लेखिका शोभा डे ने कहा है कि प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने भी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि वो गाय, गुजरात, दंगा और हिंदुत्व जैसे शब्द बोलेंगी और उन्हें जो करना है कर लें।
अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/ नई दिल्ली
प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने केंद्रीय फिल्म सेंसर बोर्ड को खुली चुनौती दी है। उन्होंने कहा है कि प्रसिद्ध लेखिका शोभा डे ने भी सेंसर बोर्ड के चेयरमैन पहलाज निहलानी को खुली चुनौती देते हुए कहा है कि वो गाय, गुजरात, दंगा और हिंदुत्व जैसे शब्द बोलेंगी और उन्हें जो करना है कर लें। शोभा डे ने इस मुद्दे पर एनडीटीवी में एक ब्लॉग लिखा। अपने ब्लॉग में शोभा डे ने कहा “उसका चाहे जो भी नाम हो मैं उसे खुला खत नहीं लिखने जा रही। मैं बस इतना कहना चाहती हूं कि मैं गाय, दंगा, गुजरात, हिंदुत्व, हिंदू राष्ट्र जैसे शब्दों को बोलने का अधिकार अपने पास रखूंगी। और मेरा जब, जैसे, जहां और जिस क्रम में उन्हें बोलने का मन करेगा मैं बोलूंगी। क्या करोगे आप?”
शोभा डे ने ब्लॉग में लिखा- “भारतीय बहस करना पसंद करते हैं और हम हमेशा बहस करते हैं। हम छोटी-मोटी बातों पर बहस करते हैं। ये हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है और रहेगा। समझ गए ना, पहलाजजी? आप भी बहस करो। आपको किसने रोका है? बहसबाजी की संस्कृति की एक शानदार चीज है लेकिन आजकल विलप्तप्राय है। जब अमर्त्य सेन ने ये बहसतलब किताब लिखी तो उम्मीद के अनुरूप ही उस पर काफी बहस हुई। किताब का मूल सार यही था!” शोभा डे ने लिखा कि कुछ लोग अमर्त्य सेन पर चाहे जो भी आरोप लगा लें। वो इतिहास नहीं बदल सकते, खासकर पहलाज निहलानी।
दरअसल ये सारी कहानी इसलिए निकल कर सामने आ रही है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड यानि सेंसर बोर्ड ने नोबेल पुरस्कार से सम्मानित प्रख्यात अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन के जीवन पर बनी डॉक्युमेंट्री में कई कट लगाने के लिए कहा है। सेंसर बोर्ड ने सुमन घोष द्वारा निर्देशित डॉक्युमेंट्री ‘एन आर्गुमेंटेटिव इंडियन’ में ‘गाय’, ‘गुजरात’, ‘हिंदू’ और ‘हिंदुत्व’ जैसे शब्दों पर आपत्ति जताई है। इन शब्दों का इस्तेमाल अमर्त्य सेन ने वृत्तचित्र में अपने साक्षात्कार के दौरान किया है।सेंसर बोर्ड का कहना है कि ‘इन शब्दों के इस्तेमाल से देश की छवि खराब होगी।’ जिसके बाद सेंसर बोर्ड के खिलाफ बड़े फिल्मकारों और लेखकों ने मोर्चा खोल दिया है।
खुद फिल्म के निर्देशक सुमन घोष ने कहा, “सेंसर बोर्ड का कहना है कि फिल्म में अमर्त्य सेन द्वारा गुजरात दंगों पर की गई टिप्पणी से ये शब्द हटा दिए जाएं। वे ‘गाय’ शब्द भी हटाना चाहते हैं और उसकी जगह बीप का इस्तेमाल करने को कह रहे हैं। बेहद हास्यास्पद है यह।” वहीं सुमन घोष ने भी सेंसर बोर्ड के इस शर्त के साथ अपनी फिल्म के प्रदर्शन से इनकार कर दिया है। इसके अलावा अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने इस बात को लेकर मीडिया से कहा कि वो इस मुद्दे पर बहस करने के लिए तैयार हैं। विवादों में फसा सेंसर बोर्ड आगे क्या निर्णय लेता है इसे देखना पडेगा लेकिन अभी का खेल दिलचस्प होता जा रहा है।