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एचएलएल ने ‘मेकश्योर’ नाम से किट बनाया है जो मरीज के सीरम, प्लाज्मा या खून लेकर नोवेल कोरोना वायरस एंटीबॉडी की पहचान कर सकता है
उदय चन्द्र सिंह/ नई दिल्ली
देश में कोरोना की जांच में तेजी लाने की सरकार पूरी तैयारी कर रही है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एचएलएल लाइफकेयर और राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (RGCB) ने ऐसे रैपिड टेस्ट किट का विकास किया है, जिनसे 350 से 400 रुपये में ही एक टेस्ट किया जा सकेगा।
एचएलएल लाइफकेयर लिमिटेड तिरुअनंतपुरम मुख्यालय वाली कंपनी है जो केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के तहत संचालित होती है। दूसरी तरफ, राजीव गांधी सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी (RGCB) केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत संचालित राष्ट्रीय संस्थान है. दोनों ने कोरोना संक्रमण की पहचान के लिए अलग-अलग रैपिड डायगनोस्टिक एंटीबॉडी किट का विकास किया है. ये दोनों मंत्रालय डॉ हर्ष वर्धन के अधीन है।
एचएलएल ने ‘मेकश्योर’ नाम से एक किट बनाया है जो मरीज के सीरम, प्लाज्मा या खून लेकर नोवेल कोरोना वायरस (COVID 19) एंटीबॉडी की पहचान कर सकता है। एचएलएल का यह किट उसके मानेसर, हरियाणा स्थित कारखाने में तैयार किया गया है और इसे एनआईवी पुणे तथा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के द्वारा भारत में इस्तेमाल के लिए मंजूर किया गया है। एचएएल ऐसी पहली सार्वजनिक कंपनी है जिसे कोविड-19 के रैपिड एंटीबॉडी किट के निर्माण और आपूर्ति के लिए आईसीएमआर से मंजूरी मिली है। कंपनी की योजना ऐसे 2 लाख किट अगले दस दिन में अस्पतालों और जांच केंद्रों तक पहुंचाने की है।