एमपी में कांग्रेस भी चुनावी लाभ के फेर में

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एक तरफ किसानों की मौत से सूबे में फैली अशांति को कम करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह जहां 2 रोज उपवास पर बैठे तो दूसरी तरफ सरकार की पोल पट्टी खोलने के लिए अब कांग्रेस ने भी सत्याग्रह का ऐलान कर दिया है।

अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के उपवास कार्यक्रम कार्यक्रम समाप्त होने बावजूद मध्यप्रदेश में किसान आंदोलन के बीच राजनीतिक खेल चरम पर है। पिछले 6 जून को मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस फायरिंग में पांच किसानों की मौत के बाद राज्‍य में हिंसा फैल गयी और किसान आंदोलन के जरिये राजनीतिक ड्रामा शुरू हो गया है। एक तरफ किसानों की मौत से सूबे में फैली अशांति को कम करने के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जहां उपवास पर 2 रोज बैठे रहे तो दूसरी तरफ शिवराज सरकार की पोल पट्टी खोलने के लिए अब कांग्रेस ने भी सत्याग्रह करने का ऐलान कर दिया है। कांग्रेस का यह सत्याग्रह ज्योतिरादित्य सिंधिया के नेतृत्व में होना है।
सीएम के उपवास बाद सत्याग्रह की लड़ाई शुरू हो गयी है। प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने शिवराज सिंह के उपवास को नाटक करार दिया है। कांग्रेस ने शिवराज के उपवास के खिलाफ अपने प्रमुख नेता और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को मैदान पर उतारने की तैयारी में है। सिंधिया ने 14 तारीख से 72 घंटे उपवास करने का ऐलान किया है। इसकी शुरुआत भोपाल से की जाएगी। खबर है कि सिंधिया सत्‍याग्रह आरंभ करने से ठिक एक दिन पहले मंदसौर जाकर मारे गये किसानों के परिजनों से मुलाकात करेंगे। सिंधिया ने इस सत्‍याग्रह में लोगों को शामिल होने के लिए आग्रह किया है।
खबर है कि मंदसौर हिंसा में मारे गए किसानों के परिजन ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से मुलाकात की और उनसे अपना अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। इसकी जानकारी खुद सीएम ने दी। उन्‍होंने बताया कि मारे गए पांच किसानों में से चार के परिजनों ने मुझसे मिलकर उपवास समाप्‍त करने का आग्रह किया। साथ ही यह भी सुनिश्चित करने को कहा कि किसानों की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई हो।
गौरतलब हो कि छह जून को मंदसौर जिले में किसान आंदोलन के दौरान प्रदर्शनकारियों पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग में पांच किसानों की मौत हो गई थी और छह अन्य किसान घायल हो गये थे। किसान अपनी उपज का सही मूल्य दिलाये जाने और कर्ज माफी समेत 20 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि इस किसान आंदोलन के जरिये कांग्रेस भी चुनावी लाभ लेने के फेर में है। लेकिन यह भी सत्य है कि किसान आंदोलन का लाभ सभी राजनितिक पार्टियां उठाती रही है लेकिन किसानो को इससे कोई लाभ नहीं होता। देखना होगा कि मंदसौर का यह किसान आंदोलन बीजेपी को लाभ पहुंचाता है या कांग्रेस इस आंदोलन के जरिये बीजेपी सरकार को शिकस्त करने में कामयाब होती है। मध्यप्रदेश में अगले साल चुनाव होने हैं।

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