पम्मी शर्मा /मोतिहारी, बिहार
यूं तो मेरा यह पहला मंथन था फेसबुक की दुनिया में जितने लोगों को जान पहचान हो सकी थी ।उनसे मिलने का पहला अवसर थोड़ी झिझक भी थी। थोड़ा डर भी था। न जाने लोग कैसे मिलते हैं और क्या महसूस मैं कर पाती हूं। यह सोचते हुए सफर तय हुआ और रुद्राक्ष मेमोरियल इंटरनेशनल हॉल में जितने लोगों से मिली। मुझे ऐसा लगा कि काफी पहले भी इन लोगों से मिल चुकी हूं।
सबके बीच एक अपनापन सा महसूस होने लगा मैं बहुत ही खुश हुई और वो खुशनुमा पल कैसे बीत गया, यह पता नहीं चला। अपनों से मिलने की खुशी हर किसी के चेहरे में साफ झलक रही थी और एक उत्साह और उमंग के साथ कार्यक्रमों का आनंद लेते हुए एक छत के नीचे एक साथ खाए। मिले-जुले, आपस में ढेर सारी बातें। समाज कल्याण की बातें और समाज को आगे बढ़ाने की बातें। एकजुटता में कितनी ताकत होती है, मुझे मंथन में जाने के बाद पता चला।
मंथन अपने समाज के लिए बहुत ही उपयोगी कार्यक्रम है और इस कार्यक्रम के माध्यम से हम गृहणी को भी एक भरा पूरा समाज में स्वतंत्र विचारों के साथ अपने आपको शामिल करने का एक सुअवसर प्राप्त होता है।
शिवनगरी का ये अद्भुत मिलन बहुत ही यादगार रहा। ये था तो स्वजातीय सम्मेलन लेकिन ये पारिवारिक समारोह में कब बदल गया कुछ पता ही नही चला।
मेरे इस पहले मंथन में मेरे कुछ कारण से मेरा पूरा परिवार शामिल नही हो सका जिसका मुझे अफसोस है। ईश्वर से मेरी यही कामना है कि अगले मंथन में मुझे सपरिवार शामिल होने का अवसर मिले।