जब बर्फ से नहाए मीलों तक फैले अन्टार्टिका को ऊपर से निहारा

0
997

मेरी अमेरिका यात्रा-1

विमान यात्रा की हमारी असली परेशानी शुरू हुई लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर। व्हीलचेयर का कहीं अता-पता नही था। होता भी कैसे? हम उतरे टर्मिनल पांच पर और यूएस के लिए अमेरिकी एयरलाइंस का विमान मिलना था टर्मिनल-3 पर। बाप रे..पैदल और बस यात्रा। 

पदमपति शर्मा, टेक्सास सिटी, अमेरिका से

पदमपति शर्मा, सीनियर पत्रकार, वाराणसी

पत्नी विमला के घुटनों की तकलीफ के चलते अर्से से हमे हवाई सफर को वरीयता देनी पड़ रही है। मुन्ना (पुत्र कार्तिकेय) ने हमारी यूएस का हवाई टिकट इसीलिए सीधी विमान यात्रा का नही भेजा कि उसकी मम्मा को काफी तकलीफ हो जाएगी। उसने वाया लंदन मे पांच-छह घंटे आराम करने का मौका दिया। यानी बीओएसी का विमान सुबह पहुंचना था और हम दोनों को हीथ्रो हवाई अड्डे पर कमर सीधी करने के बाद अमेरिकन एयरलाइंस से दस घंटे का सफर तय करना था।

मुन्ना ने अपनी ओर से तो कोई कोर कसर नही छोड़ी थी मगर यही जी का जंजाल बन गया। इन्दिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर सब कुछ सहजता से निबट गया। बोर्डिग पास लेते वक्त सामान को लेकर परेशानी जरूर हुई पर वह हमारी प्रशंसिका निकली। सच है कि प्रिंट मीडिया ने मुझे लोकप्रियता दी मगर यह ब्राडकास्ट मीडियम है कि जिसने सही मायने में पहचान दी। पांच हजार रुपये इसी पहचान ने बचा दिये।
मुन्ना ने टिकट के साथ हम दोनों के लिए असिस्टेन्स डाल दिया था। हमारे बाएँ घुटने में तकलीफ थी। इसलिए हमने भी व्हीलचेयर का पूरा सुख लिया। बहुत लम्बा चलना पड़ता है इन्दिरा गांधी अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर। ब्रिटिश एयरवेज के विमान में भी आनंद था। यात्रियों में अधिकतर भारतीय थे तो एयरहोस्टेस में भी भारतीय बालाओ के रहते सहजता थी। आतिथ्य सत्कार आंख मूंद कर दिव्य कहा जा सकता है।

असली परेशानी शुरू हुई लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर। व्हीलचेयर का कहीं अता-पता नही था। होता भी कैसे? हम उतरे टर्मिनल पांच पर और यूएस के लिए अमेरिकी एयरलाइंस का विमान मिलना था टर्मिनल-3 पर। बाप रे..पैदल और बस यात्रा। एक भारतीय परिचारिका सारे यात्रियों को हैंडिल कर रही थी। दौड़ते-दौड़ते हालत खस्ता हो गयी। भारतीय समयानुसार शाम 5 बजे की फ्लाइट थी। अपराह्न तीन बजे वाशरूम का हम दोनों दीदार कर सके। एक कक्ष मे हमें बैठाया गया था। विमान रवानगी के एक घंटा पहले हमें इलेक्ट्रिक गाड़ी छोड़ गयी डिपार्चर गेट तक। वहां विमला को मिली व्हीलचेयर महज 30 मीटर की दूरी तय करने के लिए।
अगले दस घंटों की यात्रा के दौरान विमला अधिकतर समय सोती ही रही। दारू, बीयर सब कुछ था। वेजीटेरियन थे हम तो उम्रदराज स्टुअर्ट और एयरहोस्टेस दोनों ने विशेष ध्यान रखा। विमला को विमान में अल्कोहल की गंध ने इस कदर परेशान कर रखा था कि बेचारी पानी भी नहीं पी पा रही थी। समझाने-बुझाने के बाद उसने जल ग्रहण किया। हमने तो बिस्किट के अलावा बटर टोस्ट नाश्ते मे लिया पर विमला तो चिप्स पर ही आश्रित थी।

मेरा समय कटा फिल्म देखने में। “मिड नाइट सन” मूवी दिल छूने वाली थी। बाद में विम्बल्डन लाइव देखा। लेकिन मजा आया फीफा विश्व कप सेमीफाइनल देख कर। यह जरूरी नहीं कि बेहतर प्रदर्शन करने वाली टीम जीत के साथ मैदान से बाहर निकले। इंग्लैंड 68 मिनट तक बढ़त बनाए हुए था और इस दौरान उसने क्लास दिखाया। चाहे बेहतरीन पास रहे हों या बाल पजेशन अथवा खेल पर नियंत्रण। मगर क्रोएशिया ने जैसे ही बराबरी का गोल दागा, उसके उपरान्त वो एक रूपान्तरित टीम था और बनारस से भी छोटे इस देश ने इन्जरी टाइम में गोल करते हुए इतिहास रच दिया। हम दोनों भाग्यवश विमान में दायीं ओर बैठे थे और इसलिए दर्शन लाभ लिया बर्फ से नहाए मीलों तक फैले अन्टार्टिका यानी उत्तरी ध्रुव का। विमला को जगाकर हमने सफेद चादर लपेटे दुनिया की छत दिखायी। बस उसी के आगे अमेरिका महाद्वीप आरंभ हो जाता है।

स्थानीय समयानुसार साढ़े पांच बजे हम डैलस पहुंच गये। यहाँ भी एयरलाइंस की दरिद्रता नजर आयी। एक व्यक्ति दो दो व्हील चेयर ठेल रहा था। सुना था कि इमिग्रेशन में लोगों की नंगाझोरी कर दी जाती है। मगर हम भाग्यशाली निकलेमें 30 सेकेन्ड लगे हमको आब्रजन में। हाँ, लम्बी कतार होने से बाहर निकलने में डेढ़ घंटा लग गया। एक खास बात जो हमने नोट की वह यह कि दोनों हवाई अड्डो पर भारतीय कर्मियों का बाहुल्य रहा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here