नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही 20 महीने पुराना महागठबंधन टूट गया है। बिहार की राजनीति सड़क पर आ गयी है। कह सकते है की आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति देश को गर्म कर सकती है।
संवाददाता/ पटना
”भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई। सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं ” ये ट्वीट है पीएम मोदी का। सबसे पहले पीएम मोदी ने ही नीतीश कुमार को इस्तीफे की बधाई दी। नीतीश कुमार के इस्तीफे के साथ ही 20 महीने पुराना महागठबंधन टूट गया है। बिहार की राजनीति सड़क पर आ गयी है। कह सकते है की आने वाले दिनों में बिहार की राजनीति देश को गर्म कर सकती है। नीतीश कुमार का यह इस्तीफा लालू प्रसाद रैली से पहले हुआ है। इसके राजनितिक मायने कम नहीं है।
तो राजनितिक खेल यही है कि नीतीश कुमार ने बिहार के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। बुधवार शाम राज्यपाल से मिलकर उन्होंने इस्तीफा सौंप दिया। इसी के साथ ही 20 महीने से चल रही महागठबंधन (जेडीयू-कांग्रेस-आरजेडी) की सरकार का अंत हो गया। बता दें कि पिछले 15 दिन से बिहार में सियासी खींचतान चल रही थी। लालू यादव के बेटे और बिहार में डिप्टी सीएम तेजस्वी पर करप्शन के आरोपों के चलते विवाद चल रहा था।
इस्तीफा देने के बाद नीतीश ने कहा- मैंने महामहिम से मुलाकात कर इस्तीफा सौंप दिया हैं। हमसे जितना हुआ उतना गठबंधन का धर्म निभाया। जनता के हित में काम किया। लगातार बिहार के लिए काम करने की कोशिश की। जो माहौल था, उसमें काम करना मुश्किल था। हमने तेजस्वी से इस्तीफा नहीं मांगा, लेकिन लालू और तेजस्वी से यही कहा कि जो भी आरोप लगे हैं, उसे साफ करें। स्पष्टीकरण करना बहुत जरूरी है, लेकिन वो भी नहीं हो पा रहा है। तेजस्वी पर आरोपों से गलत धारणा बन रही है। बिहार कांग्रेस के अध्यक्ष से हमने कहा कि कुछ तो ऐसा करिए जिससे रास्ता निकले, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा था। अंतरात्मा की आवाज के बाद दिया इस्तीफा। तो ये हैं नीतीश कुमार के बयान।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महागठबंधन से अलग होने पर नीतीश कुमार को बधाई दी है। पीएम मोदी ने ट्वीट कर कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिए नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई। सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं। देश के, विशेष रूप से बिहार के उज्जवल भविष्य के लिए राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठकर भ्रष्टाचार के खिलाफ एक होकर लड़ना, आज देश और समय की मांग है। अब आगे की राजनीती बिहार को कहा ले जाती है इसे देखने की जरुरत है।