khabar-india.com वेबसाइट की ओर से चीन के बाबत पूछे जाने पर अधिकतर की सलाह आई कि पूर्ण रूप से चीन से सम्बन्ध विच्छेद करते हुए भारत को चीन का पूर्ण बहिष्कार करना चाहिए। अधिकतर लोग युद्ध के पक्ष में नहीं हैं।
प्रियंका राय और क्षितिज भास्वर, www.khabar-india.com
एक बार चीन ने फिर पड़ोसी भारत के साथ धोखा किया। चीनी पक्ष अपनी सुविधा के अनुसार हमेशा अपना रुख बदलता रहा है जिससे सीमारेखा का स्थायी निर्धारण नहीं हो सका। बीते दिनों कोरोना के वैश्विक संकट के बीच लद्दाख-तिब्बत सीमा पर चीन की सेना से बातचीत के लिए गए हमारे 20 जवानों की निर्मम हत्या से पूरा देश आहत है। इसपर, चीन के साथ कैसा रुख अपनाया जाए? इस पर कइयों की प्रतिक्रिया सामने आई है। खबर-इंडिया.कौम वेबसाइट की ओर से चीन के बाबत पूछे जाने पर अधिकतर की सलाह आई कि पूर्ण रूप से चीन से सम्बन्ध विच्छेद करते हुए भारत को चीन का पूर्ण बहिष्कार करना चाहिए। अधिकतर लोग युद्ध के पक्ष में नहीं हैं। फिलहाल देश की आंतरिक हालत को मजबूत किया जाए और एक सही रणनीति से चीन की गलत मंशा पर विराम लगाया जाए।
Abhinav Sharma: Power respects power. We cannot back down now. We must show our presence in the areas we lay claim to. We lost Aksai Chin for the same reason of never having a presence there.
आदर्श प्रकाश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार, लखनऊ:चीन ने गलवान घाटी में हमारे निहत्थे सैनिकों पर वार किया। वह दगाबाज है उस पर भरोसा नहीं किया जा सकता। देश में चीन के खिलाफ जबरदस्त आक्रोश है। यही मौका है जब सरकार को संसद का आपात सत्र बुला कर चीन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पास करना चाहिए। साथ ही यह फैसला किया जाए कि हम चीन के बने सामानों का बहिष्कार करते हैं। दुनिया में भारत की बढ़ती कूटनीतिक ताकत से चिढ़ा हुआ है। पाकिस्तान के बाद अब उसने नेपाल को भी उकसा दिया है। पिछले साल तमिलनाडु के मल्लपुरम में हमने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग का रेड कारपेट वेलकम किया था। दगाबाज ड्रैगन ने सब धो डाला है। उससे राजनयिक संबंध तोड़ लेना भी उचित रहेगा। हिन्दी चीनी भाई भाई का नारा अब बेमतलब हो चुका है। उसे कड़ा संदेश देने की जरूरत है।
Ajay Sharma Baba, देवरिया: फिलहाल युद्ध ही विकल्प नहीं है। युद्ध की विभीषिका मानवीय हितों के विरुद्ध ही होती है। लेकिन चीन बेहद चालबाज और धोखेबाज हैं तो हमें बेहद सतर्क रहने की भी जरूरत है पहले हम हमला नहीं करेगें इस नीति पर हमें बने रहना चाहिए साथ ही चीन के किसी भी दुस्साहस का जवाब हम पूरी क्षमता के साथ देंगे इसके लिए हमें तैयार रहना पड़ेगा। ध्यान देने की बात यह है की आज की स्थिति में चीन कुटनितिक रूप से पिछड़ चुका है । विश्व बिरादरी उसके खिलाफ है। ऐसी स्थिति का भारत को लाभ लेना चाहिए। चीन को आर्थिक, कुटनितिक, और भौगोलिक रूप से घेरने का यह सबसे सही समय है। असलियत यह है की चीन इस समय कुछ भी करने की स्थिति में नहीं है।
