गाजियाबाद, नोएडा समेत तमाम शहरों में लटके हैं हाउजिंग प्रॉजेक्ट्स

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समय पर अपार्टमेंट न बनने से प्रॉपर्टी मार्केट में गिरावट बनी हुई है। जुलाई-सितंबर तिमाही में 8 बड़े शहरों में हाउजिंग सेल्स में 35 % गिरावट आई है।

विशेष संवाददाता, नोएडा/गाजियाबाद
केंद्र सरकार ने हाल ही में बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि अकेले महाराष्ट्र में 5.3 लाख अंडरकंस्ट्रक्शन प्रॉजेक्ट्स अटके हैं और इनमें 20 % से ज्यादा प्रॉजेक्ट्स के पूरे होने में तीन साल से ज्यादा की देरी हो चुकी है। गाजियाबाद, नोएडा समेत 60 शहरों में कम-से-कम 62% अर्धनिर्मित आवासीय परियोजनाएं अटकी पड़ी हुई हैं। ये आंकड़े एक रियल एस्टेट रिसर्च फर्म की हालिया स्टडी में सामने आए हैं। फ्लैट बायर्स के हितों का संरक्षण करनेवाली संस्था ‘फाइट फॉर रेरा’ को रिसर्च फर्म लाइसेस फोरस के जुटाए आंकड़े हाथ लगे।
 
समय पर अपार्टमेंट न बनने से प्रॉपर्टी मार्केट में गिरावट बनी हुई है। जुलाई-सितंबर तिमाही में देश के 8 बड़े शहरों में हाउजिंग सेल्स में 35 फीसदी गिरावट आई है। रिसर्च फर्म प्रॉपइक्विटी ने यह जानकारी दी है। 2017 की तीसरी तिमाही में 22,699 आवासों की बिक्री हुई। इससे पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 34,809 था। जिन शहरों से डेटा लिया गया है वे हैं, गुड़गांव, नोएडा, मुंबई, कोलकाता, पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु और चेन्नै। प्रॉपइक्विटी ने कहा है, ‘प्रमुख शहरों में हाउजिंग डिमांड 35 फीसदी की दर से घटी है और 34,809 यूनिट्स से घटकर 22,999 यूनिट रह गई है।’
आम्रपाली ग्रुप के नोएडा एवं ग्रेटर नोएडा में चल रहे प्रॉजेक्ट्स में निवेश करनेवाले 35 हजार बायर्स अब भी गौतमबुद्ध नगर से लेकर दिल्ली पुलिस में की गई 310 शिकायतों पर कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं। इस ग्रुप के खिलाफ नोएडा, ग्रेटर नोएडा के सिर्फ 3 प्रॉजेक्ट्स के मामले में 253 बायर्स ने अलग-अलग तरीके से दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में शिकायत की हुई है, जिनमें से 152 के करीब केस दर्ज हैं। वहीं, रेरा में आम्रपाली ग्रुप के हार्टबीट सिटी के 50 बायर्स ने हाल ही में बिना बायर्स की सहमति के लेआउट में चेंज करने की शिकायत दर्ज कराई थी, जिसकी सुनवाई इसी हफ्ते शुरू होगी।
 
ग्रेटर नोएडा वेस्ट में अवैध अपार्टमेंट के जाल पर ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी जल्द हथौड़ा चलाएगी। ग्रेटर नोएडा वेस्ट के जिन गांवों में 6 प्रतिशत आबादी की जमीन पर कॉलोनाइजर फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं इसकी जांच करने के लिए सीईओ ने डीजीएम प्रॉजेक्ट की अध्यक्षता में समिति बनाई है। इस समिति ने शुक्रवार से अवैध अपार्टमेंट की जांच करनी शुरू कर दी है। एक सप्ताह में जांच कर रिपोर्ट देने के निर्देश दिए हैं।

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