पिछले 3 महीने में ही 500 से ज्यादा किसानों नेअपनी जान गंवाई है। मध्यप्रदेश में फैला किसान विद्रोह सरकार की नीतियों का पोल खोलता है। लेकिन सरकार को भला इससे क्या मतलब ? किसानों को राहत देने के लिए सरकार के पास कोई उपाय नहीं है।
अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली
किसान विद्रोह जारी है। देश के कई राज्यों में किसान ना सिर्फ बेचैन हैं वल्कि आत्महत्या भी करते दिख रहे हैं। हालत ये है कि पिछले 3 महीने में ही 500 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान गंवाई है। मध्यप्रदेश में फैला किसान विद्रोह सरकार की नीतियों का पोल खोलता है। लेकिन सरकार को भला इससे क्या मतलब ? किसानों को राहत देने के लिए सरकार के पास कोई उपाय नहीं है। लेकिन देश की राजनीति को देखिये कि किसानों की कर्जमाफी को लेकर रिज़र्व बैंक कह रहा है कि अगर नुकसान की कर्ज माफ़ी की गयी तो देश को बड़ा नुकसान होगा। सरकार की नियत का पता ऐसे बयानों से चल रही है।
लेकिन कहानी इतनी भर ही नहीं है। नुकसान की कर्जमाफी से देश का बुरा हाल होगा लेकिन तमाम निजी संचार कंपनियों के कर्ज को माफ़ करने से देश को कोई नुक्सान नहीं होगा। ये बातें इसलिए कही जा रही है कि पिछले दिनों देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया की चेयरपर्सन अरुंधति भट्टाचार्य ने सरकार से कहा है कि देश की टेलीकॉम कंपनियों का बैंक कर्ज अब 4 लाख करोड़ के पार जा चुका है। भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार को इससे निपटने के लिए अब इन कंपनियों को छूट और स्पेक्ट्रम भुगतान के लिए अधिक समय देने जैसे राहत उपायों पर जोर देना चाहिए। यानी 4 लाख करोड़ के कर्ज में डूबी टेलीकॉम कंपनियों को सरकार बड़ी राहत देने के मूड में हैं। रिपोर्ट कहती है कि सरकार एजीआर यानी एडजेस्टेड ग्रॉस रेवेन्यू लाइसेंस फीस को 8 फीसदी से घटाकर 5-6 फीसदी कर सकती है।
आपको बता दें कि एयरसेल पर 23 हजार करोड़, रिलायंस कम्युनिकेशन पर 44 हजार करोड़ ,टाटा टेलिकॉम पर 30 हजार करोड़, आईडिया पर 50 हजार करोड़, भारती एयरटेल पर 1,400 करोड़ और वोडाफोन पर 870 करोड़ का सरकारी कर्ज है। ये कम्पनियां ना तो कर्ज चुका रही हैं और ना ही सरकार की लाइसेंस फी देना चाह रही हैं। अभी जो 8 फीसदी लाइसेंस फी है उसे 5 फीसदी करने की मांग पर ये कम्पनियां लगातार सरकार पर दबाव डालती रही है। माना जा रहा है कि सरकार इस दिशा में कदम उठाने जा रही है।
ऐसे में साफ़ है कि हमारे देश में किसानों को लेकर केवल राजनीति होती है। किसी भी सरकार ने किसानों को लेकर कोई उचित काम नहीं किया है। मोदी सरकार की सत्ता में वापसी किसानों की बात करके ही हुई थी।