चीन ने तैनात किए फाइटर जेट, दवा API की कीमत भी वह तेजी से बढ़ा रहा

0
757

चीन ने भारत से लगी अपनी पूरी सरहद पर अतिरिक्त फाइटर जेट, बमवर्षक विमान और लड़ाकू हेलिकॉप्टर तैनात किए हैं। ये फाइटर जेट लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश की सीमा से लगे एयरबेस पर तैनात किए गए हैं

नई दिल्ली/पेइचिंग: लेह में भारत के मिग-29 और अपाचे लड़ाकू हेलिकॉप्‍टर तैनात करने के बाद चीन ने भी लद्दाख से सटे अपने दो एयरबेस होटान, सिक्किम के पास नग्‍यारी, शिगात्‍से और अरुणाचल प्रदेश के पास नयिंगची में बडे़ पैमाने पर फाइटर जेट, बमवर्षक विमान और हेलिकॉप्‍टर तैनात कर दिए हैं। फार्मा प्रॉडक्ट के मामले में भारत की चीन पर निर्भरता इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि चीन अब इसका गलत फायदा उठाने लगा है। खासकर लद्दाख गलवान घाटी घटना (Galwan valley) के बाद उसने आक्रामक रुख अपना लिया है।

यही नहीं चीन की सेना ने पेंगांग सो झील पर फिंगर 4 के आगे भारतीय सैनिकों को गश्‍त से रोकने के लिए अपनी आक्रामक कार्रवाई और न‍िगरानी को बढ़ा दिया है। द ट्रिब्‍यून की रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने भारत से लगी अपनी पूरी सीमा पर स्थित हवाई ठिकानों होटान, नग्‍यारी, शिगात्‍से और नयिंगची में अतिरिक्‍त फाइटर जेट, बॉम्‍बर और लड़ाकू हेलिकॉप्‍टरों को तैनात किया है। पीएलए अरुणाचल की सीमा पर भी अपनी गतिविधि को तेज कर दिया है। पेंगांग सो झील पर जहां चीन की सेना एलएसी को बदलना चाहती है, वहीं चीनी सेना ने गोगरा हॉट स्प्रिंग में भी बड़े पैमाने पर सैनिकों और हथियार तैनात किए हैं।

3 लाख करोड़ का कारोबार चीन पर निर्भर, बढ़ी निर्भरता तो वह तेजी से बढ़ाने लगा रेट

अगर किसी भी चीज पर आपकी निर्भरता हद से ज्यादा बढ़ जाती है तो वह आपका आसानी से इस्तेमाल कर सकता है। भारत और चीन के मामले भी कुछ इसी तरह हैं। फार्मा प्रॉडक्ट (Pharmaceutical products) के मामले में भारत की चीन पर निर्भरता इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि वह अब इसका गलत फायदा उठाने लगा है। खासकर लद्दाख गलवान घाटी घटना के बाद उसने आक्रामक रुख अपना लिया है।
 
39 अरब डॉलर का दवा तैयार करता है भारत हर साल लगभग 39 अरब डॉलर (करीब 3 लाख करोड़) का दवा तैयार करता है। दवा तैयार करने के जरूरी स्टार्टिंग मटीरियल, API के लिए भारत बहुत हद तक चीन पर निर्भर है। भारतीय कंपनियां 70 फीसदी एपीआई की जरूरत चीन से आयात कर पूरा करती हैं। कुछ दवाओं के लिए यह 90 फीसदी तक है। वित्त वर्ष 2019 में भारत ने चीन से करीब 17,400 करोड़ (2.5 अरब डॉलर) का एपीआई आयात किया था।
 
कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री मिनिस्ट्री के तहत आने वाले फार्मासूटिकल एक्सपोर्ट प्रोमोशन काउंसिल के चेयरमैन दिनेश दुआ ने गलवान घाटी घटना को लेकर कहा कि चीन हम पर दो तरह से हमला कर रहा है। एक तरफ वह सीमा पर हमला कर रहा है और दूसरी तरफ भारत की निर्भरता का गलत फायदा उठाने लगा है। एपीआई की कीमत में तेजी से दवाओं की कीमत बढ़ने लगी है।
 
पेरासिटामोल की कीमत में 27 पर्सेंट की तेजी उन्होंने कहा कि पेरासिटामोल (Paracetamol) की कीमत में 27 पर्सेंट, ciprofloxacin की कीमत में 20% और पेन्सिलीन जी की कीमत में 20% की तेजी आई है। हर तरह के फार्मा प्रॉडक्ट की कीमत में करीब 20 फीसदी की तेजी दर्ज की गई है। भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक यह स्थिति गंभीर इसलिए है कि क्योंकि वॉल्यूम के लिहाज से भारत विश्व का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक है। भारत की प्रमुख दवा बनाने वाली कंपनियां जैसे डॉक्टर रेड्डी लैब, लुपिन, ग्लेनमार्क फार्ममा, मायलन, जायडस कैडिला और पीफाइजर जैसी कंपनियां API के लिए मुख्य रूप से चीन पर निर्भर हैं। भारत 53 महत्वपूर्ण फार्म API का 80-90 फीसदी आयात चीन से करता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here