बीजेपीअध्यक्ष अमित शाह अगले लोकसभा चुनाव को टारगेट करते हुए 100 दिनों की यात्रा पर निकल गए है। यह यात्रा बीजेपी के विस्तार की यात्रा है। कहने के लिए अमित शाह की यह राष्ट्रव्यापी यात्रा है लेकिन इस यात्रा का फोकस सिर्फ गैर हिंदी पट्टी है जहा आज भी बीजेपी के लिए भारी स्पेस बचा हुआ है।
विकास की तरह ही राजनीति भी एक सतत प्रक्रिया है। विकास की गति जिस तरह किसी भी लिंकेज से प्रभावित हो जाती है उसी तरह राजनीति में गैप या फिर जनता से कटने का नुक्सान पार्टी और नेता दोनों को होता है। इसलिए जिसे लम्बी राजनीति करनी है उसे जनता के बीच रहना ही होता है। बीजेपी को अभी लम्बी राजनीती करनी है और उसे 2019 का लोकसभा चुनाव भी जितना है इसलिए बीजेपी अपने विस्तार और प्रसार से चूकना नहीं चाहती। यही वजह है की पार्टी अध्यक्ष अमित शाह अगले लोकसभा चुनाव को टारगेट करते हुए 100 दिनों की यात्रा पर निकल गए है। यह यात्रा बीजेपी के विस्तार की यात्रा है। कहने के लिए अमित शाह की यह राष्ट्रव्यापी यात्रा है लेकिन इस यात्रा का फोकस सिर्फ गैर हिंदी पट्टी है जहा आज भी बीजेपी के लिए भारी स्पेस बचा हुआ है। अमित शाह इस स्पेस को भरने निकले हैं। बीजेपी को लगता है कि अगर गैर हिंदी पट्टी में बीजेपी को मन माफिक सापे मिल गया तो पार्टी के लिए अगला चुनाव बेहद आसान हो जाएगा।
अमित शाह 2019 के मिशन को लेकर पहले त्रिपुरा, पश्चिम बंगाल पहुंचे थे ,उन्हें कामयाबी भी मिली थी। अब उनकी यात्रा दक्षिण भारत की तरफ निकल रही है। शुक्रवार से तीन दिनों के लिए शाह केरल दौरे पर जा रहे हैं। दरअसल 2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बीजेपी दक्षिण भारत के उन राज्यों पर अधिक फोकस करना चाहती है जहां पिछली बार उसका प्रदर्शन कमजोर रहा था। इस कड़ी में केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना जैसे राज्य हैं। अमित शाह इन राज्यों में बीजेपी को मजबूत करने की कोशिशें कर रहे हैं। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि पिछली बार बीजेपी ने 280 से भी अधिक सीटें अधिकतर हिंदी भाषी राज्यों से जीती थीं। जानकारों के मुताबिक इस बार बीजेपी की रणनीति यह है कि यदि पार्टी को हिंदी भाषी राज्यों में सत्ता विरोधी लहर का कुछ खामियाजा भुगतना पड़ा तो वह उसकी भरपाई गैर हिंदी राज्यों में अपनी पहुंच बढ़ाकर करना चाहती है। इसीलिए अपने तीन माह के दौरे पर अमित शाह का पूरा ध्यान गैर हिंदी ऐसे राज्यों में पार्टी और संगठन को मजबूत करने का होगा जहां बीजेपी अपेक्षाकृत कमजोर स्थिति में है। केरल के बाद अमित शाह तेलंगाना और लक्षद्वीप के दौरे पर जाएंगे और उसके बाद अगस्त में आंध्र प्रदेश जाएंगे।
अब देखना होगा की अमित शाह की यात्रा पार्टी को कितनी मजबूती देती है। लेकिन एक बात तय है कि देश में पीएम मोदी और उनके इकबाल का सितारा बुलंद है। कांग्रेस में कोई ताजगी दिखाई नहीं पड़ती और अन्य विपक्षी दाल भी मोदी सरकार के इकबाल के सामने पस्त ही दिख रहे हैं।
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