मुगल गार्डन में अंग्रेजी शैली के साथ-2 मुगल शैली की झलक

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एक लंबे अंतराल के बाद राष्ट्रपति भवन के मुगल गार्डन जाने का अवसर मिला

मुगल गार्डन में उत्तर से दक्षिण की और दो नहरें व दो नहरें पूर्व से पश्चिम को बहती हैं, जिनके बीच में संगम पर कमल के आकार के 6 फव्वारे बने हुए हैं। ये नहरें बाग को चार भागों में विभाजित करती हैं। इन फव्वारों से 12 फीट की ऊंचाई तक पानी की धार निकलती है। 

Written by Roy Tapan Bharati

कभी कभी अपने शहर में भी लोग बहुत सारी खूबसूरत सैरगाह पर जाने का वक्त नहीं निकालते और महंगी यात्रा कर विदेश हो आते हैं। मुझे 22 साल हो गया दिल्ली एनसीआर में बसे हुए और दूसरी दफा राष्ट्रपति भवन के खूबसूरत मुगल गार्डन को देखने आया।
रविदास जयंती पर सरकारी दफ्तरों में छुट्टी होने के कारण मुगल गार्डन के बाहर पर्यटकों की लंबी कतार थी। पर किसी की मेहरबानी से जल्दी ही प्रवेश मिल गया। अंदर घुसते ही चारों तरफ खूबसूरत नजारा। मुझे पता था कि मुगल गार्डन को देखने के लिए खूब पैदल चलना पड़ेगा। पर पत्नी, बेटी सब तैयार। मुगल गार्डन देखने के लिए कोई शुल्क नहीं।
 
आज भीड़ इतनी कि सुरक्षा कर्मी सामान्य लोगों को कहीं भी अधिक देर तक रुकने नहीं देते थे। एक अच्छी बात की कि सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस सलमान के दिल्ली आगमन के बावजूद सरकार ने राष्ट्रपति भवन जाने पर पाबंदी नहीं लगाई। कल और परसों पाकिस्तान में सलमान के आगमन पर इस्लामाबाद की सड़कों पर आम जनता को चलने नहीं दिया गया।
 
पहले मुगल गार्डन की संक्षिप्त कहानी। जब साल 1911 में ब्रिटिशों ने देश की राजधानी कलकत्ता से बदलकर दिल्ली की, तो उन्होंने दिल्ली को नया रूप देने के लिए मशहूर ब्रिटिश वास्तुकार एडवर्ड लुटियन्स को इंग्लैंड से भारत बुलाया। लुटियन्स ने दिल्ली आने के बाद वायसराय हाउस (वर्तमान राष्ट्रपति भवन) के लिए रायसीना की पहाड़ी को चुना और एक नक्शा तैयार किया, जिसमें भवन के साथ एक ब्रिटिश शैली का गार्डन भी था। तत्कालीन वाइररॉय लॉर्ड हार्डिंग की पत्नी लेडी हार्डिंग ने श्रीनगर में निशात बाग और शालीमार बाग देखे थे जिन्होंने उनका मन मोह लिया था, तब उन्होंने यहां पर भारतीय शैली के गार्डन बनाने का प्रस्ताव दिया था।
 
मुगल गार्डन देश की राजधानी नई दिल्ली में राजपथ के पश्चिमी छोर पर बने राष्ट्रपति भवन के पीछे के हिस्से में स्थित है। राष्ट्रपति भवन लगभग 130 हेक्टेयर (320 एकड़) में फैला है, जिसमें यह विशाल उद्यान भी शामिल है। यहां पर आप दुनियाभर के खूबसूरत रंग-बिरंगे फूलों को देख सकते है।
 
मुगल गार्डन के इस उद्यान में अंग्रेजी शैली के साथ-2 मुगल शैली की झलक साफ़ देखी जा सकती है। यह गार्डन हर साल बसंत ऋतु यानी फरवरी के महीने में पर्यटकों के लिए खुलता है। यह उद्यान दिल्ली में सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक उद्यानों में से एक है।
 
यहां पर उत्तर से दक्षिण की और दो नहरें व दो नहरें पूर्व से पश्चिम को बहती हैं, जिनके बीच में संगम पर कमल के आकार के 6 फव्वारे बने हुए हैं। ये नहरें बाग को चार भागों में विभाजित करती हैं। इन फव्वारों से 12 फीट की ऊंचाई तक पानी की धार निकलती है। इन फव्वारे के सामने मैंने एक वीडियो रिपोर्टिंग की। देखिए आपको कैसा लगा।

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