कोरोना की दवा लगभग तैयार, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में परीक्षण शुरू

0
783

भारत के अलावा चीन, इंग्लैंड, अमेरिका में 20 से भी ज़्यादा कोरोना वैक्सीन बनाने का काम जारी 

भारत में यह कमाल करने वाली प्रयोगशाला पुणे का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है। जिसने जीवित कोरोना वायरस पर दवाओं का ट्रायल शुरू किया है। इसका ट्रायल पूरा होने में कई सप्ताह या महीनों तक का समय लग सकता है।

अमित रंजन/नई दिल्ली

 कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर मचा रखा है। दुनिया भर में मेडिसिन क्षेत्र के वैज्ञानिक इसकी कारगर दवाई बनाने में जुटे हुए हैं। कोरोना संकट से जूझ रहे लोगों को बचाने के लिए देश के सभी तकनीकी संस्थान युद्ध स्तर पर काम कर रहे हैं। अभी तक संक्रमण की दवा तो दुनिया में कोई भी नहीं बना पाया है, लेकिन भारत के वैज्ञानिकों ने दो सप्ताह पहले से दवा का परीक्षण शुरू कर दिया है। वैज्ञानिक अभी जानवरों पर रिसर्च की स्टेज पर हैं और इस साल के अंत तक इंसानों को इससे फायदा मिलने की उम्मीद कर रहे हैं। वैज्ञानिक अभी जानवरों पर रिसर्च की स्टेज पर हैं और इस साल के अंत तक इंसानों को इससे फायदा मिलने की उम्मीद कर रहे हैं।

सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका संक्रमण और मौतों के मामले में टॉप पर बना हुआ है। उसके बाद इटली, फ्रांस और जर्मनी का नंबर आता है। सभी देश कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए टीका और अन्य कारगर दवाएं बनाने में लगे हुए हैं। कोरोना के टीके की खोज के लिए ब्रिटेन सरकार ने 1.4 करोड़ पाउंड खर्च करने के लिए हरी झंडी दे दी है।
शनिवार, 21 मार्च को डोनॉल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया-”हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन और एज़िथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन मेडिसिन की दुनिया में बड़ा गेम चेंजर साबित हो सकता है। एफ़डीए ने ये बड़ा काम कर दिखाया है- थैंक्यू।” पर अमेरिका में ही  बहुत सारी लोगों को ट्रंप के बयान पर शक है। चीन को भी वैक्सीन के आरंभिक रिसर्च में सफलता मिली है।
भारत में यह कमाल करने वाली प्रयोगशाला पुणे का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी है। जिसने जीवित कोरोना वायरस पर दवाओं का ट्रायल शुरू किया है। इसका ट्रायल पूरा होने में कई सप्ताह या महीनों तक का समय लग सकता है। आईसीएमआर ने भी अप्रैल के पहले सप्ताह से दवाओं के ट्रायल की पुष्टि की है।
एनआईवी पुणे के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक किसी भी दवा के ट्रायल में कम से कम 10 से 12 दिन का समय लगता है। इसके बाद ही इस पर फैसला लिया जाता है। इसमें अभी वायरस को आइसोलेट किया गया है। हालांकि भारत ने पहले मामले के साथ ही वैज्ञानिक प्रयोग शुरू कर दिए थे। इसके चलते वायरस को आइसोलेट करने में करीब डेढ़ महीने का समय लगा। इसी के साथ ही भारत भी चीन, अमेरिका, जर्मनी, कोरिया की तरह वायरस को आइसोलेट करने में तो सफल हो गया लेकिन कौन सी दवा से वायरस नष्ट होगा, इसका अभी पता नहीं चल सका है। इसलिए अभी इसी का पता लगाने के प्रयास लगातार किए जा रहे हैं।
Send comment on : khabar-national@gmail.com 

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here