ऐसा लग रहा है भोले बाबा फिर से बुला रहे हैं

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राजेश शर्मा, सीनियर ऑडिटर, Ministry of Defence, Pryagraj

ऐसा लग रहा है भोले बाबा फिर से बुला रहे हैं। बाबा विश्वनाथ जी महाराज के मन में यही बार-बार विचार आ रहा है कि अपने प्रिय भट्ट ब्राह्मणों को जो कभी कालांतर में बाबा विश्वनाथ जी का पूजन अर्चन किया करते थे। उनके सिवा यह किसी को भी सम्मान प्राप्त नहीं था। उन्हीं भट्ट ब्राह्मणों को पुनः काशी में बुलाने का मन देवों के देव महादेव बाबा विश्वनाथ जी का है हमें एहसास हो रहा है। लग रहा है कि बाबा विश्वनाथ जी की प्रबल इच्छा है कि एक बार फिर और बहुत जल्दी सारे प्रोटोकॉल, नियम, किन्तु, परंतु को तोड़कर एक मिनी मंथन पुनः होली के बाद रख लिया जाए जिसमें उन सभी चीजों को पुनः शामिल किया जाए।

जो इस मंथन में रह गई छूट गई समय अभाव के कारण संपूर्ण नहीं हो पाई आईए इस पर सभी लोग बैठकर के चिंतन मंथन करते हैं और एक निश्चित सारगर्भित परिणाम की ओर निकलते हैं, इस विषय पर मैं आदरणीय अजय कुमार बाबा जी का ध्यान आकृष्ट कराना चाहूंगा उनमें वह प्रतिभा है वह क्षमता है कि इस विचार, इस रूपरेखा को बाबा विश्वनाथ जी की नगरी में ला सकते हैं, अजय बाबाजी में मैं भागीरथ क्षमता को देखता हूं उनके प्रयास से एक बार पुनः बिरादरी रूपी गंगा काशी में प्रवाहित हो ऐसी मैं हृदय से कामना करता हूं, जय बाबा विश्वनाथ, जय गंगा मैया, जय भट्ट समाज, जय ब्रहम भट्ट वर्ल्ड, सभी को सादर प्रणाम।

काशी का ब्रह्मभट्टवर्ल्ड मंथन जिसने सबका दिल जीता

रेखा राय/Chennai

तपन जी, आपको और आपकी पूरी मंथन टीम को काशी मंथन की सफलता के लिए हार्दिक बधाई। सांस्कृतिक और धार्मिक नगरी वाराणसी में काशी मंथन का कार्यक्रम बहुत ही उत्साह, लगन के साथ बड़े ही मर्यादित ढंग से सम्पन्न हुआ। सभी आयोजक और एडमिन टीम ने अपनी अपनी अहम् भूमिका निभाई।

Rekha rai addressing at Kashi BBW Manthan on 25th Dec 2022

तपन सर ने ब्रम्हभट्टवर्ल्ड नाम का एक नन्हा सा पौधा लगाया जो आज एक वटवृक्ष बनकर छाँव देने योग्य हो चुका है। जिसकी छांव तले हम सबको एकजुट होकर कार्य करने का जो मंच दिया ये बहुत ही सराहनीय कार्य है।

25 दिसम्बर को काशी में रुद्राक्ष कन्वेंशन हाल में चंदन तिलक से शुरूवात हुई, फिर गुलाब के फूल से स्वजनों का स्वागत किया गया। तत्पश्चात नाश्ता का आयोजन था। फिर शुरू हुआ मंच का कार्यक्रम जिसमे सर्वप्रथम शिवानी बेटी के सुमधुर आवाज में सरस्वती वंदना हुआ।

फिर पंडित अभिजीत जी द्वारा शिव स्तुति,उसके बाद श्रद्धाजंलि सत्र जिसमे एडमिन अनामिका ने मेडिटेशन द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाया। जाड़े का दिन दूर दराज से देर से आने की वजह से मंच का कार्यक्रम शुरू होने में थोड़ा विलम्ब हुआ।

