ये देश की पहली ट्रेन है जो यूरोपीय ट्रेनों को टक्कर देती हुई नज़र आती है। भारतीय रेलवे ने अभी इस ट्रेनकी बाहरी बनावट को ही मीडिया को दिखाया है।
नई दिल्लीः यूरोपीय ट्रेनें जैसी ट्रेनें अब भारतीय पटरियों पर भी जल्द दौडेंगी। टी-18 नाम की ट्रेन-18 देश की पहली ऐसी ट्रेन है जिसमें अलग से कोई इंजन नहीं है बल्कि इसके कई डिब्बे हैं ऐसे हैं जो सेल्फ़ पावर्ड हैं जो तेज रफतार को झेल सकता है। शताब्दी ट्रेन की जगह लेने वाली इस ट्रेन 18 का एक डेढ़ महीने तक ट्रायल होगा जिसके बाद ये भारतीय पटरियों पर दौड़ने के लिए तैयार होगी।
यह सेमी हाई स्पीड ट्रेन 160 किमी प्रति घण्टा की रफ्तार से दौड़ेगी। ये ट्रेन वाईफई से लेस होगी। अभी तक रेल के डिब्बे 30-40 पुरानी तकनीक पर आधारित थी। इस ट्रेन सेट में डिस्ट्रीब्यूटर पावर है। इसके डिब्बों में ऑटोमैटिक स्लाइडिंग डोर लगे हैं जो ट्रेन की स्पीड जीरो होने पर खुद ब खुद खुल जाएंगे। कुछकुछ मेट्रो ट्रेन की तरह। इस ट्रेन से शताब्दी के सफर का अनुभव बिल्कुल बदल जाएगा।
भारतीय रेल को नई दिशा देने वाली ट्रेन ट्रेन 18 बनकर तैयार है। दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन पर पंहुची ये ट्रेन पत्रकारों को दिखाने के लिए आई थी। ये देश की पहली ऐसी ट्रेन है जिसमें अलग से कोई इंजन नहीं है। बल्कि इसमें ऐरो डायनामिक ड्राइवर कोच होगा। ये देश की पहली ट्रेन है जो यूरोपीय ट्रेनों को टक्कर देती हुई नज़र आती है। भारतीय रेलवे ने अभी इस ट्रेन का बाहरी बनावट को ही मीडिया को दिखाया है।
ऐरो डायनामिक स्टाइल में बनी इस ट्रेन का अगला हिस्सा कुछ कुछ बुलेट ट्रेन का सा लगता है। अब तक ट्रेन में इंजन देखा होगा लेकिन इसमें कोई भारी भरकम इंजन नहीं है बल्कि ड्राइवर कैब है। ड्राइवर कैब से जुड़े डिब्बे को मिलाकर इसमें कुल 16 कोच हैं।
T-18 की खासियत
18 महीने में बनकर तैयार हुई है.
इस ट्रेन को बनाने में 100 करोड़ की लागत आयी है.
अगले एक से डेढ़ महीने ट्रायल होगा.
मुरादाबाद- सहारनपुर रुट पर इसका ट्रायल होगा.