रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने बीते साल दिसंबर में ही अपनी वायरलेस सेवा को अचानक बंद कर दिया था। अमेरिकन टावर कॉर्पोरेशन ने इसी बाबत अनिल अंबानी की दोनों कंपनियों पर समझौते से बाहर निकलने का शुल्क (एग्जिट फी) और सेवा शुल्क के रूप में लगभग 230 करोड़ रुपये की मांग की है।
नई दिल्ली: भारत के 50वें सबसे अमीर अनिल अंबानी की दो कंपनियों की हालत बेहद खस्ता है। इन कंपनियों के खजाने में 19 करोड़ रुपये ही मौजूद हैं। ये कंपनियां रिलायंस टेलीकॉम और उसकी इकाई रिलायंस कम्यूनिकेशंस लिमिटेड हैं। इन दोनों ही कंपनियों के देश भर में कुल 144 बैंक खाते हैं, जिनमें रिलायंस कम्यूनिकेशंस लिमिटेड के कुल 119 बैंक खाते हैं और इन खातों में करीब 17.86 करोड़ रुपये हैं।
वहीं, दूसरी कंपनी रिलायंस टेलीकॉम के 25 बैंक खाते हैं और इन खातों में कंपनी के मात्र 1.48 करोड़ रुपये ही जमा हैं। दिल्ली हाईकोर्ट में अमेरिकन टावर कॉर्पोरेशन की ओर से दायर मुकदमे की सुनवाई के दौरान ये जानकारी इन दोनों कंपनियों ने खुद दी है।
अमेरिकन कंपनी ने रिलायंस कम्यूनिकेशंस लिमिटेड पर 230 करोड़ रुपये का बकाया होने का दावा किया है। दोनों कंपनियों ने गत महीने ही अदालत में इससे संबंधित ऐफिडेविट जमा किया था और बैंक विवरण देने के लिए कुछ समय मांगा था।
रिलायंस कम्यूनिकेशंस ने बीते साल दिसंबर में ही अपनी वायरलेस सेवा को अचानक बंद कर दिया था। अमेरिकन टावर कॉर्पोरेशन ने इसी बाबत अनिल अंबानी की दोनों कंपनियों पर समझौते से बाहर निकलने का शुल्क (एग्जिट फी) और सेवा शुल्क के रूप में लगभग 230 करोड़ रुपये की मांग की है।
अब रिलायंस कम्यूनिकेशंस को समझौते से बाहर निकलने के लिए शुल्क चुकाने पड़ेंगे। पर अंबानी की इन कंपनियों ने अपने बैंक खातों में बहुत कम रकम होने की जनकारी अदालत को दी है इससे इस मामले में एक नया मोड आ गया है।