Amit Kumar: युद्ध किसी के हक में ठीक नहीं है। पर पर कड़ा एक्शन के साथ चीन को दिखाना चाहिए कि हम बर्दाश्त नहीं कर सकते है।
Amit Sharma, Allahabad:आज भारत चीन का रिश्ता तनावपूर्ण हालात से गुजर रहा है। मीडिया का एक वर्ग जिस तरह से युद्ध का माहौल बनाने मे जुटा हैं वह सही नहीं है। सत्य है कि 15/16 जून की रात भारत ने अपने सैनिकों को खोया है लेकिन यह भी सही है कि चीन को भी नुकसान उठाना पडा जो वह बता नहीं रह। युद्ध के अलावा बहुत रास्ते है जो चीन को चोट पहुँचा सकता है जिसमे भारत सरकार का महत्वपूर्ण कदम चीन से आयात पर अंकुश लगाना है हम लोग को स्वयं चाहिए कि ज्यादा से ज्यादा चीन निर्मित उत्पादो का बहिष्कार करे, जिससे चीन के अर्थ तंत्र पर चोट पहुचे।
अनामिका राजे, Yog Guru, नई दिल्ली:जनता के भरोसे चीन को आर्थिक चोट करना सैद्धांतिक रूप से अच्छा है, पर जनता कितनी जिम्मेदार है ये कोरोना काल ने सिखाया है। युद्ध काल में थोड़ी भी तकलीफ़ हुई तो आधा देश सरकार की कमर तोड़ने में लग जाएगा। चीनी एकजुट हैं और सरकारी फैसले की कम्यूनिस्ट लगाम से नियंत्रित होते हैं। सरकार को जनता पर निर्भर न रहकर चीन को विश्व पटल पर कूटनीति से तोड़ना होगा, उसकी छद्म युद्ध नीति उसी पर लगानी होगी। युद्ध हमेशा अंतिम विकल्प है, एक भी सिपाही के प्राण व्यर्थ न जाएं, पर यदि युद्ध अपरिहार्य होता है तो हमारे वीर देशभक्ति में विश्व में सबसे आगे हैं। चीन का बुरा समय है, उसने हमारे वीरों को सुलाया नहीं, अपने काल को जगाया है।
Anil Sharma, अहमदनगर, महाराष्ट्र: एक कहावत है कि रोग और शत्रु को कभी भी कमजोर नहीं समझना चाहिए। चीन के एक बार्डर के समीप मैं रहा हूं, नियम यह था कि दोनों सेनाएं अपना हाथ पीछे रखती हैं केवल मुंह से बात करना होता है। भारत भोलेपन में इस नियम का पालन करता है, यही वजह है कि हमारे निहत्थे सैनिक चीन की कुटिलता के शिकार हो गए। पर भारतीय सेना बहुत सबल है और हर जगह सख़्ती से मुंहतोड़ जबाव दे रही है और हमारी सेना हर दुश्मन पर भारी है। कुटनीतिक प्रयास जारी हैं जब शांति के सारे पहल और रास्ते बंद हो जायेंगे तो युद्ध ही एक मार्ग बचता है और उसके लिए लोगों को कहने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
Ashish Sharma: नहीं, युद्ध कोई विकल्प नहीं है। अभी वर्तमान में हमारे संबंध अपने तीनों पड़ोसी देशों से अच्छे नहीं है, पाकिस्तान से तो कभी नहीं अच्छे थे, नेपाल में जो हो रहा है वो वहाँ की कम्युनिस्ट सरकार जो की चीन की कठपुतली की तरह काम करती है। चीन अभी भारत जैसे बड़े देश से लड़ना नहीं चाहेगा, जबकि कॉरोना के कारण कई बड़े देश उसके खिलाफ हैं, भारत को इंटरनेशनल लेवल के हर फोरम पर ताइवान का पक्ष लेकर और हांगकांग के मुद्दे पर चीन को घेरना चाहिए ताकि चीन हमारे बॉर्डर पर दखलंदाजी ना करे।
