डाॅक्टर आनंद कहते हैं कि उनके जीवन का मकसद हर मरीज के चेहरे पर मुस्कान लाना है। इसके लिए वह रात दिन मेहनत करते हैं। जिस दिन वे मरीजों की आंखों की खुशियां नहीं देखते, वे मायूस हो जाते हैं। बीएचयू में बहुत सारे मरीज चंपारण से जाते हैं। वह उनकी पूरी मदद करते हैं।
ओम वर्मा/मोतिहारी, Bihar
कोरोना काल ने इंसान को बहुत कुछ सिखा दिया है। यहां तक कि लाइफ स्टाइल तक बदल दिया है। इस काल में डाॅक्टरों ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई। अपनी जान की परवाह किए बिना समाज के प्रति सेवा भाव को जारी रखा। यही वजह है कि समाज में उनका सम्मान और भी बढ़ गया। कई डाॅक्टर तो एक कदम आगे बढ़कर मरीजों को सेवा दे रहे हैं। वे फोन और वाट्सएप के माध्यम से मरीजों को निशुल्क परामर्श दे रहे हैं। ऐसे ही एक डाॅक्टर हैं चंपारण के लाल डाॅक्टर आनंद सौरभ। वह बनारस हिंदू विश्वविद्यालय ट्राॅमा सेंटर हाॅस्पिटल, वाराणसी में हड्डी रोग सर्जन हैं। उन्होंने आम लोगों को स्वास्थ्य संबंधी परामर्श देने का बीड़ा उठाया है। कोरोना काल में वह पांच हजार मरीजों को निशुल्क सेवाएं दे चुके हैं।
बात ज्यादा पुरानी नहीं है। लाॅकडाउन से कुछ ही दिन पहले बीएचयू में उनके पास ऐसे मरीज आ रहे थे, जिनका केस काफी खराब हो चुका था। इससे उन्हें स्वास्थ्य और धन दोनों की हानि हो रही थी। इलाज के दौरान पता चलता था कि जागरूकता के अभाव में मरीज की हालत काफी बिगड़ चुकी थी। यहीं से डाॅ आनंद को आइडिया आया। उन्होंने सोचा कि क्यों न मरीज को तभी परामर्श दिया जाए जब उसे स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी आ रही हो। इससे उसके धन की बचत होगी और मरीज को गंभीर स्थिति में जाने से बचाया जा सकेगा।
इसी उद्देश्य से उन्होंने अपना वाट्सएप नंबर और फोन नंबर मरीजों के साथ शेयर करना शुरू किया और सेवा भाव से उनकी मदद करनी शुरू की। फिर क्या था। उनका नंबर हर जगह शेयर होने लगा। गांव-घर में किसी को कोई समस्या आती तो यही आवाज आती कि तनी आनंद बाबू के फोन लगा द!!!!! अब उनके पास मरीजों के बहुत सारे फोन आते हैं। वे उन्हें सही परामर्श देते हैं, ताकि समय पर सटीक इलाज हो सके। मरीज अपना इलाज कहीं भी करा सकता है। ऐसा कोई बंधन नहीं है कि उस बीएचयू ही जाना पड़े।
डाॅ आनंद मोतिहारी शहर के गोपालपुर मोहल्ले के मूल निवासी हैं। पिताजी डाक्टर विजय कुमार हैं। पिता को देख व इनके मामा व जिले के वरिष्ठ खिलाड़ी संजय कुमार उर्फ टुन्ना की समाज के प्रति सेवा भाव को देखकर भी इनमें समाजसेवा का जुनून सवार हुआ। हाल ही में वह वाराणसी से मोतिहारी में ज्ञानबाबू चैक स्थित अपने मामा संजय कुमार के घर आए तो उन्होंने फेसबुक पर पोस्ट डाला कि लाॅकडाउन में जिसे भी उनकी सेवा की आवश्यकता हो तो वे संपर्क कर सकते हैं। पोस्ट देखते ही स्थिति यह हो गई कि उनके घर परामर्श लेने वालों की लाइन लग गई। इस सेवा भाव को देखकर जनता उनकी लंबी उम्र की कामना करती है।
मिले हैं कई पुरस्कार: डाॅक्टर आनंद सौरभ उत्कृष्ट प्रतिभा की धनी हैं। एमबीबीएस डीएमसीएच टाॅपर रहे हैं। उन्हें गोल्ड मेडल से सम्मानित किया जा चुका हैै। उन्हें नार्थ इंडिया का एकेडमिक अवार्ड और दो गोल्ड मेडल मिल चुका है। डाॅ आनंद घुटने पर दबाव कम करने तथा दर्द से निजात दिलाने के लिए नवीन तकनीक प्राॅक्सीमल फिबुलर आॅस्टीयाॅटमी पर शोध कर रहे हैं। साथ ही कई पुस्तकें लिख रहे हैं।
जनसेवा ही मकसद: डाॅक्टर आनंद कहते हैं कि उनके जीवन का मकसद हर मरीज के चेहरे पर मुस्कान लाना है। इसके लिए वह रात दिन मेहनत करते हैं। जिस दिन वे मरीजों की आंखों की खुशियां नहीं देखते, वे मायूस हो जाते हैं। बीएचयू में बहुत सारे मरीज चंपारण से जाते हैं। वह उनकी पूरी मदद करते हैं। केंद्र सरकार की जनआरोग्य योजना आयुष्मान भारत के बहुत सारे कार्डधारक भी आते हैं। उनकी भी वे पूरी सेवा करते हैं। वह कहते हैं कि आज बीएचयू अन्य अस्पतालों से काफी बेहतर हैै। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र होने की वजह से यहां स्वास्थ्य सेवाएं उत्कृष्ट हैं।