कोविंद के जरिये कोलियों पर बीजेपी की नजर

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रामनाथ कोविंद दलितों के कोली समाज से आते हैं। लेकिन गुजरात में ‘कोली’ की गिनती अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी में होती है। गुजरात में कोली आबादी 20 प्रतिशत है। गुजरात के 33 जिलों में 12 में कोली समाज का प्रभाव है।

विशेष संवाददाता/नई दिल्ली
रामनाथ कोविंद भले ही उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं लेकिन वे जिस कोली समाज से आते हैं उसका वोट आधार गुजरात में काफी है। आने वाले गुजरात चुनाव में कोली समाज के वोट बैंक को अपने पक्ष में करने के लिए बीजेपी की यह रणनीति कितनी सफल होगी इस पर सबकी नजरें टिकी हैं।
गौरतलब है कि रामनाथ कोविंद दलितों के कोली समाज से आते हैं। लेकिन गुजरात में ‘कोली’ की गिनती अन्य पिछड़ा वर्ग यानि ओबीसी में होती है। गुजरात में कोली आबादी करीब 20 प्रतिशत है। गुजरात के 33 जिलों में 12 में कोली समाज का प्रभाव है।
गुजरात की 182 विधानसभा सीटों में से 31 पर कोली सीधे-सीधे जीत-हार तय करने का माद्दा रखते हैं। इससे पहले कई चुनावों में मौजूदा पीएम और तब के सीएम नरेंद्र मोदी के लिए कोविंद गुजरात में प्रचार कर चुके हैं। कोविंद की खासियत रही है कि बिना किसी शोरगुल और तामझाम के वो अपना काम करते रहे हैं।
इसी साल के अंत में गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं, बीजेपी ने इस बार 150 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है और ये तभी संभव है जब कोली जैसा एक बड़ा वोट बैंक बीजेपी के साथ खड़ा दिखे। गुजरात में पाटिदार बीजेपी के पारंपरिक वोट माने जाते थे, लेकिन आरक्षण आंदोलन के बाद पटेल बीजेपी से नाराज चल रहे हैं। गुजरात में पटेल करीब 14 प्रतिशत है। ऐसे में अगर बीजेपी पटेलों को मनाने में कामयाब नहीं हो पाती तो रामनाथ कोविंद के जरिए कोली समाज को अपने खेमे में करने की तैयारी है। हालांकि गुजरात में दलित समुदाय के लोग भी बीजेपी से नाराज चल रहे हैं।
दलित समुदाय से आने वाले जिग्नेश मेवानी खुलकर बीजेपी और संघ के खिलाफ प्रचार अभियान चला रहे हैं। ऐसे में कोली वोट की राजनीति बीजेपी के लिए रामवाण सावित हो सकती है। गुजरात चुनाव इस बार बीजेपी के लिए चुनौतीपूर्ण है क्योंकि कई तरफ से गुजरात सरकार को घेरने की तैयारी विपक्ष भी कर रहा है।

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