Awadhesh Roy, दिल्ली/ कटिहार: अभी चीन के साथ युद्ध करना सही नहीं होगा क्योंकि अभी हम कोरोना को खत्म करने में उलझे हुए हैं। हालांकि, हमें अपनी सीमा पर डटे रहना चाहिए ताकि हमारा दुश्मन यह समझे कि भारत की शक्ति 1962 वाली नहीं है। साथ ही हमें ट्रेड वार का इस्तेमाल करते हुए चीनी सामानों का देश में सामूहिक रूप से बहिष्कार करने चाहिए। अगर ऐसा होता है तो चीन की आर्थिक स्थिति बहुत ही प्रभावित होगा और उसे सोचने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। साथ ही हमारे सरकार को भी इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए। एक तरफ तो सरकार कहती है कि हमें लोकल होनी चाहिए तो वहीं वह कुछ कंस्ट्रक्शन के काम जैसे दिल्ली मेरठ टनेल, गुजरात में स्टील प्लांट की स्थापना की मान्यता देती है। इस तरह के दोहरा चेहरा दिखाना सरकार की स्पष्ट नीति के स्वरूप नहीं है। सरकार को इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए। दुनियां के कई देश चीन के विरुद्ध हो चुके हैं और समय का इंतजार करने चाहिए हमें अपने दुश्मन के दांत खट्टे करने के लिए । इसके लिए हमें पूरी तरह से सतर्क और तैयारी रखनी चाहिए। जय भारत।
Brajesh Roy, नवादा, बिहार: चीन को आर्थिक मार मारना चाहिए जो सबसे बड़ा मार होता है चीन से कोई आवागमन कोई व्यवसाय रिश्ता कोई पर्यटन रिश्ता इंडिया को नए रखना चाहिए यही चाइना के लिए बहुत बड़ा नुकसान होगा और भारत का जीत होगा भारत को अपने सेना सामग्री अपने बजट का यथोचित खर्च करना चाहिए
Brijbhushan Prasad: चीन कोशत-प्रतिसत जवाब देना चाहिए।
Bharti Ranjan Kumari, दरभंगा, बिहार:धोखा,छल और कपट के द्वारा सैनिकों की हत्या भारत कभी बर्दाश्त नहीं करेगा। जवाबी प्रतिक्रिया अवश्य होनी चाहिए।ये सत्य है कि हमारे पास अत्यधिक सेना और अत्याधुनिक हथियार का अभाव है मगर हमारे वीरों में देश के लिए जो जज्बा है वो किसी हथियार या सैनिक संख्या की मोहताज नहीं है। भारत के हर घर का बच्चा बच्चा अपने देश पर कुर्बान होने को तैयार है। सरकार रणनीति बनाए और बदला अवश्य ले। अपने देश और सैनिकों की रक्षा के लिए रणनीति तैयार होना चाहिए और किसी भी परिस्थिति में शहीद हुए सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए। “हम सब अपने देश पर मर मिटने को तैयार हैं/ऐ वतन वतन मेरे,आबाद रहे तू/मैं जहाँ रहूँ वहां में याद रहे तू/ऐ वतन, मेरे वतन”
Brijkishore Sharma, Patna:यह समय गंभीर मंथन करने का है। कोई भी फैसला आने वाले पीढ़ी के लिये समस्या न बने। समाज के हर वर्ग को धैर्य रखने का समय है क्योंकि एक भी गलत कदम दोनों देशों के लिये नासूर बन जायेगा।इस वक्त पूरे भारत को एकजुट होकर इस समस्या का हमेशा के लिये निराकरण करना होगा। हमें आर्थिक रूप से खुद को मजबूत करना होगा।कुछ अनावश्यक चीजे जो कि चीन से आता है उसपर रोक लगे जैसे कि इलेक्ट्रोनिक लाइट, खिलौना और छोटे मोटे सामान जो जिंदगी को प्रभावित ना करे।
Diwakar Rai, बंगलोर:Declaring war is most easy things. But unfortunately none of country in situation to go in war. We need to understand real intention of doing these incidents. But we need to start preparing, if war happens, what’s our plan A, B & C. Also we need to work on global factors to fight back.