श्रद्धांजलि सत्र समाप्त होते ही आगे का सत्र शुरू हुआ। पहला मुख्य सत्र, फिर दूसरा युवा सत्र रखा गया। जिसमें हमारे समाज के प्रबुद्ध व विद्वानों द्वारा तमाम परिचर्चा हुई जिसमें बहुत सारी समाजिक व उपयोगी बातें सामने आई। सभी ने अपनी अपनी बातों को महत्वपूर्ण ढंग से श्रोताओं के समक्ष रखा।अगला कार्यक्रम महिला सत्र का रखा गया जिसमें महिलाओं द्वारा प्रस्तुति बेहद गौरवशाली रहा। महिलाओं को भी उच्च स्थान दिया गया। सबको अपनी बात रखने का मौका दिया गया।

दहेज और विवाह की परिचर्चा में भी बहुत सारी बाते हुई जिसमें कई तथ्य और लोगो के विचार सामने आए। अंत मे संगीत के कार्यक्रम ने चारचांद लगा दिया जिसमे कई कलाकारों ने भाग लिया।

तत्पश्चात बताना चाहूँगी कि इस काशी मंथन समिति के अध्यक्ष आनंदराज व उपाध्यक्ष अजय बाबा जी की कड़ी मेहनत रंग लाई। हमारे सभी आयोजक आनंदराज जी, अजय बाबा जी, अमित जी, राकेश जी,त्रिपुरारी जी, नीरज जी आनन्द शंकर जी, दीपक जी, अंजनी जी एवं सभी महिला एडमिन टीम अनामिका जी, प्रियंका जी, अमृता जी, पम्मी जी, ममता जी ने मिलकर पूरे कार्यक्रम को सफलता दी। मैं अभी यूपी में ही हूँ सोचा चेन्नई जाकर लिखूंगी पर मैंने देखा कि यूपी में बनारस लखनऊ कानपुर जहाँ जहाँ भी गयी मंथन की भूरि भूरि प्रशंसा सुनी।

जो गए थे वो आंखों देखा हाल सुनाए,जो नही गए थे उनके परिचितों ने फोन द्वारा लोगो को बड़े ही उत्साह के साथ मंथन की भव्य सुंदरता व सफलता के बारे में बताया।मेरे पास भी बहुत सारे फोन आये कि बहुत ही शानदार आयोजन सम्पन्न हुआ। हाँ, मैं माफी चाहूँगी कि समयाभाव की वजह से एक महत्वपूर्ण सत्र छूट गया जो कि परिचय सत्र था जिसका मलाल हम सभी को है

दूरदराज से आये हुवे लोगो का हम लोग परिचय नही करवा पाए जिसका हमारी पूरी एडमिन टीम को अफ़सोस है। इतने बड़े आयोजन में छह सात सौ लोगो मे सभी को माइक देना, मंच पर मौका देना या सम्मानित करना असंभव था।जिसकी काफी आलोचना भी हम लोगों को सुननी पड़ी। खैर सभी की शिकायतों को मंथन टीम अगले वर्ष के मंथन में निवारण करने की कोशिश की जाएगी।

स्वजनों के मिलन का अनूठा संगम “मंथन”

