधा …
इतने प्राइवेट सेक्टर के लोग हैं हमारे यहां, क्या किसी के भी दिमाग में ये बात नहीं आयी कि इस दिशा में एक क्रांतिकारी कदम उठाया जा सकता है … लोगों ने कहां-कहां भ्रमण नहीं किया है फिर भी … आश्चर्य है !!
 
Angika Sharma: मैं यहाँ रहती ज़रूर हूँ। पर चीज़ों को कभी इतनी गहराई से नहीं देखा। ख़ूबसूरत प्रस्तुतीकरण 👌🏻
Sangita Roy: आपने बहुत सुन्दर ढ़ग से कृषि कार्य का वर्णन किया।विकसित देशों की यही खासियत है कि हर क्षेत्र में सुव्यवस्था होती है।
 
Amar Nath Sharma: अमेरिका में आधुनिक कृषि के बारे में जान कर बहुत अच्छा लगा।अमेरिका की तरह हमारे देश में भी कृषि किया जाए तो अपना देश भी समृद्ध और खुशहाल हो सकता है।
 
Dharmendra Sharma: बेहतरीन प्रस्तुति … आपके पोस्ट का इंतजार रहता है … साधुवाद!
Geeta Bhatt: ये तो इंडिया के जैसा खेती है। पहली बार जाना ।खुशी हो रही है ।।
बहुत अच्छी जानकारी दी है आपने हर पोस्ट मे

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