दीपक शर्मा: युद्ध किसी भी समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सकता परंतु राष्ट्र की एकता,अखंडता व अक्षुण्ता को बनाये रखने के लिए किसी कारगर व सटीक उपाय को अपनाना तो पड़ेगा ही। भारत चाहे तो अपने देश में चाइना के सामानों के आयात पर प्रतिबंध लगाकर उसकी बिक्री पर भी रोक लगा सकता है। जब कोई भी तरीका कारगर न हो तो अंतिम विकल्प युद्ध का बचता है जिसको सामरिक दृष्टि से अंतिम व महत्वपूर्ण माना जा सकता है।
धर्मेन्द्र शर्मा उर्फ गुड्डू, लखनऊ: “युद्ध एकदम अन्तिम विकल्प है। जब तक टल सके टाला जाना चाहिए। युद्ध का भ्रम व नुकसान दुश्मन के मन में भर देना एवं मनोबल तोड़ना एक अच्छी रणनीति होती है। मनोवैज्ञानिक दबाव अन्ततः बनाए रखना उसकी जीत की संभावना को खत्म करना है। दुश्मन को आर्थिक रूप से तोड़ना एक बेहतर विकल्प है। कूटनीतिक रूप से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर उससे युद्ध करने से अधिक उसे बदनाम करना अधिक श्रेयस्कर है।”
Gyanendra Bharti, गाजियाबाद: भारत कूटनीतिक तरीके से इस मसले को हल करने का प्रयास कर रहा है। यही नीति ठीक है। न तो हम उससे लड़ कर जीत सकते है और न ही उससे व्यापार बंद कर सकते है। व्यापार बंद करने पर उससे ज्यादा नुकसान भारत को भी होगा। बातचीत ही एकमात्र रास्ता है। युद्ध करने पर तो नुकसान ही नुकसान है।
Jitendra Sharma Bhatt, बुलंदशहर/फैजाबाद:युद्ध बिल्कुल आखरी विकल्प होना चाहिए!हम भारत को आर्थिक ताकत बना कर ही दबाब में रख सकते क्यों कोई देश की सेना या सरकार युद्ध नही जीतती,वहां की आर्थव्यस्था ही जीतने की मूल वजह बनती है! हम अभी इतने ताकतवर नही,और विदेशी सहयोगियों पर बहुत भरोसा करने लायक भी नही है!ऐसे अवसर पर भी सहयोगी विकसित देश रक्षा साजो सामान के व्यापार की ही ताक में रहते है!
Kanhaiya Bhatt Goswami: जवाब बिल्कुल देना चाहिए क्योंकि चुप रहने से कुछ देश कमजोर समझने लगते हैं।KC Sharma, Faridabad: Army should spend more time on strategic war. Guerilla war from back and sides and main attack from front. Some jawans should sneak in china following longer but unknown routes as Galwan it self was unknown route before being discovered by one Kashmiri, Mr Galwan in whose name the valley is known. And these tingoos call Galwan as theirs.
कल्याण सिंन्हा, वरिष्ठ पत्रकार, नागपुर: सीमा पर चीनी फौज से निपटने में हमारी बहादुर सेना सक्षम है… हमारे बहादुर जवान अपनी जान गंवाकर भी हमारी सीमा की सुरक्षा कर रहे हैं…अब हम नागरिकों का भी फर्ज है कि चीन को मात देने में हम अपना फ़र्ज़ निभाएं…ऐसा कर हम चीन की कमर तोड़ सकते हैं. इसके लिए हमें बस यही करना है कि हम चीनी माल का बहिष्कार करें…अपने हैंडसेट से पहले तो tik-tok और shair-it जैसे सभी चाईनीज App हटा दें…
Manoj kumar sharma, Mehsana, Gujarat: चीन को युद्ध से जबाब देने से पहले हमें उसे आर्थिक एवं व्यापार के मोर्चे पर शिकस्त देना ज्यादा जरूरी है। चीन की असली ताकत है उसका अंतराष्ट्रीय व्यापार में सर्वाधिक मार्केट शेयर उसे अपनी सामरिक गतिविधियों के लिए भी पैसा चाहिए। अतः मेरे विचार से चीनी सामान खासकर मोबाइल आदि का बहिष्कार करना होगा लेकिन हमें आत्मनिर्भर भी बनना पड़ेगा, साथ ही स्वदेशी को अपनाकर हमें अपनी देशी कंपनियों को भी मजबूती देना पड़ेगा।
मनोज कुमार शर्मा कानपुर: चीन को युद्ध से जबाब देने से पहले हमें उसे आर्थिक एवं व्यापार के मोर्चे पर शिकस्त देना ज्यादा जरूरी है. जैसा कि सरकार ने BSNL को चीन से इक्विपमेंट नही लेने को तैयार है वैसे ही प्राइवेट ऑपरेटर को रोकना होगा। आज सभी ऑपरेटरो के सभी 2g 3g 4g इक्विपमेंट 95% चीन के है। अतः मेरे विचार से चीनी सामानों खासकर मोबाइल आदि का बहिष्कार करना होगा|
Murli Maharaj, बिहार: अब तो समय आ गया है कितना दिन किसी को बर्दाश्त कर के आप चुप बैठ सकते है।अगर आप चुप बैठ सकते है तो सामने वाला ये भी सोच सकता है कि इनसे कुछ नही हो पायेगा इसीलिए अब समय आ गया है तगड़ा रूप से जवाब देने का। जय हिंद जय भारत।
Nilesh Rai: Diplomatic and by tightening financial opportunities in India will be the best way. But we should be ready enough to give an appropriate reply to China in their style only.
