साथी जज हमेशा यह कहकर दूसरों से परिचय कराते थे- हमारी नई महिला जज से मिलिए। जैसे मैं महिला हूं यह नजर नहीं आ रहा हो। वे समारोह आदि में चाहते थे कि मैं चाय पानी का इंतजाम करूं। सेठ अगस्त 1991 को हिमाचल हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद का शपथ ग्रहण करके देश में किसी राज्य की पहली मुख्य न्यायाधीश बनी थीं।
पंकज कुमार महाराज/ दुमका (झारखंड)
अपने देश में हाईकोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश लीला सेठ भी लिंग भेद की शिकार हुई थीं। उन्होंने एक बार खुलासा किया था कि उनकी सेवा के शुरुआती वर्षों में ऐसा हुआ था लेकिन उन्होंने दृढ़ता से अपना काम किया और एक वकील से न्यायाधीश किस तरह बना जाए यह सीखा।
84 वर्षीया सेठ ने पटना हाईकोर्ट से एक वकील के रूप में अपना कैरियर शुरू किया था। कलकत्ता हाई कोर्ट जाने से पहले 10 साल तक वह पटना में रहीं। अंततः उन्होंने दिल्ली में बसने का निर्णय किया। दिल्ली में पांच साल वकालत करने के बाद 1977 के जनवरी में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का वरिष्ठ अधिवक्ता मनोनीत किया गया। 25 जुलाई 1978 को दिल्ली हाई कोर्ट की न्यायाधीश नियुक्त हुई।
न्यायाधीश पद की शपथ लेने के बाद परंपरा थी मुख्य न्यायाधीश के अनुभव का लाभ लेने के लिए नया न्यायाधीश उनके साथ बैठेगा, पर ऐसा नहीं हुआ। मुख्य न्यायाधीश अपने पुरातनपंथी विचारों के कारण महिला के साथ न केवल खुली अदालत में साथ में बैठने को लेकर बल्कि सुनवाई के बाद मामलों पर चर्चा और फैसले के लिए बंद कमरे में अकेले बैठने को लेकर चिंतित थे।
मुख्य न्यायाधीश ने उनसे कह दिया- वह ऐसा नहीं कर सकते। इसकी वजह से वह एक वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ बैठीं। सेठ के शब्दों में, “वह पश्चिमी सभ्यता और स्वच्छ विचारों वाले सौम्य व्यक्ति थे। उन्होंने बहुत बारीकी से मुझे पढ़ाया कि किस तरह एक वकील को न्यायाधीश के रूप में बदलना है।” सेठ ने हाल में “द इक्वेटर लाइन” पत्रिका में लिखे लेख में यह बात कही है।
वकीलों के बारे में उनका कहना है कि मेरे सवाल पूछने पर उन्हें लगता था कि सबसे आसान तरीका माई लॉर्ड कहकर साथ के पुरुष जज की ओर देखना था जैसे लगे कि सवाल उन्होंने ही पूछा है। ऐसा शायद ही कभी हुआ कि उन्हें सही ढंग से संबोधित किया गया।
साथी जज हमेशा यह कहकर दूसरों से परिचय कराते थे- हमारी नई महिला जज से मिलिए। जैसे मैं महिला हूं यह नजर नहीं आ रहा हो। वे समारोह आदि में चाहते थे कि मैं चाय-पानी का इंतजाम करूं। सेठ 5 अगस्त 1991 को हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पद का शपथ ग्रहण करके भारत के किसी राज्य की पहली मुख्य न्यायाधीश बनी थीं। इस आलेख के माध्यम से लोगों को विदित कराना है न कि किन्हीं के प्रतिष्ठा व सम्मान का हनन कराना। उपरोक्त पोस्ट को मद्देनज़र मैंने यह जीवंत उदाहरण प्रेषित किया है।