शी जिनपिंग चीन के शक्तिशाली राष्ट्रपति बनकर उभरे

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चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने 19वीं कांग्रेस में प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की विचारधारा को कॉस्टीट्यूशन में शामिल कर लिया। उन्हें चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता और फादर ऑफ नेशन कहे जानेवाले माओत्से तुंग के बराबर दर्जा दिया गया है। 

राय तपन भारती/अंतरराष्ट्रीय मामलों के पत्रकार

किसान परिवार में जन्मे और घोर गरीबी में पले शी जिनपिंग चीन के शक्तिशाली राष्ट्रपति बनकर उभरे हैं। 64 साल के जिनपिंग को अगले पांच साल के लिए फिर राष्ट्रपति चुन लिया गया। चीन की राजनीतिक परंपरा के मुताबिक वहां की कम्युनिस्ट पार्टी के महासचिव को ही राष्ट्रपति का पद मिलता है। सीपीसी की 19वीं कांग्रेस में कांग्रेस में सीपीसी के सभी 2 हजार 287 मेंबर्स ने कॉन्स्टीट्यूशन में ‘शी जिनपिंग थॉट’ को शामिल करने के फेवर में वोट दिया। विरोध में एक भी वोट नहीं पड़ा।

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) ने 19वीं कांग्रेस में प्रेसिडेंट शी जिनपिंग की विचारधारा को कॉस्टीट्यूशन में शामिल कर लिया। उन्हें चीन के पहले कम्युनिस्ट नेता और फादर ऑफ नेशन कहे जानेवाले माओत्से तुंग के बराबर दर्जा दिया गया है। यानी वो मौजूदा वक्त में चीन के सबसे ताकतवर नेता बन गए हैं। जिनपिंग का बचपन गरीबी में बीता है।

शी का कहना है कि एक तरफ चीन की दो इंटरनेट कंपनी और एक प्रॉपर्टी कंपनी के पास 30-30 बिलियन डॉलर की संपत्ति है तो दूसरी तरफ लाखों लोगों के लिए दिन में एक डॉलर की कमाई करना मुश्किल है।  इसी फर्क को पाटना उनका उद्देश्य है। चीन फिलहाल 11 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था है और अगर भविष्य में ये 2021-23 तक 18-19 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बन जाती है (जैसा कि शी चाहते हैं) तो वो दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।और निवेश के लिहाज़ से ये भारत के लिए महत्वपूर्ण होगा क्योंकि भारत को विकास के लिए निवेश चाहिए और फिलहाल अन्य देश यहां निवेश नहीं कर रहे हैं।

पंद्रह बरस के लड़के शी जिनपिंग ने देहात में मुश्किल भरी जिंदगी की शुरुआत की थी। चीन के अंदरूनी इलाके में जहां चारों तरफ पीली खाइयां थीं, ऊंचे पहाड़ थे, वहां से जिनपिंग की जिंदगी की जंग शुरु हुई थी। जिस इलाके में जिनपिंग ने खेती-किसानी की शुरुआत की थी, वो गृह युद्ध के दौरान चीन के कम्युनिस्टों का गढ़ था।

येनान के लोग अपने इलाके को चीन की लाल क्रांति की पवित्र भूमि कहते थे। शी जिनपिंग की अपनी कहानी को काफी हद तक काट-छांटकर पेश किया जाता है। दिलचस्प बात ये है कि जहां चीन के तमाम अंदरूनी इलाकों का तेजी से शहरीकरण हो रहा है, वहीं राष्ट्रपति शी के गांव को जस का तस रखा गया है। कम्युनिस्ट पार्टी के भक्तों के लिए वो एक तीर्थस्थल है।

साठ के दशक में चीन के गांवों की ज़िंदगी बहुत कठिन थी। बिजली नहीं हुआ करती थी। गांवों तक जाने का रास्ता भी पक्का नहीं होता था। खेती के लिए मशीनें भी नहीं थीं। उस दौर में शी ने खाद ढोने, बांध बनाने और सड़कों की मरम्मत का काम सीखा था। वो जिस गुफा में रहते थे, वहां कीड़े-मकोड़ों का डेरा होता था।

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