नीति आयोग की रिपोर्ट में कहा गया है कि कई गांवों का विद्युतीकरण हो चुका है, पर इनमें अभी काफी परिवार बिजली से वंचित हैं और उनके लिए स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
संवाददाता/ नई दिल्ली

हमारे देश में विकास के दावे चाहे जो भी किये जायँ लेकिन सच यही है कि देश की 30 करोड़ आबादी आज भी अँधेरे में ही जीने को अभिशप्त हैं। आजादी के 70 साल बाद ना जाने कितनी सरकार आयी और चली गयी लेकिन गाँव की हालत नहीं बदली। देश के तमाम नेता वादों के तो पहाड़ खड़ा कर देते हैं लेकिन चुनाव के बाद गाँव की हालत नहीं बदलती।
सरकार के ग्रामीण विद्युतीकरण अभियान से लाभान्वित होने वाले गांवों के काफी घरों में अब भी अंधेरा है और उन्हें इसका फायदा ‘नहीं ‘ हुआ है। नीति आयोग की एक हालिया रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकाला गया है। इसमें कहा गया है कि कई गांवों का हालांकि विद्युतीकरण हो चुका है, पर इनमें अभी भी काफी परिवार बिजली से वंचित हैं और उनके लिए स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2015 को लालकिला से अपने संबोधन में कहा था कि अगले एक हजार दिन में बिजली सुविधाओं से वंचित 18,452 गांवों में बिजली पहुंचा दी जाएगी। इसके लिए एक मई, 2018 की समयसीमा तय की गई है। बिजली मंत्री पीयूष गोयल ने मई में कहा था कि इन 18,452 गांवों में से 13,516 में बिजली पहुंचा दी गई है। 944 गांवों में आबादी नहीं है जबकि शेष 3,992 गांवों का एक मई, 2018 तक विद्युतीकरण किया जाएगा।
नीति आयोग ने राष्ट्रीय उर्जा नीति (एनईपी) के मसौदे में कहा है कि 30.4 करोड़ भारतीय अभी भी बिजली सुविधा से वंचित हैं। अभी 50 करोड़ लोग खाना पकाने के लिए जैव ईंधन पर निर्भर हैं। देश को अभी उर्जा सुरक्षा हासिल करने के लिए काफी इंतजार करना होगा।

