किसान कृषि सामग्री को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीद रहे हैं तो उन्हें न्यूनतम बिक्री मूल्य क्यों मिलना चाहिए।सरकार को कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिक्री मूल्य उत्पादन की लागत से 20-30 प्रतिशत अधिक हो। : बीकेएस
भारतीय किसान संघ ने किसान आंदोलन जैसे संकट के लिए केंद्र सरकार की नीतियों को जिम्मेदार बताया है और कहा है की यह सरकार का अविवेकपूर्ण रवैया है। आपको बता दें कि भारतीय किसान संघ ,राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की किसान इकाई है। भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय सचिव मोहिनी मोहन मिश्रा ने कहा कि किसान केंद्र सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं। उन्होंने मांग की कि उन्हें फसलों और कृषि उत्पादों के अधिक मूल्य मिलने चाहिए।मिश्रा ने कहा है कि ‘‘केंद्र सरकार उपभोक्ताओं और खाद्य पदार्थों की बढ़ती कीमतों के बारे में किसान से ज्यादा चिंतित है। वे सरकार की प्राथमिकता में नहीं हैं।’’
उन्होंने कहा कि किसान कृषि सामग्री को अधिकतम खुदरा मूल्य पर खरीद रहे हैं तो उन्हें न्यूनतम बिक्री मूल्य क्यों मिलना चाहिए। सरकार को कम से कम यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बिक्री मूल्य उत्पादन की लागत से 20-30 प्रतिशत अधिक हो। मिश्रा ने दालों का उदाहरण देते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने पहले इसकी खेती को प्रोत्साहित किया और फिर सस्ती दालों का आयात किया। ऐसे कैसे चलेगा ? परिणाम यह है कि आज किसानों को उनके उत्पादों के उचित मूल्य नहीं मिल रहे हैं। सरकार ने गेहूं पर आयात कर कम कर दिया जबकि इस साल बंपर फसल हुई थी।
लेकिन मध्य प्रदेश में चल रहे किसान पर मिश्रा की टिप्पणी कुछ और ही थी। उन्होंने कहा कि राज्य में मौजूदा संकट ‘कुछ उपद्रवी’ तत्वों द्वारा रचा गया है। लेकिन यह भी सच है कि किसान निराश हैं क्योंकि राज्य सरकार उनकी फसल खरीदने के लिए आवश्यक बंदोबस्त नहीं कर सकी। भारतीय किसान संघ आगामी 15 जून से सभी संभाग मुख्यालयों पर राज्य सरकार की ‘‘किसान विरोधी नीतियों’’ के खिलाफ बेमियादी धरना शुरू करेगा।
लेकिन मध्य प्रदेश में चल रहे किसान पर मिश्रा की टिप्पणी कुछ और ही थी। उन्होंने कहा कि राज्य में मौजूदा संकट ‘कुछ उपद्रवी’ तत्वों द्वारा रचा गया है। लेकिन यह भी सच है कि किसान निराश हैं क्योंकि राज्य सरकार उनकी फसल खरीदने के लिए आवश्यक बंदोबस्त नहीं कर सकी। भारतीय किसान संघ आगामी 15 जून से सभी संभाग मुख्यालयों पर राज्य सरकार की ‘‘किसान विरोधी नीतियों’’ के खिलाफ बेमियादी धरना शुरू करेगा।
माना जा रहा है कि आगामी वर्ष राज्य में होने वाले चुनाव के मद्देनजर संघ और बीजेपी कोई भी चूक करने से परहेज कर रहे हैं। संघ की समझ ये है कि सूबे के लोगों को यह नहीं लगे कि किसान संघ किसान के हित में नहीं है। ऐसे में किसानो को साधने वाली विपक्षी राजनीति को कमजोर करने के लिए भारतीय किसान संघ की रणनीति किसानो के बीच अपना विश्वास बनाये रखने की है।