फ्रांस में कोरोना मरीजों के इलाज में ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन दवा से 91.7% पूरी तरह संक्रमण मुक्त हो गए, इस इलाज से किसी भी तरह का कार्डियक नुकसान नहीं हुआ
राय तपन भारती/नई दिल्ली
मलेरिया के इलाज के लिए उपयुक्त मशहूर दवा ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (hydroxychloroquine)’ और एजिथ्रोमाइसिन (Azithromycin) की डिमांड पूरी दुनिया में अचानक बढ़ गई है खासकर यूरोप और अमेरिका में। कोरोना वायरस महामारी को रोकने में इस दवा को कारगर माने जाने लगा। सबसे पहले जयपुर के डाक्टरों ने ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा से करोना वायरस रोगियों को ठीक किया। अमेरिका ने भारत से मलेरिया के इलाज के लिए उपयुक्त ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा भेजने का आग्रह किया था और ट्रंप की धमकी के अगले ही दिन भारत की ओर से इसके लिए अनुमति दे दी गई। इसके बाद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘महान’ बताया।
हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन दवाओं से ही फ्रांस, चीन, भारत समेत अधिकतर देशों में इलाज हो रहा है और मरीज तेजी से ठीक भी हो रहे हैं। भारत में यह दवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है। यही वजह है कि अमेरिका सहित दुनिया के कई देश भारत से इसकी मांग कर रहे हैं। फ्रांस में कोरोना के 1061 मरीजों पर लगातार 3 दिनों तक इन दोनों दवाओं के जरिए इलाज किया गया। नौंवे दिन जब जांच की गई तो 973 मरीज (91.7%) पूरी तरह संक्रमणमुक्त हो गए। नतीजों में यह भी पता चला कि इस इलाज से किसी भी तरह का कार्डियक नुकसान नहीं है। सबसे बड़ी बात कि इसके सेवन से मरीज 98% तक कोरोना बीमारी से ठीक हो गए।
भारत में अनेक राज्यों के अस्पतालों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन-एजिथ्रोमाइसिन के जरिए कोरोनावायरस का इलाज हो रहा है। भारत के आईसीएमआर ने अब तक 11 करोड़ हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और 25 लाख एजिथ्रोमाइसिन टैबलेट कोरोना के इलाज में जुटे डॉक्टर्स और स्वास्थ्य कर्मियों को मुहैया कराई है। आईसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि यह दवा फिलहाल उन्हीं मरीजों को दी जा रही है, जो आईसीयू में हैं या वेंटिलेटर पर हैं। दवा कब और कितनी देनी है, यह निर्णय इलाज में जुटे डॉक्टर्स को लेना है। कोरोना जैसे लक्षण वाले मरीजों को यह दवा नहीं दी जा रही है।
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हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन दवा किस काम आती है? -ये मलेरिया प्रतिरोध दवा है। ये एक एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन प्रतिरोधी) दवा है। इसलिए ये संधिपात गठिया व ल्यूपस जैसी बीमारियों में भी कारगर है। ल्यूपस तो बहुत ही खतरनाक बीमारी है। ल्यूपस प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करने वाली बीमारी है। इस बीमारी में त्वचा में सूजन, गुर्दे, जोड़ों, फेफड़ों, मस्तिष्क, रक्त कोशिकाओं और दिल जैसे विभिन्न शरीर प्रणालियां प्रभावित होने लगती हैं। ल्यूपस का निदान कई बार बहुत मुश्किल हो जाता है।
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फ्रांस के जाने-माने संक्रमण रोग विशेषज्ञ प्रोफेसर दिदिएर रोल्ट के मुताबिक हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन दवा कोरोना के खिलाफ कारगर है या नहीं, इस बात का पता लगाने के लिए हमने स्टडी की। 3 मार्च से 9 अप्रैल 2020 तक 59,655 नमूने की जांच के बाद हमने 38,617 मरीजों की कोविड-19 की जांच की। इसमें से 3165 मरीज कोरोना पॉजिटिव पाए गए। इनमें से 1061 मरीजों का हमने अपने इंस्टीट्यूट में इलाज किया। इन मरीजों की औसत उम्र 43.6 वर्ष थी और इनमें 492 पुरुष थे। 10 दिनों तक इसी दवा से हमने इलाज किया तो पाया कि 973 मरीज पूरी तरह ठीक हो गए। किसी भी मरीज में कार्डियक का किसी भी तरह का खतरा नहीं पाया गया।
भारत में भी केवल मेडिकल स्टाफ के लिए यह दवा
भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन-एजिथ्रोमाइसिन दवा केवल उन्हें ही लेने की इजाजत दी गई है जो कोरोना प्रभावित जगहों पर काम कर रहे हैं यानी हेल्थ वर्कर्स और कोविड-19 मरीजों के संपर्क में रहने वाले लोग। सरकार ने साफ किया है कि ‘कम साक्ष्य’ के आधार पर मेडिकल स्टाफ और कुछ अन्य को यह दवा लेने की इजाजत दी गई है।
भारत में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन-एजिथ्रोमाइसिन दवा केवल उन्हें ही लेने की इजाजत दी गई है जो कोरोना प्रभावित जगहों पर काम कर रहे हैं यानी हेल्थ वर्कर्स और कोविड-19 मरीजों के संपर्क में रहने वाले लोग। सरकार ने साफ किया है कि ‘कम साक्ष्य’ के आधार पर मेडिकल स्टाफ और कुछ अन्य को यह दवा लेने की इजाजत दी गई है।
यह दवा आम लोगों के लिए नहीं : अटलांटा अस्पताल, गाजियाबाद की फिजिसियन डा नीतू सिंह कहती हैं कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन-एजिथ्रोमाइसिन दवा आम लोगों के लिए नहीं है। डॉक्टर समेत वैज्ञानिकों ने अभी इस बारे में कोई भी पुख्ता जानकारी नहीं होने की बात कही है। इतना जरूर है कि जहां कोरोना का संक्रमण ज्यादा है, वहां इस दवा को लेने की इजाजत जरूर दी गई है।