हरियाणा की राजनीति में काफी साल पहले आयाराम-गयाराम वाली कहावत थी… ये कहावत कितनी सही थी इसकी तो मैं पुष्टि नहीं करता, लेकिन ये कहावत आज बड़े स्तर गुजरात की राजनीति में देखने को मिल रही है…
पंकज कुमार शर्मा, टीवी पत्रकार/ नई दिल्ली. गुजरात की सियासत में पिछले कुछ दिनों में सियासी भूचाल आया है, उसने काफी हद तक प्रदेश के चुनावी समीकरण को बदलकर रख दिया है…हरियाणा की राजनीति में काफी साल पहले आयाराम-गयाराम वाली कहावत थी… ये कहावत कितनी सही थी इसकी तो मैं पुष्टि नहीं करता, लेकिन ये कहावत आज बड़े स्तर गुजरात की राजनीति में देखने को मिल रही है…
यदि गुजरात में किसी भी तरह का बड़ा उलटफेर हो गया तो इसका प्रभाव ना सिर्फ कई राज्यों में होने वाले आगामी विधानसभा चुनाव पर पड़ेगा, बल्कि 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव पर भी पड़ेगा… कांग्रेस, अल्पेश, जिग्नेश हार्दिक के पास खोने के लिए कुछ नहीं है, लेकिन बीजेपी अगर सत्ता से गई तो भूल जाइए अगले कई सालों तक फिर गुजरात में वापसी नहीं कर पाएगी… राहुल गांधी को ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर, पाटीदार नेता हार्दिक पटेल, दलित नेता जिग्नेश मेवानी आदि का समर्थन मिलना कांग्रेस के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है…
कांग्रेस पाटीदारों, दलितों और ओबीसी समेत अन्य समुदायों को लेकर अपने साथ चल रही है… उधर, बीजेपी सिर्फ मोदी चेहरे के भरोसे गुजरात विधानसभा चुनाव जीतने निकली है… इसमें गलती मोदी की नहीं है… बीजेपी के अपने ही मंत्रियों और नेताओं की है जिसकी वजह से हो सकता है पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ी… आप किसी भी चेहरे के भरोसे एक लिमिटेड समय तक वोट पा सकते हैं, लेकिन लंबे समय तक सत्ता में बने रहना है तो आपको प्रदेश का विकास भी करना होगा… कांग्रेस अपने समर्थकों के साथ रणनीति बनाकर और अब तक का सबसे बड़ा रिस्क लेकर चल रही है…
इतने प्रयास के बावजूद यदि कांग्रेस इस बार भी सत्ता में नहीं आई तो अगले कई साल तक सत्ता में नहीं आ पाएगी… राहुल को सभी समुदाय के बड़े नेताओं का समर्थन प्राप्त है, वो सब नतीजों के बाद बिखर जाएंगे…मैं एक चीज और बता दूं यदि कांग्रेस ने सत्ता पा भी लिया, तो उन पर हार्दिक भाई जिग्नेश भाई ब्लैकमेल का दबाव बनाए रखेंगे… सत्ता की भूख ऐसी होती है, जो हर किसी को प्यारी होती है…
अभी इन लोग को डर बीजेपी से नहीं है, बल्कि मोदी से है… इसलिए ये लोग एकजुट होकर मोदी के खिलाफ साम, दाम, दंड, भेद सभी तरह के हथकंडे या कह लो सियासी मंत्र अपना रहे हैं… इस बात का ताजा उदाहरण गुजरात के बड़े पाटीदार नेता नरेंद्र पटेल हैं… नरेंद्र पटेल अपने 15 समर्थकों के साथ बीजेपी में शामिल होते हैं और फिर 2 घंटे बाद बड़े ही नाटकीय ढंग से बीजेपी पर कैश-बम का ठीकरा फोड़कर बाहर निकल जाते हैं…
नरेंद्र पटेल बीजेपी पर पार्टी में शामिल होने के लिए एक करोड़ रुपए की पेशगी का आरोप लगाते हैं, जिसमें से 10 लाख रुपए सौदा तय होने से पहले यानी बीजेपी ज्वाइन करने से पहले मिल जाते हैं… ये सब कांग्रेस की गुप्त रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है, क्योंकि अभी से थोड़ी देर पहले एक बार फिर गुजरात बीजेपी को बड़ा झटका लगा है…
15 दिन पहले बीजेपी ज्वाइन करने वाले पाटीदार नेता निखिल सवानी ने बीजेपी ज्वाइन करने को अपनी सबसे बड़ी भूल बताया है… निखिल सवानी हार्दिक पटेल गुट के थे… निखिल सवानी ने कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी से मिलने की इच्छा जताई है… ऐसे में गुजरात की राजनीति में जो आंतरिक भूचाल चल रहा है, उसे कोई नहीं समझ पा रहा है..