PM Narendra Modi Leh Visit: पीएम मोदी अचानक क्यों पहुंचे लद्दाख के दुर्गम स्थानों पर?

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पीएम का सीडीएस और थलसेना अध्यक्ष के लेह जाना चीन को साफ और दो टूक संदेश है ड्रैगन को यह बता दिया गया है कि भारत इस तनातनी और उनकी नापाक हरकतों को किस तरह गंभीरता से ले रहा है (Prime Minister Narendra Modi among soldiers after addressing them in Nimmoo, Ladakh)

पीएम के लद्दाख जाने का फैसला गुरुवार शाम को अचानक फाइनल किया गया

राय तपन भारती/संपादक, www.khabar-india.com न्यूज़ वेबसाइट

चीन के साथ सीमा पर चल रहे तनाव के बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शुक्रवार सुबह अचानक लेह पहुंचे। पिछले कुछ हफ्तों से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव की स्थिति है। पिछले दिनों सीमा पर भारतीय-चीनी सैनिकों के बीच हिसक झड़प में कई भारतीय जवान शहीद हुए थे।
पीएम मोदी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल विपिन रावत और थलसेना अध्यक्ष मनोज मुकुंद नरवणे के साथ अचानक लेह पहुंच गए। चीन की आक्रामक पीपल्स लिब्रेशन आर्मी (पीएलए) के खिलाफ सीमा पर भारत की तैयारियों का जायजा लेने के साथ ही पीएम मोदी ने भारत के जोशीले सैनिकों का हौसला आसमान से भी ऊंचा कर दिया है। माना जा रहा है कि पीएम ने ड्रैगन को सख्त संदेश दे दिया है कि हिन्दुस्तान उसे उसी की भाषा में जवाब देने के लिए तैयार है।
प्रधानमंत्री ने लद्दाख के नीमू पोस्ट में थलसेना और वायुसेना के जवानों से मुलाकात की।
सिंधु नदी के तट पर 11,000 फीट की ऊंचाई पर स्थित निमू सबसे दुर्गम पहाड़ियों में से एक है। यह जंस्कार पर्वत श्रृंखला से घिरा हुआ है। पीएम के लद्दाख सेक्टर जाने का फैसला गुरुवार शाम को फाइनल किया गया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने इसके लिए सीडीएस बिपिन रावत से चर्चा की थी। पीएम मोदी, अजित डोभाल और तब सेना अध्यक्ष रहे बिपिन रावत ने एक साथ 2017 में डोकलाम तनातनी के दौरान भी चीन का आक्रामकता का सामना किया था और चीन को पीछे हटने पर मजबूर किया था।
प्रधानमंत्री के इंतजार में लद्दाख की पहाड़ियों में सेना के जवान और अफसर

मोदी को लेह में नॉर्दन आर्मी कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी और 14 कॉर्प्स कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह ने निमू आर्मी हेडक्वॉर्टर में हालात की पूरी जानकारी दी। पीएम ने निमू में जवानों के साथ मुलाकात की। यह लेह का फॉर्वर्ड इलाका है। करीब 11 हजार फीट की ऊंचाई पर पीएम मोदी का इस तरह आकर जवानों से मिलना बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

पीएम मोदी और सेना के सर्वोच्च अधिकारियों का यहां पहुंचना, पूर्वी लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिकों के हौसले को बहुत अधिक बढ़ाने वाला कदम है। पीएम का लेह जाना चीन को साफ और दो टूक संदेश है। ड्रैगन को यह बता दिया गया है कि भारत इस तनातनी और उनकी नापाक हरकतों को किस तरह गंभीरता से ले रहा है।
हालांकि, गुरुवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि चीन से सीमा पर तनातनी को जल्द खत्म करने की अपील की, लेकिन चीनी सीमा पीछे हटने में समय लगाएगी, क्योंकि चीन बातचीत के जरिए समस्या के समाधान के मूड में नहीं दिख रही है। शांति की बातें करते हुए भी पीएलए गलवान, गोगरा, हॉट स्प्रिंग और पैंगोंग त्सो पॉइंट से सैनिकों को पीछे ले जाने में समय लगाने वाला है।
मिलिट्री कमांडर्स के मुताबिक, चीनी सेना अभी भी तनातनी वाले सभी जगहों पर दावा कर रही है। कुछ सैनिकों और गाड़ियों को पीछे ले जाकर वह दिखावा ही कर रही है, लेकिन असल में सैनिकों और हथियारों का जमावड़ा बढ़ाया जा रहा है। पीएलए के सैनिक गलवान घाटी में अड़े हुए हैं और इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहे हैं।
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