प्रिया आनंद/वाराणसी

मंथन…
ये नाम शायद सबने सुना है , पुराणों में बताया गया है की जब समुद्र मंथन हुआ तो उसमे से कई अनोखे रत्नों की उत्पत्ति हुई,जिसमे विष और अमृत भी निकले।
और स्वजनो के मिलन का अनूठा संगम “मंथन” जिसमे पहली बार मुझे जाने का मौका मिला तो इस समागम में एक से बढ़कर एक अनमोल रत्नों को देखने और सुनने का मौका मिला ।
कई दिनों से तैयारियां चल रही थी ऐसा ही महसूस हो रहा था जैसे की घर में कोई उत्सव होने वाला है।आखिर 25 दिसंबर की सुबह गर्मजोशी के साथ मंथन सभागार में पहुंची ,जहां हर किसी से मिलना यूं लगा जैसे अपने ही किसी आत्मीयजन से मिल रही हूं,यह एहसास अत्यंत सुखद और हृदय को विभोर करने वाला था।
समारोह तो खत्म हो गया लेकिन वो पल अभी तक आंखों के सामने जीवंत है।।
कुछ ऐसे लोगों से आत्मीय रिश्ता भी बना जो जीवन पर्यंत हृदय की गहराइयों में बसा रहेगा।।
इस अनोखे उपहार के लिए सभी की ऋणी रहूंगी।।

मं+थ+न=मन की थाह लेने के पश्चात निर्णय लें

रेवती नन्दन चौधरी , अधिवक्ता, दुमका, झारखंड

मान्यवर 2022 के पूर्व और चार मंथन का आयोजन हमारे मंथन आयोजकों ने सफलता पूर्वक आयोजित किया है जिसमें चार आयोजनों में मैं सम्मिलित था, सिर्फ पटना मंथन का साक्ष्य मैं ना बन पाया। आयोजन बृहत या लघु होता है जो स्वजनों की भागीदारी पर आधारित होता है। हमारा आयोजन काशी विश्वनाथ में फलीभूत हुआ इसे बृहत आयोजन कहने में जरा भी अतिश्योक्ति नहीं है। मंथन की परिभाषा क्या है? मं+थ+न=मन की थाह लेने के पश्चात निर्णय लें, मंथन कहलाता है।

हमारे श्रद्धेय श्री राय तपन भारती जी ने एक विचार उपजने के पश्चात निर्णय लिया और ब्रह्म भट्ट बर्ल्ड की स्थापना की , हमारी स्वजाति के अगुआ इसके सदस्य बने और इसका कारवां बढ़ने लगा। सदस्यों की संख्या में गुणात्मक वृद्धि हुई और आज इसके सदस्य लगभग 17,000 हैं। आदरणीय, कुछ इससे वंचित भी हुए,उनका निजी कारण रहा होगा, टिप्पणी कारों का भी व्याख्यान समय कुसमय आता है,कभी मन हर्षित हुआ तो कभी मलिन भी होता है,पर विचलित कदापि नहीं, क्योंकि आयोजन हुआ और होता रहेगा।

काशी विश्वनाथ की नगरी में यह कार्यक्रम होना बहुत ही श्रद्धा वान व्यक्ति के सोच को परिलक्षित करता है,और हमारी जाति के एक साथ 500 सदस्य सम्मिलित होना बड़ी गौरवान्वित महसूस कराती है। काशी विश्वनाथ का दर्शन मेरी समझ में शत प्रतिशत लोगों ने किया जो एक उपलब्धि है।

ब्रह्म भट्ट बर्ल्ड ने एक कार्य तो निश्चित रूप से किया है कि अपने लोगों को एक दूसरे के नजदीक लाकर जोड़ा है।जिसे नकारा नहीं जा सकता। आक्समिक मृत्यु, दुर्घटना,असाध्य बीमारों को यथाशक्ति आर्थिक मदद देकर उनके जीवन को संवारा और बचाया है।लाकडाउन में कितने परिवारों को विचलित नहीं होने दिया जो सराहनीय कार्य रहा है।

इस बार के मंथन में विवाह सत्र और मेधावी छात्रों को आर्थिक सहायता देने और चलाने का कार्य किया जो एक उपलब्धि है। 1,100 क्षमता वाले सभागार में 500 व्यक्ति का आना वह भी अपने खर्च पर क्या ? इसे आप बड़ी उपलब्धि नहीं कहेंगे। आयोजकों ने 600 लोगों की व्यवस्था सोची थी जिसमें 600 लोग निबंधित हुए ,क्या यह खुशी की बात नहीं?

