नेताजी कहे जाने वाले ‘बाबाजी’ का मेमोरियल जल्द खुलेगा

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subhasसुभाष चंद्र बोस समझे जाने वाले फैजाबाद के गुमनामी बाबा से जुड़ी चीजें आखिरकार फैजाबाद आएंगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने दो साल पहले फैजाबाद में गुमनामी बाबा का मेमोरियल बनाने का आदेश दिया था। गुमनामी बाबा की मौत 1985 में हुई थी और ऐसे लोगों की तादाद काफी है, जो उन्हें नेताजी सुभाष चंद्र बोस समझते हैं। यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने बाबा के मेमोरियल ‘राम कथा संग्रहालय’ में बाबा से जुड़े लेखों को सहेजने की सहमति दी है। बाबाजी की मौत के बाद फैजाबाद के सुभाष चंद्र बोस विचार मंच और नेताजी की भतीजी लतिका बोस द्वारा दायर दो याचिकाओं की जनवरी, 2013 की सुनवाई में उनसे जुड़ी चीजों को सहेजने की अपील की गई थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने इस पर मंजूरी देते हुए तीन महीने के अंदर मेमोरियल बनाने का आदेश दिया था। मई, 2013 में चीफ सेक्रटरी जावेद उस्मानी के निर्देशों के मुताबिक राम कथा संग्रहालय को संस्कृति विभाग को सौंप दिया गया।जो लोग भी बाबाजी से मिले थे, वह पूरे यकीन के साथ उन्हें सुभाष चंद्र बोस ही मानते हैं। फैजाबाद के पत्रकार अशोक टंडन बताते हैं कि उनके पास नेताजी के बचाव के रास्ते का एक पन्ना है, जिसे उन्होंने 1986 में नेताजी की भतीजी लतिका बोस को दिखाया था। फैजाबाद में बाबाजी से जुड़ी चीजों को देखकर लतिका की आंखों में आंसू आ गए थे और उन्होंने दावा किया था कि कुछ चीजों का वास्ता नेताजी से है।

नेताजी के ‘गायब होने’ पर किताब लिखने वाले बताते हैं कि विमान हादसे में नेताजी की मौत की खबर के बाद उनके बारे में जो भी कहानियां फैलाई गईं, ‘बाबाजी’ वाली कहानी उनमें से सबसे सटीक है, जिस पर यकीन किया जा सकता है।