आखिर WHO ने मुंबई के धारावी मॉडल की तारीफ क्यों की?

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1 अप्रैल को धारावी में कोरोना का पहला केस सामने आने के पहले ही आशंका थी कि यहां स्थिति बिगड़ सकती है क्योंकि सबको न तो होम आइसोलेशन किया जा सकता है और न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकते हैं।हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती सार्वजनिक शौचालय ही थे, जिनकी संख्या 450 से अधिक है

मुंबई: कल तक कोरोनो वायरस फैलने पर मुंबई के धारावी इलाके को लेकर पूरी दुनिया को चिंता थी। पर आज मुंबई के से बड़े स्लम एरिया धारावी में कोरोनो वायरस ब्रेक होने पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) तारीफ कर रहा है। WHO ने कहा है कि धारावी में कोरोना वायरस को कंट्रोल करने के लिए किए गए प्रयासों की बदौलत ये इलाका कोरोना से फ्री होने की कगार पर है। WHO की तारीफ से भारत की पूरी दुनिया में सराहना  हो रही है। एशिया की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी 2.5 वर्ग किलोमीटर में फैली है जहां छोटे-छोटे घरों में लगभग 6.5 लाख लोग रहते हैं।
WHO के महानिदेशक ट्रेडोस एडहानम गेब्रेयेसेसने कहा, ‘दुनिया भर में कई उदाहरण हैं जिन्होंने दिखाया है कि भले ही वायरस का प्रकोप कितना भी ज्यादा हो, फिर भी इसे काबू में लाया जा सकता है और इन उदाहरणों में से कुछ इटली, स्पेन और दक्षिण कोरिया, और यहां तक कि मुंबई का धारावी भी हैं।’
संयुक्त राष्ट्र के स्वास्थ्य प्रमुख ने कहा कि मुंबई के इस स्लम एरिया में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, सोशल डिस्टेंसिंग और संक्रमित मरीजों का तुरंत इलाज के कारण यहां के लोग कोरोना की लड़ाई में जीत की ओर हैं। डब्ल्यूएचओ महानिदेशक ने कहा, ” ऐसे देशों से जहां तेजी से विकास हो रहा है, जहां प्रतिबंधों को ढीला कर रहे हैं और अब मामले बढ़ने लगे हैं। हमें नेतृत्व, सामुदायिक भागीदारी और सामूहिक एकजुटता की जरूरत है। ”
मुंबई की सबसे बड़ी मलिन बस्ती धारावी में शुक्रवार को कोविड-19 के 12 नए मामले आने के साथ ही कोरोना वायरस संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़कर 2,359 हो गई है। यह जानकारी बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के एक अधिकारी ने दी। अधिकारी ने कहा कि धारावी में इस समय 166 मरीजों का उपचार चल रहा है और 1,952 मरीजों को अब तक अस्पतालों से छुट्टी मिल चुकी है। 
धारावी मॉडल क्या है?
1 अप्रैल को धारावी में कोरोना का पहला केस सामने आने के पहले ही आशंका थी कि यहां स्थिति बिगड़ सकती है क्योंकि 80 प्रतिशत लोग सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। 8 से 10 लाख आबादी वाले उस इलाके में एक छोटे से घर में 10 से 15 लोग रहते हैं। इसलिए सबको न तो होम आइसोलेशन किया जा सकता है और न ही लोग सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर सकते हैं। हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती सार्वजनिक शौचालय ही थे, जिनकी संख्या 450 से अधिक है। शुरू में दिन में दो से तीन बार सार्वजनिक शौचालयों को सैनिटाइज किया जाता था। जब तेजी से केस बढ़े तक दिन में 5 से 6 बार सैनिटाइजेशन किया जाने लगा। शौचालय के बाहर हैंडवाश रखा जाता था। शुरू में चोरी हो गए। लेकिन, बाद में उसकी व्यवस्था की गई। डेटॉल और हिंदुस्तान यूनिलीवर कंपनी ने यहां बड़े पैमाने पर हैंडवाश उपलब्ध कराए। लोगों में साबुन बांटा गया। एनजीओ व अन्य संस्थाओं ने काफी मदद की।
धारावी में मेडिकल की कितनी टीमें थीं?
धारावी में कोरोना संक्रमण पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती थी। इसलिए हमने पूरा होमवर्क कर टीम तैयार की। बीएमसी के कुल 2,450 लोग यहां काम कर रहे थे। उसमें सफाई वाला से लेकर पानी खोलनेवाला तक शामिल था। इसी तरह 1250 लोगों की मेडिकल टीम कॉन्ट्रेक्ट पर थी। इसमें 12 से 13 डॉक्टर शामिल थे। सभी ने दिन-रात काम कर यहां कोरोना को हराने में अहम भूमिका निभाई।
 

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