राजीव रक्षा मामलों और विदेश नीति के बारे में लगातार लिख रहा था। पीआईबी कार्ड होने के कारण इनका आना-जाना मंत्रालयों में बड़े-बड़े अधिकारियों से भी था। 2010 में मेन स्ट्रीम छोड़कर इन्होंने स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया। इस बीच 2010 से 2014 के बीच यह चीन के मुखपत्र और वहां के प्रमुख समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के लिए साप्ताहिक कॉलम लिखता रहा।
राय तपन भारती/नई दिल्ली
फ्रीलांस पत्रकारिता करने वाले पत्रकार को दिल्ली पुलिस ने चीन को खुफिया जानकारी मुहैया करने के जुर्म में गिरफ्तार किया है। एक चीनी महिला और उसके कुछ नेपाली साथी को भी गिरफ्तार किया गया है। इन लोगों ने शेल कंपनियो के द्वारा पत्रकार को पेमेंट किया था।
चीन के लिए जासूसी के आरोप में पकड़े गए भारतीय पत्रकार राजीव शर्मा (61) से पूछताछ के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने शनिवार को राजधानी के महिपालपुर इलाके से एक चीनी महिला व उसके नेपाली सहयोगी को गिरफ्तार किया है।
आरोपियों की पहचान चीनी नागरिक क्विंग शी (30) और शेर सिंह उर्फ राज बोहरा (30) के रूप में हुई है। आरोप है कि स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा 2016 से लगातार चीनी खूफिया एजेंसियों के एजेंट माइकल और जॉर्ज से जुड़कर उनके हाथ की कठपुतली बना हुआ था। चीनी खूफिया एजेंसियां हवाला, वेस्टर्न यूनियन मनी व भारत में फर्जी कंपनी (शेल कंपनी) बनाकर उनके जरिए जासूसी के बदले मोटी रकम दे रही थी।
पुलिस के मुताबिक, जनवरी 2019 से सितंबर 2020 के बीच राजीव को करीब 45 लाख रुपये चीनी खुफिया एजेंसियां दे चुकी हैं। राजीव को छह दिन की रिमांड पर लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है। वहीं क्विंग शी और शेर सिंह से भी पूछताछ जारी है। पुलिस ने आरोपियों के पास से 12 मोबाइल, कई टैब, लैपटॉप, चीनी एटीएम समेत कई कार्ड व अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज बरामद किए हैं। राजीव 1982 से पत्रकारिता कर रहा था।
स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त संजीव कुमार यादव ने बताया कि पिछले काफी दिनों से उनकी टीम को सेंट्रल खफिया एजेंसियों से राजीव शर्मा के बारे में जासूसी की जानकारी मिल रही थी। जानकारियों को पुख्ता करने के बाद 13 सितंबर को स्पेशल सेल ने सरकारी गोपनीयता कानून और अन्य धाराओं में मामला दर्ज कर 14 सितंबर को राजीव शर्मा को पीतमपुरा के सेंट जेवियर अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया।
राजीव रक्षा मामलों और विदेश नीति के बारे में लगातार लिख रहा था। पीआईबी कार्ड होने के कारण इनका आना-जाना मंत्रालयों में बड़े-बड़े अधिकारियों से भी था। 2010 में मेन स्ट्रीम छोड़कर इन्होंने स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम करना शुरू किया। इस बीच 2010 से 2014 के बीच यह चीन के मुखपत्र और वहां के प्रमुख समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के लिए साप्ताहिक कॉलम लिखता रहा। कई बड़े नामी अखबारों के अलावा राष्ट्रीय न्यूज एजेंसियों में राजीव ने नौकरी की थी।
लेख पढ़कर चीनी खुफिया एजेंसी की नजर राजीव शर्मा पर पड़ी। इंटरव्यू देने के बहाने राजीव को चीन के कुनमिंग शहर बुलाया गया। माइकल नामक एजेंट ने सोशल साइट लिंक्डइन से राजीव से संपर्क किया। चीन पहुंचने पर माइकल ने राजीव को बुलाने की असली वजह बताई। मोटी रकम का लालच मिलने पर वह इनके झांसे में आ गया। आने-जाने का सारा खर्चा माइकल ने ही उठाया।
माइकल व उसके जूनियर शू ने राजीव से भारत-चीन की सीमा पर सेना की तैनाती और मूवमेंट की जानकारी, डोकलाम, भूटान-सिक्कम और चीन, ट्राई जंक्शन की जानकारी, भारत-म्यांमार सेना से जुड़ी जानकारियां मांगी। 2016 से 2018 के बीच राजीव थाईलैंड, मालद्वीव, नेपाल और लाओस जाकर इनके साथ मीटिंग करता रहा। यह लोग लगातार राजीव को ग्लोबल टाइम्स में कॉलम लिखने के लिए कहते रहे। इसके बदले राजीव को 500 से 1000 यूएस डॉलर दिए जाते रहे। बाद में 2019 में राजीव एक दूसरे चीनी एजेंट जॉर्ज के संपर्क में आया।
जॉर्ज ने नेपाल के रास्ते राजीव को चीन बुलाया। जॉर्ज ने दलाई लामा से जुड़ी जानकारियां देने और उसके बारे में कॉलम लिखने के लिए कहा। बदले में मोटी रकम देने की बात की गई। जॉर्ज के कहने पर दिल्ली के महिपालपुर में चीनी दंपती ने फर्जी कंपनियां एम.जेड फार्मेसी और एम.जेड मॉल बनाई।
दंपती के चीन वापस जाने पर चीनी युवती क्विंग शी और नेपाली युवक शेर सिंह को कंपनी का डायरेटकर बना दिया गया। क्विंग शी भारत में पढ़ने के बहाने आई थी। दोनों चीनी दवाइयां एक्सपोर्ट करने की आड़ में चीन से आए रुपयों को राजीव के खाते में भेजते थे। फर्जी कंपनियों से 10 ट्रांजेक्शन से 30 लाख रुपये राजीव के खाते में ट्रांसफर होने का पता चला है। पुलिस दोनों से पूछताछ कर मामले की छानबीन कर रही है।
स्पेशल सेल ने फ्रीलांस पत्रकार राजीव शर्मा को केंद्रीय खुफिया एजेंसी की सूचना के आधार पर 14 सितंबर को गिरफ्तार किया गया था। उसके पास से रक्षा मंत्रालय के गोपनीय दस्तावेज मिले हैं।