NK Singh, Senior journalist, Delhi/Ghaziabad: सामरिक स्थिति यह है कि एक देश जो सदियों से सांस्कृतिक-धार्मिक एकात्मकता के तार से जुड़ा हो, अचानक कुछ भूभाग पर दावा करे और सीमा-पार के लोगों के साथ मारपीट करे. दूसरा पडोसी हमेशा सीमा पर उपद्रव करता रहा है लेकिन तीसरा एक सामरिक-आर्थिक महाशक्ति है. ऐसे में किसी भी सरकार और उसके मुखिया के लिए बेहद चिंता की घड़ी होती है. एक भी गलती उसे वर्तमान में जन-अभिमत में हीं नहीं, भावी इतिहास में भी गलत ठहरा सकती है. ऐसे में कांग्रेस नेता राहुल गाँधी का ट्वीट “व्हाई पीएम इस साइलेंट”, “व्हाई इज ही हाइडिंग (प्रधानमंत्री चुप क्यों है, वह क्यों छुप रहे हैं)”, सामान्य मानवोचित व्यावहारिकता के खिलाफ हीं नहीं है, राजनीतिक अदूरदर्शिता भी है।
OM Prakash Sharma: युद्ध तो अंतिम बिकल्प है। चीनी आर्टिकल्स का पूणॅ वहिष्कार हो। आथिॅक ढांचा भारत सरकार के द्वारा पूणॅतः बैन हो। सीमाओं पर ही चीनी आर्टिकल्स पर रोक हो।
पन्ना श्रीमाली, लोकगायक, पटना : जिस तरह से अमेरिका ने चीन के साथ वैश्विक व्यापार बंद नहीं किए बल्कि उसने चीनी प्रोडक्ट पे टैक्स ज्यादा बढ़ा दिया ऐसा ही कुछ रणनीति भारत को भी बनाना चाहिए और सभी भारतीय चीन के प्रोडक्ट को यूज न करें।
Poornima Patil, नागपुर: चीन ने हमेशा धोखाधड़ी ही की है। हमें सख़्त कदम उठाने चाहिए। व्यापारिक तौर पर उसके माल को बहिष्कृत करते हुए आयात पर रोक लगा देना चाहिए। सहिष्णुता से अब काम नहीं चलेगा।
Pradeep Kumar: युद्ध किसी के हक में ठीक नहीं है। पर पर कड़ा एक्शन के साथ चीन को दिखाना चाहिए कि हम बर्दाश्त नहीं कर सकते है। 20 जवान का सहादत देश को झकझोर के रख दिया है और देश में गुस्सा भी हैं।
Priyankar Bhatt, नई दिल्ली: अभी युद्ध समझदारी वाला कदम नहीं होगा। “ट्रैड वॉर” सही कदम है। कोरोना ने वैसे ही देश को काफी आर्थिक क्षति पहुचाई है, युद्ध इस क्षति में इजाफा ही करेगा। हो सकता है ये चीन की शुरुआत से सोची समझी साजिश का हिस्सा हो,पहले कोरोना,फिर युद्ध, या मोटा मोटा कहे तो भारत की जमीन हड़पने का मनसूबा। पाकिस्तान तो वैसे ही तैयार बैठा है क्योंकि अभी उसका मसीहा चीन बना हुआ है, हम कमजोर बिल्कुल नहीं पर दो तरफा हमला बहुत नुकसानदायक हो सकता है। युद्ध को इस वक़्त अंतिम रास्ता रखना चाहिए।
Rajeev Bharddwaj, पानीपत, हरियाणा: जी,सबक तो ज़रूर सिखाना चाहिए,लेकिन उसमें हमारे सैनिकों की भी जान जाएगी। इसलिए युद्ध की बजाय देश के लोगों को चीनी सामान का पूर्णतया बहिष्कार करके उसे सबक सिखाना आसान है। जय भारत।
राजीव कुकरेजा, वरिष्ठ पत्रकार, रांची:चीन और पाकिस्तान दो ऐसे देश है जिनके ऊपर में विश्वास नहीं किया जा सकता इन दोनों देशों की कमर तोड़ने का एक ही रास्ता है कि इनके यहां से सामान मंगवाना बंद कर दिया जाए यह काम देश की जनता ही कर सकती है जनता अगर इनका सामान खरीदना बंद कर दें तो इनकी कमर टूट जाएगी सरकार भी इन दोनों देशों की कंपनियों को भारत में व्यापार करने की इजाजत ना दें और ना ही इनसे सामान का आयात करें इस तरह इन देशों का सम्मान ना खरीद कर मनोवैज्ञानिक दबाव डाला जा सकता युद्ध करना ही विकल्प नहीं है इससे दोनों देशों को नुकसान होगा आयात बंद कर इन देशों को बहुत बड़ा झटका दिया जा सकता है।
राकेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, इलाहाबाद: भारत को एक लंबी सोच के साथ चीन के साथ लड़ना चाहिए और चीन को आर्थिक रूप से ही तोड़ने पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए चीन में स्थापित विदेशी कंपनियों को किसी भी तरीके से भारत लाने की आवश्यकता है ताकि चीन पर आर्थिक रूप से दबाव बने इस समय मिलट्री एक्शन कतई अच्छा निर्णय नहीं होगा।
रामसुंदर दसौंधी, रांची, jharakhand: चीन ने भारत के साथ विश्वासघात किया है। 1996 के समझौता के अनुसार कोई हथियार लेकर गश्ती नहीं करना था। परंतु ये लोग लोहे के छड़ और कंटीले तारों को लेकर आ गये थे। यह समझौते का उल्लंघन है। 6जून की सहमति के अनुसार इन्हें वास्तविक नियंत्रण रेखा से 5 किमी पीछे जाना चाहिए था परंतु इन लोगों ने इसका भी उल्लंघन कर हमारे जवानों पर हमला कर दिया और 20 जवानों को शहीद कर दिया। इसका जवाब तो अवश्य देना होगा। परंतु अवसर देखकर पहला काम तो चीनी उत्पादों का आयात तुरंत प्रभाव से बंद कर देना चाहिए। चीन की कंपनियों को दिए गए काम को बंद कर दिया जाना चाहिए। इस प्रकार आर्थिक प्रहार तुरंत करना चाहिए। उपयुक्त अवसर देखकर सैनिक अभियान से भी इन्हें सबक सिखाना चाहिए।
Raushan Kumar, बंगलोर: युद्ध समस्या का हल तो नहीं है पर उसे सबक सिखाने की आवश्यकता जरूर है ।इसके लिए हमें उनके प्रोडक्ट और किसी भी प्रकार के सर्विस को तत्काल बंद कर देना चाहिए। स्वदेशी का उपयोग ज्यादा से ज्यादा करना चाहिए।
Roy Tuhin Kumar, पटना: यदि भारतीय सेना मानती है कि उसने भी 43चीनी सैनिकों को मारा या घायल किया है तो दुबारा चीन से प्रतिशोध लेना ठीक नहीं।किंतु भारत सरकार और देशवासियों को चीनी सामग्रियों को पूर्णतः वहिष्कार कर उसकी अर्थव्यवस्था को कमजोर करनी ही चाहिए।
संजय दवे, एडिटर, The Gujarat Report.Com,अहमदाबाद, गुजरात:
“दोनों देशों के सैनिकों के बीच सीमा उल्लंघन को लेकर आपसी शाब्दिक ओर शारीरिक लड़ाई हुई जिसमें ऊंचाई पर घटना होने के कारण अकस्मात दोनों देशों के सिपाही हताहत हुए। अब जब तक चीन सरकार की ओर से मूर्खतापूर्ण कोई टिप्पणी न आए तब तक हमे युद्ध के बारे में नहीं सोचना चाहिए। मोदी सरकार जानती है कि शाब्दिक जवाब देना और हथियारों से जवाब देने में कितना अंतर है। कोरोना “लोकडाउन” के कारण पूरे देश की इकोनॉमी टूटी हुई है। पर भारत जब भी कोई कड़ा कदम उठाएगा तब हर देश भारत का साथ देगा। इसलिए थोड़ा और इंतज़ार करना देश के लिए समझदारी होगी!
Sharad Bhatt, लखनऊ: If preparations are Right , War , is a GOOD option. However , If Objectives are to cause destruction / harm , than there are other options as well .We must employ all the methods , including International politics & WAR to cause harms to adversaries .However , Brand Value earned as a result of 1962 , if is intended to be changed ,”Victory in WAR” is the only way.
Vijay Maharaj: युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं है।
Vishal raj, ranchi/Jamashedpur: Initiation should not be from Indian side. But reply if China initiates it. China could have an advantage because of India’s current economic condition।