पुणे स्थित कंपनी अब भारत में उपयोग के लिए वैक्सीन का निर्माण कर सकती है। यह टीका शिशुओं में “स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया” के कारण होने वाले आक्रामक रोग और निमोनिया के खिलाफ सक्रिय टीकाकरण के लिए उपयोग किया जाता है।
नई दिल्ली : पूरी तरह से देश में विकसित निमोनिया के पहले टीके को भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) से मंजूरी मिल गई है। यह जानकारी केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को दी। टीके के लिए विशेष विशेषज्ञ समिति (एसईसी) की मदद से डीसीजीआई ने पुणे की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडियाकी ओर से सौंपे गए क्लिनिकल ट्रायल के पहले, दूसरे और तीसरे चरण के आंकड़ों की समीक्षा की और ‘न्यूमोकोकल पॉलीस्काराइड कॉजुगेट टीके को बाजार में उतारने की अनुमति दे दी। देश में हर साल लाखों बच्चे जिनकी उम्र पांच साल से कम होती है वो इस बीमारी की चपेट में आकर दम तोड़ देते है।
यह टीका इंजेक्शन की मदद से लगेगा। मंत्रालय ने बताया कि इस टीके का उपयोग निमोनिया से बचाव के लिए बड़े पैमाने पर किया जाएगा। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने डीसीजीआई से टीके के पहले, दूसरे और तीसरे चरण का क्लिनिकल ट्रायल भारत में करने की मंजूरी ली। इसका ट्रायल गाम्बिया में भी हुआ है।
ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने मंगलवार को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा विकसित न्यूमोकोकल पॉलीसैकराइड कंजुगेट वैक्सीन को मंजूरी दे दी। पुणे स्थित कंपनी अब भारत में उपयोग के लिए वैक्सीन का निर्माण कर सकती है। यह टीका शिशुओं में “स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया” के कारण होने वाले आक्रामक रोग और निमोनिया के खिलाफ सक्रिय टीकाकरण के लिए उपयोग किया जाता है। “स्वदेशी न्यूमोकोकल वैक्सीन होने से बाल मृत्यु दर कम करने के हमारे प्रयास में एक गेम-चेंजर होगा।
सीरम इंस्टीट्यूट ने इस न्यूमोकॉकल पॉलीसैकराइड कंजुगेट वैक्सीन का पहले, दूसरे और तीसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल यानी सारे नैदानिक परीक्षण भारत में ही किए हैं। दावा है कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब देश के अंदर ही सारे ट्रायल संपन्न हुए हैं। हालांकि गांबिया और अन्य देशों में भी कंपनी इस वैक्सीन का ट्रायल कर चुकी है।