एक ब्रैंड नई सीरीज़ सपनों के सौदागर – The Dream Merchants, जो आज से हर रात आपको हमारी हिंदी फिल्मों की शुरुआत से अब तक के सफर पर ले चलेगा
अभिषेक भट्ट/लेखक
फिल्मों के बारे में बात करना सपनों के बारे में बात करने जैसा है, क्योंकि सिनेमा सपने की भाषा का उपयोग करता है। इसमें जहां कई साल एक सेकंड में गुजर सकते हैं तो वहीं आप एक स्थान से दूसरे स्थान पर पल भर में जा सकते हैं। यह छवियों की अपनी ही अलग दुनिया है जो सपनों से रची होती है।
वैसे तो सिनेमा का विश्वव्यापी अस्तित्व है और हर देश अपने समाज के हिसाब से फिल्में बनाता है, लेकिन भारत मे सिनेमा का प्रभाव कुछ खासा ही है क्योंकि भारत में गरीबी की रेखा से नीचे रहनेवाले लोगों की तादाद बहुत है। ऐसे लोगों की भी यहां कोई कमी नहीं जो कड़ी मेहनत करके अपने अस्तित्व को बनाये रखने की जद्दोजहद में लगे रहते हैं।
निम्न और मध्यवर्गीय भारत की यह जनता कुछ पल के लिए अपने गमों, मुसीबतों और तकलीफों को भूल कर अपनी ज़िंदगी को चटखते रंगों, हंसी खुशी से भरे खूबसूरत पलों और संगीत से भरी दुनिया में देख कर सुकून पाना चाहती है। भारतीय सिनेमा उन्हें यह सब प्रदान करता है।
सपनों से सजी सिनेमा की ये दुनिया बड़ी विचित्र है जहां फिल्मों को देखते वक़्त लोगों को ये पता होता है कि यह वास्तविक नहीं फिर भी हम आप उस फ़िल्म जिसे हम देख रहे होते हैं उसकी कहानी और किरदारों के माध्यम से उससे जुड़ जाते हैं। तभी तो किसी फ़िल्म जिसे देखते हुए हम जुड़ गए होते हैं उसके साथ कभी हंसते भी हैं तो कभी रोते भी हैं। वहीं अगर हम किसी फिल्म से जुड़ नहीं पाते उसे सिरे से ख़ारिज़ कर देते हैं।
लेकिन हमारे देश में इस सपनों के संसार में दर्शकों को ले जाने की शुरुआत कब और कैसे हुई?? आखिर वो कौन लोग थे जिन्होंने भारतीय रुपहले पर्दे यानी सिल्वर स्क्रीन पर इस अद्भुत संसार को रचा? आज सिनेमा जिस अवतार में है वह क्या शुरू से ऐसा था या इसकी तस्वीर कुछ और थी?
इन सारे सवालों के जवाब हासिल करने के लिए हमें अतीत की तरफ मुड़ना होगा जहां से भारतीय फिल्म इतिहास की शुरुआत हुई, इस सफर में हमारे हमसफ़र होंगे गुज़रे ज़माने से लेकर आज तक के इंडियन फिल्ममेकर्स यानी फ़िल्म प्रोड्यूसर डाइरेक्टर्स और उनके संघर्षों की दास्तान साथ ही होंगी उनसे जुड़ी कुछ चटपटी मज़ेदार बातें भी और ऐसी रोचक जानकारियां जो आपको पहले जानने को नहीं मिली होंगी।
इसी उद्देश्य से मैं अभिषेक भट्ट आपकी नज़र करता हूं एक ब्रैंड नई सीरीज़ सपनों के सौदागर – The Dream Merchants जो आज से हर रात आपको हमारी हिंदी फिल्मों की शुरुआत से अब तक के सफर पर ले चलेगा।
(कल बातचीत शुरू करेंगे शोमैन ऑफ द मिलेनियम राज कपूर की फिल्मी यात्रा से जुड़ी बातों से) Email of Writer: abhishek.bhatt5@gmail.com