फिर क्या था काशी मंथन के सागर में गोता लगा दिया, डूब गया, आश्चर्य यह कि डूबना अच्छा लग रहा था: अरुण

2
652

अरुण राय, Senior Teacher/Varanasi

चरित्र जब पवित्र है, तो क्यों है ये दशा तेरी

ये पापियों को हक नहीं कि ले परीक्षा तेरी…………. ले परीक्षा तेरी

तू खुद की खोज में निकल

तू किसलिए हताश है।।

तू चल

तेरे वजूद की समय को भी तलाश है

समय को भी तलाश है

प्रथम प्रभात उदय तब गगने,

प्रथम सामरव तव तपोवने।

जब BBW काशी मंथन की चर्चा सुनी तो मन उस गगनचुम्बी संगठन के प्रति आकृष्ट हुआ। सर्वप्रथम जौनपुर में हुए अधिवेशन में अजय शर्मा ‘बाबा’ द्वारा मंच से लोगों के संबोधन में एक चर्चा काशी मंथन की थी जहाँ संक्षेप में काशी मंथन के विषय में सुना और जाना।

हफ्ते-दस दिनों के बाद एक फोन पर बात हुई कि कुछ लोग मुझसे मिलने घर आना चाह रहे है। मैं शुक्रगुजार हूँ अंजनी जी और अमित जी का जो हमारे घर तक आये। मेरा मन इनके देवीय पदार्पण से अत्यन्त प्रभावित हुआ, कि इस मोबाइल युग में कोई ऐसा प्रयास भी कर सकता है।

अभीष्ट स्पष्ट होते ही मैने अपने सहयोग के लिए बंधुद्वव को आश्वस्त किया। फिर बातचीत और विमर्श का दौर शुरू हुआ। दिन पर दिन विमर्श फलस्वरूप जिज्ञासा और कौतूहल बढ़ता जा रहा था। बहुत समय बाद जीवन में कुछ ऐसा हो रहा था जिसके लिए मन इतना हर्षित आहलादित था।

24 दिसम्बर 2022 लगभग सभी आगंतुक आ चुके थे या यात्रा में थे। काशी मंथन की Final Count Down शुरु हो चुकी थी। मैं स्वयं कुछ हद तक उस सफल साधना का चश्मदीद गवाह बन सका और जानता हूँ कि यह आयोजन कितना श्रमसाध्य रहा।

25 दिसम्बर 2022: Grand Day

सुबह उल्साहित और उर्जित था मंथन ग्रुप का अपडेट्स देखा (जो कि  अब एक आदत हो गई है), स्फूर्ती से तैयार हुआ। अंजनी जी को उनके गाँव से लेकर सभागार पहुँचा. निःशब्द ‘I have no words to express my fillings…….

फिर क्या था काशी मंथन के सागर में गोता लगा दिया। डूब गया आश्चर्य यह कि डूबना अच्छा लग रहा था।

लजीज बनारसी पकवान कुल्हड़ की चाय, मलइयो, जलेबियाँ रबड़ी के साथ क्या कुछ नहीं था। फिर गुलाब, तिलक और आयोजक मंडल के जुड़े हाथ लोगों को सभागार में खीच लाए।

सुखद आश्चर्य की प्रतिमूर्ति विशाल रुद्राक्ष सभागार बी.बी.डब्लू. के समर्थ सदस्यों का आलिंगन कर रहा था। प्रथम उद्घोषिका अनामिका राजे जी के प्रतिष्ठित शब्द सभा के सदस्यों को एक सूत्र में पिरोये जा रहे थे। लोग काशी-मंथन में आने के अपने निर्णय से सर्वथा संतुष्ट और खुश नजर आ रहे थे।

सनातन परम्परानुसार स्वास्तिवाचन दीप प्रज्ज्वलन बुजुर्ग व श्रेष्ठ लोगों द्वारा किया गया मंत्रमुग्ध करने वाली बच्ची का गायन अत्यन्त मनोहारी लगा।

