मंथन में स्वजनों की सशरीर उपस्थिति ही इस आंदोलन की सफलता का पैमाना नहीं: अनामिका

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बोले जोगी (काशी मंथन विशेष)

अनामिका राजे/एडमिन/बीबीडबल्यु/कोलकाता

मंथन कोई सरकारी या गैर सरकारी कार्यक्रम नहीं अत: इसकी सफलता, आलोचना और टिप्पणी के मापदंड भी अनोखे और विशेष होना उचित है। वैश्विक स्तर पर यत्र तत्र फैले या कहें बिखरे हुए ब्रह्म भट्ट समाज को एक सूत्र में पिरोने की संकल्पना कोई आज की नहीं है और कितने ही प्रांतीय स्तर के प्रयास होते रहे हैं और रहेंगे पर ऐसे सभी प्रयासों की पृष्ठभूमि में कुछ न कुछ कमी रह जाने के कारण समग्रता से ऐसा प्रयोग मंथन से पहले न हो सका..अब प्रश्न यह उठता है कि ऐसा क्या हो गया इसमें जो हम करीब से जुड़े लोगों को बीबीडबल्यु के संस्थापक के वैचारिक दृष्टिकोण से उपजा मंथन “भूतो न भविष्यति” ऐसा आंदोलन नजर आता है!सामाजिकता की प्रयोगशाला में एक सार्थक और विलक्षण प्रयोग है मंथन जो कि अपने मूल उद्देश्यों में हर बार की तरह इस बार भी पूरी तरह सफल रहा।

Anamika Raje, Kolkata: She is Batchelor’s in Agriculture & Technology
Post graduation in Yogic Sciences with Gold medal from Governor.  She is Ex Officer of SBI
Director of Powering Yoga (A complete Yogic service providing platform)
Energy healing enthusiast and Reiki grandmaster,
Admin of BBW, A mother of two extraordinary kids and a dedicated housewife.

आधी आबादी: दरअसल सबसे पहले तो इस आंदोलन से समाज की आधी आबादी और सृजनात्मक प्रकृति यानी गृहणियों को जोड़ने का निश्चय किया गया फिर समाज की रचनात्मक ऊर्जा युवा शक्ति का आह्वान हुआ, पुनः भविष्य शिल्पी बच्चों को भी सामाजिक सांस्कृतिक और साहित्यिक सरोकार से जोड़ने का भागीरथ प्रयत्न हुआ जो कि किसी भी सामाजिक कार्यक्रम में अभूतपूर्व है।


उपस्थिति और संख्याबल: और फ़िर मंथन में स्वजनों की सशरीर उपस्थिति ही इस आंदोलन की सफलता का पैमाना नहीं बल्कि हर वह दिव्य स्वजन स्वजन मंथन की सफलता का पर्याय है जिसका मन मंथन के आह्वान और मंचन से आह्लादित और आंदोलित हुआ है! कितने ही लोग अपने घर से लाइव देखते नजर आए तो कुछेक रिकार्डिंग ही देख पाए, तो कुछ को वह भी संभव नहीं हुआ तो मंथन को शुभकामनाएं और आशीर्वाद ही देकर मंथन सारथियों को कृतार्थ किया! 
क्या और क्यों थे कार्यक्रम:- 

एक निश्चित समय सीमा में हर आयु , क्षेत्र, लिंग वर्ग आदि का प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों का चयन करने का असंभव काम और फिर ऐसे विषयों पर चर्चा रखना जो सर्वाधिक महत्वपूर्ण और सार्थक हों यह तो कार्यक्रमों की वृहत्तर रूपरेखा थी पर मंथन के कार्यक्रम तब सफल होते हैं जब वो समाज के हर मन मस्तिष्क को झिंझोड़ कर एक वैचारिक क्रांति को जन्म देते हैं!

क‌इयों को सुनना और सम्मानित करना बाकी रह गया: एक ऐसा समाज जहां सभी सरस्वती पुत्र हैं और हर व्यक्ति से विद्वत्ता और तेज छलकता है वहां हर सदस्य समान रूप से मान सम्मान का अधिकारी है ऐसे में यदि हम बरसों बरस भी सबके विचारों को सुनते और सम्मानित करते रह जाएं तो भी यह काम कभी पूरा न होगा! इसलिए हर बार मंथन में कुछ प्रियजन उदास हो ही जाते हैं। अपनों से कुछ बांट न पाने, हृदय के भाव साझा न कर पाने की उदासी हम समझते हैं और इसलिए ऐसी हर आवाज़ को समाज तक प्रेषित करने और उनकी पहचान को समाज में सम्मान से रूबरू कराने का एडमिन टीम का अभ्यास निरंतरता के साथ सेवा और स्नेह भाव से चलता जाता है।  
भूखे भजन न होए भुआला-अति सात्विक और विरक्त प्रकृति के लिए भोजन बहुत महत्वपूर्ण नहीं होता पर गृहस्थों, विशेषकर स्त्रियों और बच्चों के लिए मंथन का मेला नित्य प्रति के रटी रटाई जीवनशैली के घटनाक्रमों से अलग एक अद्भुत उत्सव है जहां संबंधों की गर्माहट और अपनों के स्नेह के आनंद से भरे कौर रसना सुख से आगे बढ़ कर आत्मा की तृप्ति क्यों और कैसे देते हैं यह विज्ञान नहीं आध्यात्म का विषय है! हर मंथन में अन्नपूर्णा का सत्कार होता आया है और फिर काशी मंथन अध्यक्ष जैसे भगवती के लाडले पुत्र स्वयं सबको खिलाएं तो प्रसाद का आनंद ही कुछ अलग होता है! “जैसा खाए अन्न वैसा होए मन “।

राय तपन भारती जी के दृढ़ अनुशासन और परिश्रमी मार्गदर्शन में काम कर रही पूरी एडमिन टीम और आयोजन समिति ने अपने सामर्थ्य का 100% दिया। जो जिस परिस्थिति में था उसमें पूरे साहस और सजगता से लगा रहा।

मैं स्वयं एडमिन होने के नाते अपना और अपनी टीम का महिमा मंडन नहीं करूंगी पर यह सच है कि जो जितना पुराना और वरिष्ठ होता जाता है वटवृक्ष की जड़ों की तरह उसके धैर्य, शांति, समझदारी, विनम्रता, निर्मलता और स्नेह पर समस्त संरचना टिकी होती है। न‌ए साथी कभी वर्षा की तरह बरसते हैं, बिजली बन गरजते हैं, कभी धूप की तरह तपते हैं तो कभी मिट्टी की तरह नींव बनकर बोझ उठाते हैं पर सभी अपने तरीके से कुछ दे जाते हैं। लोकतांत्रिक मूल्यों के साथ संगठनात्मक दृढ़ता का सपना साकार करना तभी संभव है जब सभी संकल्प विकल्पों आलोचनाओं टिप्पणियों से इतर हम सभी मंथन की संकल्पना के मूल में छिपे आह्वान को आत्मसात कर स्वयं को इस यज्ञ के प्रति संकल्पित करेंगे। We need to agree to disagree And still stand tall together..  There is no alternative to Unity. The sooner we understand,the better…..इन्हीं शब्दों के साथ अनामिका राजेएडमिन बीबीडबल्युकोलकाता

हरि ॐ तत् सत्

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