पूरे परिपेक्ष्य में 7 करोड रूपए अपनी जाति के ख़र्च हुए होंगे अनुमानित,क्या गौरवान्वित महसूस कराने वाली बात नहीं कि हमारे लोग आर्थिक रूप से भी सबल है,जो सही समय और सही दिशा में निवेश करने में सक्षम हैं ?

जबतक आप एक दूसरे से मिलेंगे नहीं अपने विचारों का आदान-प्रदान नहीं करेंगे तब तक कैसे संभव हो पाएगा? आयोजन समिति के सदस्यों के कार्य की गुणवत्ता देखिए,अपने परिवार, व्यवसाय,अपने स्थान को छोड़ अनवरत अनथक तीन महीनों से जुड़े रहे बिना इस लोभ के कि हमें पुरस्कार मिलेगा या तिरस्कार।

काशी मंथन का ५ वान आयोजन हर दृष्टिकोण से सफल और सुव्यवस्थित था इसमें जरा भी अतिश्योक्ति नहीं। हां परिचय सत्र नहीं हो पाया वह आवश्यक था।

कुछ आधार स्तम्भ जैसे देवरथ जी ,राजीव जी,रंजना जी, रामसुंदर दसौंधी जी, नीलू, कंचन,और लोगों का नहीं पहुंच पाना काफी खला। अन्त में यही कहकर विराम देता हूं कि ब्रह्मभट्ट बर्ल्ड एक ऐसा ब्रांड है जिसमें सबकुछ मिलता है,आईए तो, जुड़िए तो और जोड़िए तो।।

मंथन की गूँज,अपनों से मिलन का पल

Bharti Ranjan Kumari/Darbhanga, Bihar
विश्वनाथ का धाम,गंगा का निर्मल जल।
मंथन की गूँज,अपनों से मिलन का पल।।
सभी मंथन कार्यक्रमों की तरह काशी मंथन का आयोजन भी सफल स्फूर्तिदायक रहा।
कई चेहरे जो पहली बार दिखे, लेकिन आत्मा का आत्मा से अपनत्व तो था ही, क्योंकि सभी एक ही कुल के वंशज थे। मैं पटना,रांची,दिल्ली,बंगलोर होते हुए बनारस मंथन की प्रत्यक्ष प्रमाण हूँ जहाँ एक दूसरे का साथ भी मिलता है और सहयोग भी।
कार्यक्रम का सभी सत्र का आयोजन सफल रहा और अन्य व्यवस्था भी प्रशंसनीय रही।
आयोजन समिति का मेहनत और निष्ठा का ही फल था कि लगभग 500 स्वजन उपस्थित हुए और कार्यक्रम को सफल बनाया। ब्रह्मभट्टवर्ल्ड के संस्थापक श्री रॉय तपन भारती जी ने जिस साम्राज्य का नींव रखा और इसे खड़ा किया , एडमिन टीम के सभी सदस्य इसकी बेहतरी के लिए प्रयासरत हैं। सभी धन्यवाद और प्रशंसा के पात्र हैं।

लगता था मानो बाबा विश्वनाथ ने स्वयं मंथन समारोह को अपने हाथो मे ले रखा हो

SN Sharma/Patna

बाबा नगरी मंथन को वया करने मे अल्फाज भी कम पड़ गये, अंदाज से अधिक भव्य आगाज , स्तर ऐसा जिसे देख आसमा भी बौना महसूस करने लगे। लगता था मानो बाबा विश्वनाथ ने स्वयं मंथन समारोह को अपने हाथो मे ले रखा हो। जय हो बाबा विश्वनाथ की। वाराणसी मंथन के यादगार लम्हे ने दो ऐसे व्यक्तित्व दिये जिनके सरल व्यहवार, मधुर वाणी ,मुस्कान भरे चेहरे, जिनसे थकावट कोसो दूर रही, सफलता जिनके चहुंओर घूमती रही वैसे आनंद द्वय को हमारा हृदयतल से आशीर्वाद है।