सत्र शुरु हुए परिचय सत्र तो सभागार में प्रवेश के साथ ही आरम्भ हो गया था तो यह विशेष खेद की बात नहीं रही कि परिचय सत्र ठीक समय पर प्रतिपादित न हो पाया। मुख्य सत्र के विद्वानों को सुनने के बाद जब द्वितीय सत्र में मेरे नाम की घोषणा हुई तो ऐसा लगा कि एक विस्मयकारी दुनिया से बाहर आया तन्द्रा टूटी कुछ concrete कहने का वक्त था। हमारे सत्र के बीच में राजीव राय जी का सपत्नीक आनलाइन उद्बोधन मंथन की महत्ता को बताने के लिए एक पर्याय उदाहरण है। उनकी अभिव्यक्ति में स्पष्ट था कि शारीरिक पीड़ा पर मन की पीड़ा काशी मंथन में न पहुँच पाने कीउन्हे अधिक विहवल कर रही थी।

सत्र का यक्ष प्रश्न 2030 में समाज को कहा देखना चाहते है ? तब तक कुछ और प्रश्न भी आ चुके थे। मेरा प्रयास रहा कि मेरे कथन से कम से कम यह संदेश जरूर जाये कि यह सम्भव है कि हमारा समुदाय अन्य की तुलना में महत्व आदि दृष्टि से अपने को हीनत्व से मुक्त कर सके।

मैं अपने अनुभव और विश्वास से कह सकता हूँ कि मंथन एक सटीक साधन है इस सम्पूर्ण समाज को सजोने के लिए। 

विवाह सत्र को दहेज से परहेज में बदल दिया।

काशी में मंथन, मुझ अकिंचन को इतना स्नेह सम्मान ? अभीभूत हूँ। 

जिस सहजता से यह विशिष्ट सफर जारी है इसके लिए मैं बी.बीडब्ल्यू के एडमिन टीम को कर्मशीलता और अनुशासन का उदाहरण बनने के लिए परमसाधुवाद देता हूँ।

संतोष हुआ समाज के अग्रणी लोगों से मिलकर देखकर। उपल्बधि रही इनका संसर्ग व संपर्क।

विवाह सत्र को और अधिक महत्व देने की आवश्यकता है।

आप सभी महानुभाव जो काशी मंथन में अपनी दिव्य उपस्थिति दर्ज करवाये को प्रणाम करता हूँ।

काशी मंथन के आयोजन मंडल के अध्यक्ष श्री आनंद राज, अजय शर्मा उर्फ बाबा (उपाध्यक्ष) आनंदशंकर, अमित रंजन का हृदय के अतःस्थल से धन्यवाद।

अंत में कुशल सामाजिक सरोकार वाले बी. बी. डब्लू. के संस्थापक श्री राय तपन जी व संरक्षिका श्रीमति संध्या राय जी का पूरे मनोभाव से आभार और कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ।

श्री काशी विश्वनाथ व माता अन्नपूर्णा का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे।

काशी आप सभी की कृतज्ञ व ऋणि रहेगी।

मेरा कहना है –

मनुष्य के जीवन में संगठन का बहुत महत्व है, अकेला मनुष्य शक्तिहीन है।

सबके मुह पर बात तुम्हारी

रोशन हो गयी रात तुम्हारी,

संघर्ष की राह चलते हो गयी

सफलता से मुलाकात तुम्हारी

सब मंथन-मंथन काशी मंथन

आपका अपना छोटा भाई 

अरुण कुमार राय (मो. 6394241343)

शिक्षक – सनबीम स्कूल लहरतारा, वाराणसी

निवास – ग्राम – कुण्डरिया

पोस्ट – बेनीपुर, जनपद – वाराणसी, 0प्र0-221307

2 COMMENTS

  1. हृदय के भावों की सारगर्भित अभिव्यंजना ! एक कुशल शिक्षक भविष्य शिल्पी होता है और आपका बहुआयामी आलेख केवल मंथन की गहन विवेचना ही नहीं करता बल्कि स्नेह से पगे मार्गदर्शन के साथ आपके समाज प्रेम को साफ दिखाता है।
    मंथन में आपकी तेजस्वी उपस्थिति का साक्षात्कार करने वाले समझ सकते हैं कि आपका बाल सुलभ मन अपनों से स्नेह बांटने की उत्कंठा से सिक्त था।
    उतरे मंथन में तुम कुछ यूं,आकंठ स्नेह में डूब गए,
    अमृत छाना ,मोती बीने , तुम खुद नवरतन स्वरूप हुए।
    सुखी रहें आनंदित रहें,
    हरि ॐ तत् सत् 🙏

  2. मंथन से निकले मोतियों में से एक मोती 🙏🙏अब बड़ी सी सुन्दर मोतियों की माला बनकर तैयार होगी और हमारे bbw के गले में चमकती रहेगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here