टॉपर गणेश जिस स्कूल से पढ़ा है वो बिहार के एक बीजेपी नेता का है। बिहार टॉपर गणेश की गिरफ्तारी के बाद कई राज खुले हैं।
अखिलेश अखिल, वरिष्ठ पत्रकार/नई दिल्ली
बिहार टॉपर मामले के तार कई लोगों से जुड़ते नजर आ रहे हैं। माना जा रहा है कि इससे कई तरह के खुलासे हो सकते हैं। जानकारी मिल रही है कि टॉपर गणेश जिस स्कूल से पढ़ा है वो बिहार के एक बीजेपी नेता का है। बिहार टॉपर गणेश की गिरफ्तारी के बाद कई राज खुले हैं। गणेश ने पटना पुलिस के सामने जो बयान दिया है उससे ऐसा लग रहा है कि लालू-नीतीश गठबंधन को बदनाम करने के लिए सुनियोजित तरीके से गणेश को टॉपर बनाया गया है।
गणेश ने जो बयान दिया उससे करीब एक दर्जन लोग पुलिस के रडार पर आ गए हैं। गणेश ने बताया कि उसने जिस जगदीश इंटर कॉलेज से पढ़ाई करके टॉप किया है वह बीजेपी नेता का स्कूल है और उसका पुत्र स्कूल का प्रिंसिपल है। अब स्कूल मालिक जवाहर प्रसाद सिंह और उनके बेटे अभितेंद्र सिंह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस विभिन्न जगहों पर छापेमारी कर रही है। जवाहर प्रसाद सिंह भाजपा के नेता हैं और अभितेंद्र कॉलेज के प्रिंसिपल हैं। इस मामले में पटना पुलिस की विशेष टीम ने मुसल्लहपुर इलाके से एक अन्य आरोपी संजय कुमार को गिरफ्तार किया है।
गौरतलब है कि गिरफ्तार हुए गणेश कुमार से पटना पुलिस ने एसएसपी मनु महाराज के नेतृत्व में लंबी पूछताछ की। पूछताछ के दौरान गणेश ने स्वीकार किया कि उसने दो बार मैट्रिक और दो बार इंटर की परीक्षा दी है। पहली बार 1990 में मैट्रिक की परीक्षा गीरीडीह के एसआरएसएसआर स्कूल से और 1992 में इंटर रामलखन सिंह कॉलेज से किया। उसके बाद वो एक चिटफंड कंपनी में काम किया, जिसमें उसे 15 लाख का कर्ज हो गया। जेडीयू नेता राजीव ने बीजेपी नेता के स्कूल से गणेश की पढ़ाई की बात सामने आने पर कहा कि बीजेपी ने जानबूझकर नकल देकर या अन्य गलत तरीकों से ऐसे व्यक्ति को टॉप कराया, जिसपर बाद में सवाल उठाया जा सके और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को बदनाम किया जा सके। निश्चित रूप से ये बिहार को और नीतीश कुमार को बदनाम करने की भाजपाई साजिश है।
ऐसा हो भी सकता है या नहीं भी। लेकिन जिम्मेदारी से भी नहीं बच सकती। इस साजिश का पता लगाना और उस पर कार्रवाई करना सत्ता में होने के नाते उसी की जिम्मेदारी है। पिछले दो साल से बिहार के परीक्षा परिणाम जिस तरह से राष्ट्रीय खबर बन रही है और बिहार बदनाम हो रहा है ऐसे मे साफ है कि सरकार में बैठे लोग शिक्षा के प्रति उत्तरदायी नहीं दिखते।