बीजेपी के अनिल बलूनी: मेहनत के साथ किस्मत भी

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शिमला से जाने के बाद दोनों ही खूब उचाइयां छुईं। बलूनी भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने तो रावत जी झारखण्ड के प्रभारी। अब एक सीएम और दूसरा राज्यसभा से सांसद। कई बार जो हम नही सोचते वहा तक पहुँच जाते है। 

written by Prem Pratap Singh, Special Correspondant at Dainik Bhaskar

मेहनत और किस्मत की चमक देखिए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता और मेरे मित्र अनिल बलूनी को राज्यसभा जाने पर बहुत शुभकामनाये। पिछले एक दशक से जानता हूँ। कभी पेशे से पत्रकार रहे बलूनी अब उत्तराखंड से राज्यसभा से सांसद होंगे। लम्बे संघर्ष के बाद वह यहाँ तक पहुचे।

उत्तराखंड के तत्कालीन सीएम निशंक जी ने उन्हें वन विभाग की सलाहकार परिषद में राज्य मंत्री के दर्जा तौर पर लगाया था। यही से मेरी मुलाकात बलूनी जी से हुई। उस समय मै अमर उजाला देहरादून में फारेस्ट कवर करता था। बलूनी का सबसे अधिक काम के साथ पूरा न्याय किया। बड़े बड़े शिकारियों को पकड़वाने के लिए उत्तराखंड से ले कर हरियाणा तक दौड़ लगाते रहे।

उस दौरान उनकी रूचि उत्तराखंड के वन्यजीव को प्रोटेक्ट करने को लेकर थी। इससे पहले भी वह उत्तराखंड के कोटदार से चुनाव लड़ चुके थे। लेकिन एक पूर्व सीएम को बलूनी पसंद नही थे। इसके कारण वह प्रदेश से दूरी बना लिए थे। वन विभाग में रहने के दौरान।वह कहते थे की प्रेम भाई जब मोदी जी पीएम बनेगे तो मैं वाइल्ड लाइफ बोर्ड में मेंबर बन जाऊंगा। इस बीच मैं जनवरी 2014 में शिमला चला गया।

कुछ महीने बाद लोकसभा के चुनाव आ गए। ऐसे एक दिन फोन किया तो बलूनी जी ने बताया की मै आपके इलाके में है। मैंने पूछा शिमला आये हो क्या। कहा- नही, वाराणसी आया हूँ। मोदी जी का मैसेज आया का कि अपना बोरिया बिस्तर उठाकर वाराणसी चले जाओ। वहा जा कर अमित भाई से मिल लेना। तब अमित शाह उत्तर प्रदेश के प्रभारी थे। चुनाव बीजेपी जीत चुकी थी।

अचानक एक दिन बलूनीजी का फोन आया कि परिवार के साथ शिमला आना चाहता हू। मैंने तुरन्त हामी भर दी। वह आ भी गए। उन्हें जिस होटल में ठहरना था उसी होटल में तीन दिन पहले उत्तराखंड के मौजूदा सीएम त्रिवेन्दर सिंह रावत ठहरे थे। शिमला के मॉल रोड से अपने साथी सुरेश सांडिल्य के साथ ऑफिस आते समय त्रिवेन्द्र सिंह मिल गए। रावत जी ने तपाक से पूछा यहाँ कहा घूम रहे हो। मैं कहा की मै देहरादून से शिमला आ गया। इसके बाद रावत जी से खड़े खड़े एक घंटे खूब सारी बात हुई।

तीन दिन बाद बलूनी जी भी आये। उनसे भी घर जैसी बात हुई। पर शिमला से जाने के बाद दोनों ही खूब उचाइयां छुईं। बलूनी भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने तो रावत जी झारखण्ड के प्रभारी। अब एक सीएम और दूसरा राज्यसभा से सांसद। कई बार जो हम नही सोचते वहा तक पहुँच जाते है। पर शर्त यह है की मेहनत के साथ किस्मत भी हो।

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