वीडियोकॉन और अपने पति दीपक के बीच आर्थिक लेन-देन की जानकारी सार्वजनिक ना कर कोचर ने लिस्टिंग नियमों का उल्लंघन किया, सेबी ने माना
नई दिल्ली. आईसीआईसीआई बैंक और इसकी एमडी-सीईओ चंदा कोचर की मुश्किलें जल्द बढ़ने की संंभावना है। पूंजी बाजार रेगुलेटर सेबी ने वीडियोकॉन ग्रुप को लोन मामले की शुरूआती जांच पूरी कर ली है। सेबी ने जांच में पाया है कि वीडियोकॉन को दिए कर्ज में हितों के टकराव का मामला बनता है। वीडियोकॉन और अपने पति दीपक कोचर के बीच आर्थिक लेन-देन की जानकारी सार्वजनिक ना करके चंदा कोचर ने लिस्टिंग नियमों का उल्लंघन किया है।
बैंक भी यह तय करने में नाकाम रहा कि इसके डायरेक्टर लिस्टिंग नियमों का पालन करें। इसलिए आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर, दोनों के खिलाफ एडजुडिकेशन प्रोसिडिंग की सिफारिश की गई है। आईसीआईसीआई बैंक ने 2012 में वीडियोकॉन ग्रुप को 3,250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। कर्ज की रिस्ट्रक्चरिंग करवाने में भी कोचर परिवार शामिल था। सेबी सूत्रों ने बताया कि नियमों के उल्लंघन के कारण आईसीआईसीआई बैंक पर 25 करोड़ और चंदा कोचर पर एक करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जा सकता है। इसके अलावा इनके खिलाफ और कार्रवाई भी की जा सकती हैं।
सेबी ने आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर को कारण बताओ नोटिस भेज रखा है। इसका जवाब मिलते ही कार्रवाई शुरू कर दी जाएगी। यह अर्ध-न्यायिक प्रक्रिया होती है। पिछले हफ्ते सेबी की बोर्ड मीटिंग के बाद इसके चेयरमैन अजय त्यागी ने कहा था कि आईसीआईसीआई बैंक और चंदा कोचर ने अभी तक कारण बताओ नोटिस का जवाब नहीं दिया है। आरबीआई, सीबीआई और एसएफआईओ भी मामले की जांच कर रहे हैं।
जांच में चंदा कोचर ने माना है कि उनके पति दीपक की कंपनी न्यूपावर रिन्युएबल्स और वीडियोकॉन ग्रुप के बीच पिछले वर्षों में कई लेनदेन हुए। दीपक कोचर और वीडियोकॉन ग्रुप के चेयरमैन वेणुगोपाल धूत न्यूपावर रिन्यूएबल्स के संस्थापक थे। जून 2009 में धूत और पैसिफिक कैपिटल के शेयर सुप्रीम एनर्जी को बेच दिए गए। पैसिफिक कैपिटल कंपनी दीपक कोचर के पिता के नाम है। वेणुगोपाल धूत ने फिर न्यूपावर में डिबेंचर के जरिए 64 करोड़ रुपए का निवेश किया। यह डिबेंचर उन्होंने सुप्रीम एनर्जी से खरीदा। आरोप है कि दीपक कोचर की कंपनी में कुछ निवेश मॉरीशस के रास्ते भी आया था। इसलिए भारतीय जांच एजेंसियां वहां से जानकारी जुटा रही हैं।