मंथन क्या आसान काम है: कुछ लोगों में मंच पर न आने की छटपटाहट भी थी

0
351

काशी मंथन 2022

जनार्दन कुमार दसौंधी – धनबाद
काशी मंथन 2022 अपने आप मे अद्भुत था। BBW मंथन को लेकर मेरा ये पहला अनुभव था। मैं एक दिन पहले आने वाला था परंतु उस दिन की मेरी ट्रैन कैंसल हो गई और मैं 25 तारीख को सुबह 11 बजे रुद्राक्ष भवन पहुंच पाया। काशी का रुद्राक्ष भवन देखकर लगा कि ब्रह्मभट्ट समाज का कार्यक्रम उच्च स्तर का होने वाला है।

ब्रम्हभट्टवर्ल्ड  संस्थापक राय तपन भारती के साथ जनार्दन कुमार दसौंधी

बाहर में आते ही एक फ़ाइल, पेन, कॉपी, स्मारिका, Manthan Directory और साथ मे 3 कूपन और 4 लकी ड्रा कूपन प्राप्त हुआ। अंदर प्रवेश करते ही चाय और नास्ते का प्रबंध मिला। रात भर ट्रैन का सफर सुबह होटल में फ्रेश होकर रुद्राक्ष पहुचे थे तो भूख लगने स्वाभाविक था। मैं और मेरे साथी ने संतोषपूर्ण नास्ता किया। तदुपरांत हॉल में प्रवेश किया। पूरा हॉल में हल्की रोशनी थी और हॉल भरी हुयी था।

मैं ये नही कहूंगा कि पूरा हॉल भरा हुआ था परंतु मेरी जिंदगी में हुए अब तक के तमाम स्वजातीय कार्यक्रमों में यह सबसे अधिक भीड़ वाला समारोह था। ब्रम्हभट्टवर्ल्ड मंथन की भीड़ में महिला, पुरुष, बच्चे सभी दिख रहे थे। पूर्ण रोशनी से स्टेज जगमगा रहा था और कार्यक्रम शुरू हो चुका था। मैंने पीछे की एक सीट में अपना स्थान ग्रहण किया। स्वजाति वर्ग का एक पैनल सभा को संबोधित कर रहे थे। विषय था 2030 में हमारा ब्रह्मभट्ट समाज कहाँ होगा? सभी लोग अपना बहुमूल्य विचार दे रहे थे।

Dr Raghavendra के साथ जनार्दन कुमार दसौंधी

इतने में हाल में जान-पहचान चेहरे दिखने लगे और मैं समय का सदुपयोग करते हुए सभी से मिलना शुरु किया। हम सभी फेसबुक ग्रुप के माध्यम से एक दूसरे को जान और पहचान रहे थे लेकिन आज सभी से शारीरिक स्पर्श के साथ मिल रहे थे। वनारस आना सार्थक हो रहा था। संस्थापक रॉय तपन भारती जी, आनंद राज जी, राकेश शर्मा जी, गौरव भट्ट जी, आनंद शंकर जी, दीपक जी, संजीव जी, पन्ना जी और भी दूर दराज से आये हुए स्वजातीय बंधु से मिलने में व्यस्त रहा। फिर लंच का समय हो गया।

लंच में एक से बढ़कर एक पकवान समझ मे नही आ रहा था कि क्या ले क्योंकि देर से नास्ता हुआ था। फिर लिट्टी चोखा का आनंद लेते हुए चावल लिए। सब अपना अपना ग्रुप बनाकर गपशप करते हुए खाने का आनद ले रहे थे। मैं खाने के दौरान कई ग्रुप जॉइन किया जिससे अधिक से अधिक नए लोगो से जान पहचान हुई।

Gaurav Bhatt, Anand Raj (Patna) के साथ जनार्दन कुमार दसौंधी

खाने के उपरांत पुनः सभागृह में प्रवेश किया वहाँ मंच पर पैनल बदला हुआ था, समय था युवा सत्र का और विषय था युवाओ में स्ट्रेस क्यों हो रहा। बहुत ही लंबा सत्र था और चूंकि विषय निराशा से भरी हुई थी तो मैं ही नही, अगल-बगल में बैठे लोग भी उब रहे थे। कारण था कि जो बच्चे अपना समस्या को रख रहे थे, पैनलिस्ट में एक दो ही उस क्षेत्र के जानकार थे। एंकर को बार बार बोलना पड़ रहा था कि विषय पर बोलिये। लेकिन पैनल में बैठे कुछ लोग पहले से ही तय करके आये थे कि उनको क्या बोलना है और ये उनके लिए सुनहरा मौका था।

खैर, मंथन आयोजन समिति अलग-अलग पैनल के मध्यम से अधिक से अधिक लोगो को मंच तक लाने में कामयाब रही। वहीं कुछ लोग कसमसा कर रह गए कि उन्हें मंच पे नही बुलाया गया। परंतु मैं मानता हूं कि मंच पर 8 घंटे के कार्यक्रम के दौरान 600 लोगो को नहीं लाया जा सकता।

हमे अपनी सोच को सोशल मीडिया के माध्यम से रखनी चाहिए और अगले मंथन का इंतज़ार करनी चाहिए। फिर महिला सत्र की शुरुआत हुई और दर्शक दीर्घा में बैठे लोगों में उत्साह जाग गया। देखते ही देखते पुनः कार्यक्रम रोचक हो गया।

मैं रात भर सोया नही था और सुबह बिना आराम किये सभागृह पहुँचा था तो थकावट महसूस हुई और मैं सभी से बिना विदा लिए होटल में चला आया। सुबह उठकर वो काम करना था जिसके लिए खासकर वनारस आये थे। सुबह नहा धो कर बाबा विश्वनाथ का दर्शन पूजन किये और शाम को अद्भुग गंगा आरती का आनंद लिए। फिर रात की ट्रेन थी तो रात्रि 8 बजे वनारस को नमन करते हुए अलविदा कह दिया।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here