किसी भी संस्था मे मतभेद और आलोचना उसे विकास के शिखर पर पहुँचाता है ,ठीक विपरीत मनभेद और थोथी प्रशंसा उसे अवनति के गर्त मे ढकेल देता है । अतः मतभेद रखे मनभेद नही । मतभेद विकास का प्रतीक है।

क्यों भाई एक बार में इतना काफी नही

Dr Sandhya Rani/Dhanbad

एक उम्मीद कि मंथन स्वप्रसंसा, वाक कला की अपनी विशेषताओं के साथ कर्म शीलता के प्रगति पथ पर अपनी पीढ़ी के साथ चल पड़ा है और हम याने आप और मैं हम सभी अच्छे व स्वादिष्ट भोजन का आनन्द लेते हुए आप सभी के सुंदर व ओजस्वी व्यक्तित्व से रुबरु होते हुए भोलेनाथ का दर्शन, क्यों भाई एक बार में इतना काफी नही।

हमहू_गये_थे_काशी_मंथन_में
Shiv Shankar Kumar/Patna
25 दिसम्बर के सुबहे सुबहे बाबा के दर्शन करे सब भाई बाबा के दरबार मे चल गए बाबा से मुलाकात हुई बाबा कुशलक्षेम पूछें फिर होटल आ के मंथन के लिए रुद्राक्ष हॉल के लिए निकल पड़े सब भाई।
ई का हॉल देख के दंग रह गए बड़का हॉल,ढेर सारा सीट,बड़का मंच,ढेर लोग जैसे ही आगे गलियारा में गये नास्ता,चाय कॉफ़ी के बड़का बड़का टेबल पर तरह तरह के आइटम ई में लिखियो नहीं सकते फेसबुके भर जाएगा ,फिर कार्यक्रम में गये हाल के अंदर सबे लोग मिले हमू मिले फिर खाय के बारी आया ई का ढेर खाना एक से एक खाय के आइटम लिखेंगे तो गूगले भर जाएगा।
का कहे मंथन झकास हुआ कम बेसी के बात बेकार है।जे देखे न एकदम मने गदगदा गया। हमू गये थे मंथन में……..
दू चार गो जाति बिरादरी बाले बोले काशी में मंथन हो रहा है चलिए मन में बिचार किये की बाबा भोलेनाथ के नगरी में ब्रह्मभट्टवर्ल्ड मंथन आयोजित कर रहा है तो हमू चलते हैं मंथन भी हो जाएगा और बाबा भोलेनाथ जी का दर्शन भी घरे आये सलाह मशविरा किये रेल के टिकट,होटल के बुकिंग कर दिये।
फिर का था धीरे धीरे समय के इंतजार करे लगे और 24 तारीख के मंथन और बाबा के दर्शन ल निकल गये। झोला टांगे कंधा पर टूक टुकवा पकड़े रेलटिशन चल आये जरी देर बाद रेलगाड़ीयो आ गया जैसे तैसे चढ़ गए जल्दी से एगो सीट पकड़ लिए हमरा साथ हमरा दुगो छोटा भाई भी था अभय रंजन और विनोद पांडे उहो सीट ले लिया।घरे से लिट्टी बनबा लिये थे रस्ता में खाय ल ई ल अभी दानापुर ही पहुंचे थे कि सभे के भूख लग गया।
तीन चार बजे सांझ के बनारस पहुंच गए एगो गाड़ी लिए और होटल चल गए फिर सभे तैयार हो गए बनारस घूमे ल इतने में मालूम हुआ कि काशी मंथन के अध्यक्ष श्री आनन्द राज जी हमनी के लिट्टी चोखा पार्टी में बुलाये हैं फिर का था कोट पैंट झाड़े और चल दिये लिट्टी पार्टी में बड़ी आदमी से जान पहचान हुआ जब खा पी के निकले लगे तब मालूम हुआ कि अध्यक्ष महोदय श्री आनन्द राज जी का 25 को जन्मदिन दिन है बस फिर का था 12 बजे रात के हमनी भी ओजे होटल में जन्मदिन सेलेब्रेट कर दिये।

शुक्रिया मंथन टीम… बनारस के सभी रसों से सभी को सराबोर करने के लिए…..

