आईसीआईसीआई बैंक के खिलाफ CBI की प्रारंभिक जांच

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पुख्ता सबूत मौजूद हैं कि आईसीआईसीआई लोन से चंदा कोचर और उनके परिवार को लाभ मिला: विसलब्लोअर 

सीबीआई इस आरोप की जांच करेगी कि क्या विडियोकॉन के धूत ने आईसीआईसीआई बैंक से लोन लेने के बाद दीपक कोचर की कंपनी को करोड़ों दिए थे। बता दें कि विडियोकॉन को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का लोन मिला था।

Roy Tapan Bharati, Editor

Written by Roy Tapan Bharati/New Delh

नई दिल्ली। आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। बता दें कि चंदा कोचर पर वीडियोकॉन समूह को 4 हजार अकरोड़ रुपये का लोन देने के मामले में पारिवारिक संबंधों के कारण अनियमितता बरतने का आरोप लगा है।

 
इस बीच आईसीआईसीआई बैंक की एमडी और सीईओ चंदा कोचर के पति दीपक कोचर और विडियोकॉन ग्रुप चेयरमैन वेणुगोपाल धूत के खिलाफ सीबीआई ने प्रारंभिक जांच दर्ज की है। चंदा कोचर पर पति के दोस्त की कंपनी को लोन देने के आरोप हैं। विसलब्लोअर अरविंद गुप्ता का कहना है कि इस बात के पुख्ता सबूत मौजूद हैं कि इस लोन से चंदा कोचर और उनके परिवार को बड़ा लाभ मिला है।
उधर आईसीआईसीआई बैंक और वीडियोकॉन ग्रुप के निवेशक अरविंद गुप्ता ने पीएम मोदी को पत्र लिख कर बैंक के ब्याज देने के तौर तरीकों पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने चंदा कोचर पर पारिवारिक रिश्तों के चलते वेणुगोपाल धूत के वीडियोकॉन कारोबारी समूह को अनुचित लाभ पहुंचाने का आरोप लगाया है।
सीबीआई इस आरोप की जांच करेगी कि क्या विडियोकॉन के धूत ने आईसीआईसीआई बैंक से लोन लेने के बाद दीपक कोचर की कंपनी को करोड़ों दिए थे। बता दें कि विडियोकॉन को 2012 में आईसीआईसीआई बैंक से 3,250 करोड़ रुपये का लोन मिला था। यह लोन कुल 40 हजार करोड़ रुपये का एक हिस्सा था जिसे विडियोकॉन ग्रुप ने एसबीआई के नेतृत्व में 20 बैंकों से लिया था।
 
धूत पर आरोप है कि उन्होंने 2010 में 64 करोड़ रुपये न्यूपावर रीन्यूएबल्स प्राइवेट लिमिटेड को दिए थे। इस कंपनी को धूत ने दीपक कोचर और दो अन्य रिश्तेदारों के साथ मिलकर खड़ा किया था। आरोप है कि आईसीआईसीआई से लोन मिलने के 6 महीने बाद धूत ने कंपनी का स्वामित्व दीपक कोचर के एक ट्रस्ट को 9 लाख रुपये में ट्रांसफर कर दिया।
सूत्रों ने बताया कि एक महीने पहले दर्ज हुई पीई में दीपक कोचर और धूत का ही नाम है चंदा कोचर का नहीं। हालांकि, पीई में ‘अज्ञात बैंक अधिकारियों’ का जिक्र किया गया है। करप्शन या फ्रॉड के मामले में जांच का पहला कदम प्रिलिमिनरी इन्कॉयरी ही होता है। प्रक्रिया का पालन करते हुए सीबीआई यह जानने की कोशिश करेगी कि क्या पहली नजर में एफआईआर दर्ज करने लायक मामला है या नहीं।
 
अगर जांच में यह पाया जाता है कि केस रजिस्टर करने का कोई खास आधार नहीं है तो सीबीआई डायरेक्टर के अप्रूवल के बाद पीई बंद कर दी जाती है। पीई के रूप में दर्ज किसी जांच को पूरा करने के कोई समयसीमा नहीं होती है। सूत्रों ने बताया कि दीपक कोचर और धूत के साथ आईसीआईसीआई बैंक के ‘अज्ञात’ बैंक अधिकारियों को जल्द ही जांच के लिए बुलाया जा सकता है। चंदा को भी सीबीआई जांच में बुलाएगा या नहीं यह डॉक्युमेंट्स की जांच के बाद ही पता चल पाएगा। सीबीआई ने विडियोकॉन के 40 हजार करोड़ के लोन और दीपक और धूत की NRPL के डॉक्युमेंट्स जुटा लिए हैं।

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