उत्तरप्रदेश में रोजगार निर्माण को लेकर सरकार सतर्क नहीं हुई तो इसके दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा संख्या में लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं और हाल के दशकों में यह सिलसिला दोगुनी तेजी से बढ़ा है।
अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली
यूपी की योगी सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। रोजगार की समस्या को लेकर तो पूरे देश में एक जैसी हालत बनी हुई है लेकिन रोजगार को लेकर यूपी से जिस तरह पलायन और विस्थापन जारी है वह योगी सरकार को परेशानी में डाल सकती है। हाल ही जारी एक रिपोर्ट बताती है कि उत्तरप्रदेश में रोजगार निर्माण को लेकर सरकार सतर्क नहीं हुई तो इसके दूरगामी परिणाम सामने आ सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा संख्या में लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं और हाल के दशकों में यह सिलसिला दोगुनी तेजी से बढ़ा है। भारतीय वाणिज्य उद्योग मंडल (एसोचैम) और थॉट आर्बिट्रेज रिसर्च इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।
एसोचैम ने उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के लिए छह सूत्री एजेंडा बनाया है जिसे ‘एक्शन प्लान फॉर द न्यू गवर्नमेंट’ नाम दिया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश से सबसे ज्यादा संख्या में लोग रोजगार की तलाश में दूसरे राज्यों में जाते हैं और हाल के दशकों में यह सिलसिला और तेज हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार इसे रोकने के लिए विस्थापन अथवा पलायन से प्रभावित क्षेत्रों में क्षमता विकास तथा रोजगार सृजन की जिला आधारित नीतियां बनायी जानी चाहिए। पूर्वी क्षेत्रों से चूंकि ज्यादा पलायन हो रहा है इसलिये कौशल विकास केंद्रों की स्थापना इन्हीं इलाकों में की जानी चाहिए। रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच 20 से 29 साल आयु वर्ग के 58 लाख 34 हजार लोगों ने रोजगार के लिए दूसरे स्थानों पर पलायन किया जबकि 1991 से 2001 के बीच यह आंकड़ा 29 लाख 55 हजार था। इस तरह से पलायन का आंकड़ा लगभग दोगुना हो चुका है।
एसोचैम के अध्यक्ष संदीप जजोडिया, महासचिव डीएस रावत तथा टारी की निदेशक क्षमा वी कौशिक ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद प्रेस कांफ्रेंस में इस सुझाव पत्र को संयुक्त रूप से जारी किया। मुलाकात के दौरान मुख्यमंत्री को यह सुझाव-पत्र भेंट भी किया गया। रावत ने कहा प्रदेश से रोजगार के वास्ते पलायन रोकने के लिये कौशल विकास कार्यक्रम खासकर उन कार्यों पर केंद्रित होना चाहिये, जिनसे श्रमिकों को अपने राज्य के बाहर काम मिलता है। इनमें निर्माण, संगठित खुदरा व्यवसाय एवं परिवहन वाहन चालक शामिल हैं। एसोचैम के अध्यक्ष जजोडिया ने कहा कि उद्योग मंडल जुलाई के अंतिम सप्ताह में लखनऊ में महिला उद्यमियों का स्टैंडअप कांफ्रेंस आयोजित करेगा। मुख्यमंत्री योगी ने इसमें मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करने पर रजामंदी दी है। उन्होंने बताया कि एसोचैम ने प्रदेश की नई उद्योग नीति में सरकार के साथ सहयोग करने की इच्छा जतायी है।
यह क्षेत्र अपने कार्यबल के 66 % हिस्से को रोजगार उपलब्ध कराने के साथ-साथ कुल आय में 23 प्रतिशत का योगदान करता है। इसके बावजूद सार्वजनिक क्षेत्र में निवेश घट रहा है और ग्रामीण मूलभूत ढांचा लगातार खराब हो रहा है। माना जा रहा है कि कि उत्तर प्रदेश से पलायन को रोकने के लिए गुणवत्तापूर्ण क्षमता विकास बहुत जरूरी है। खासकर कौशल विकास का प्रशिक्षण देने वाले प्रशिक्षकों को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है। स्टार्ट अप नीति के क्रियान्वयन पर बहुत ध्यान देने की आवश्यकता है।
पत्र में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकार को औरैया एवं झांसी में एकीकृत औद्योगिक टाउन के विकास, दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र की स्थापना तथा आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे आईटी निवेश क्षेत्र बनाने पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। ये परियोजनाएं या तो प्रस्तावित हैं अथवा स्वीकृत की जा चुकी हैं। यूपी का विकास सबसे अहम् है। अब तक विकास के केवल नारे ही लगते रहे हैं लेकिन विकास कही दिखाई नहीं देता। योगी सरकार की नीति यूपी को आगे ले जाए यही उम्मीद सूबे के लोगो के मन में है। ये उम्मीद साकार हो गयी तो देश भी आगे बढ़ निकलेगा।