Pushp Kumar Maharaj

मंथन के दूसरे सत्र में…..”.2030 तक समाज का विकास कैसे हो……पर परिचर्चा हुई.. पैनलिस्ट में शामिल सभी विद्वान व गुणी जनों ने अपने विचार बडी ईमानदारी व बेबाकी से प्रस्तुत किऐ जो उपयोगी और प्रशंसनीय थे… उनका सादर नमन..

दूसरे सत्र के बाद ……लंच की घोषणा.. जो मंथन का सर्वश्रेष्ठ भाग था… बनारसी कचौड़ी लिट्टी चोखा से लेकर माल भोग व जलेबी रबड़ी तक का लंबा सफर हमारे माननीय सदस्यों ने आसानी से बिना किसी व्यवधान के तय किया… बनारसी मक्खन और केसरिया दूध का कोई जबाब नही था… खाना लाजबाब व शानदार था …. शुक्रिया मंथन टीम… बनारस के सभी रसों से सभी को सराबोर करने के लिए…..

पापुलर बाटी चोखा....
अगर आप काशी नगरी में हैं और लिट्टी चोखा खाने के शौकीन है तो आपको सिगरा के चंद्रिका नगर में स्थित पापुलर बाटी चोखा की दुकान पर जाना चाहिए… यहाँ के बाटी चोखा की बात ही निराली है.. इसका जायका अगर एक बार भी लगा तो आप इसके दिवाने हो जायेंगे…. देशी घी में डूबी सत्तू भरी बाटी एक खास मसाले के साथ निर्मित की जाती है और साथ में आलू बैगन टमाटर हरी मिर्च धनिया से बनी चोखा का अनोखा संगम आपको शायद कहीं और मिले… सुबह 09 बजते ही बाटी प्रेमियों की भीड जुटनी शुरू हो जाती है जो अनवरत रात के नौ बजे तक चलती रहती है….. मंथन यात्रा के दौरान हमने भी इसका खुब लुफ्त उठाया…. अगर आपने नहीं उठाया तो अगली बार के लिए… तैयारी करके जाइये…… या Online मंगा लिजीए….

आखिर मंथन क्यों?

Anjana Sharma/Gorakhpur

काशी मंथन की यादें,

आखिर मंथन क्यों?

सवाल कोई भी हो,

जवाब है मंथन।

नई सोच की आगाज है मंथन।

श्रेष्ठ जनों के विचारों का,

ताज है, मंथन।

रिश्तों में नव उत्साह है मंथन।

नारी सम्मान कि एक कड़ी है,

मंथन।

दहेज का आलोचक है मंथन।

बिटिया का सम्मान है मंथन।

बेटों के भविष्य का ,

शुभचिंतक है,मंथन,।

नए रिश्तों की खोज है,मंथन।

अपनों से अपनों के मिलने का,

सेतु है मंथन।

एक संकल्प, एक सोच,

कुछ कर दिखाने का जुनून है,

मंथन।

हम भट्ट ब्राह्मण है तथा,

अलग-अलग बिखरें है,

उस बिखराव की,एक

संधि है मंथन।

भविष्य में मजबूती का,

सुनहला सपना है मंथन।

रिशतों का सुंदर सार है,

मंथन।

हमारी,आपकी आवाज है,

मंथन।

हर वर्ष मिलने का एक ,

त्योहार है,मंथन।

फिर मिलेंगे इस संकल्प के साथ।

आप सभी के साथ पहली बार मंथन में मिलने का सुअवसर मिला। बहुत ही आत्मीय, स्नेहिल और शानदार अनुभव रहा। कोटिशः बधाई और आभार आप सभी का।
डा पी यन भट्ट, गोरखपुर,9336410409

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