आदिवासी समाज को रिझाने की कोशिश

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अमित शाह 31 मई को गुजरात के देवलिया गांव में रहने वाले आदिवासी पोपटभाई राथवा के घर पहुंचे हैं। खबर है कि अमित शाह के पहुंचने से पहले आदिवासी परिवार को हर सुख सुविधा मुहैया करवाई गई।

अखिलेश अखिल 

बीजेपी अध्यक्ष अमित शाहआज गुजरात में आदिवासी के यहाँ भोजन करने पहुंचे  हैं। गुजरात के देवलिया गाँव के आदिवासी पोपट भाई राठवा के यहाँ भोजन कर आदिवासी समाज को रिझाने की इस कोशिश को आगामी गुजरात चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। इससे पहले अमित शाह दलितों के यहाँ कई जगह भोजन कर चुके हैं।

इस बार के गुजरात चुनाव में बीजेपी की हालत पहले जैसी नहीं रही। विपक्ष की लामबंदी के साथ ही दलित नेता जिग्नेश शाह और पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने गुजरात बीजेपी के सामने भारी चुनौती पेश कर दी है। गुजरात में इस साल के अंत तक विधानसभा चुनाव होने हैं जिसमें बीजेपी की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है।

शाह और मोदी के लिए इस बार का गुजरात चुनाव जितना जरुरी है इसलिए बीजेपी की रणनीति कई स्तरों पर चल रही है। ऐसे में खबर है कि अमित शाह आज 31 मई को गुजरात के देवलिया गांव में रहने वाले आदिवासी पोपटभाई राथवा के घर पहुंचे हैं। खबर है कि अमित शाह के पहुंचने से पहले आदिवासी परिवार को हर सुख सुविधा मुहैया करवाई गई।

अंग्रेजी अखवार में छपी एक खबर के मुताविक भाजपा अध्यक्ष के आगमन से पहले राथवा के घर में नया शौचालय बनवाया गया है जिसमें सफेद सेरेमिक वाशबेसिन भी लगा है। इतना ही नहीं राथवा के घर में अमित शाह के दौरे के पहले एलपीजी सिलिंडर और स्टोव भी पहुंच गया है। अमित शाह राथवा के घर दोपहर का भोजन करने गए हैं।

राथवा के चचेरे भाई मलखाभाई राथवा ने कहा है कि “हमें अमित शाह जी के आगमन के बारे में 10 दिन पहले ही बता दिया गया था। मेहमानों के लिए टॉयलेट और वाशबेसिन बनवाने के अलावा हमने उनके लिए कुछ विशेष इंतजाम नहीं किया है।”  पोपटभाई राथवा के बेटे अतुल ने बताया है कि  “29 मई को उन्होंने (ग्राम पंचायत) शौचालय बनवाना शुरू किया और मंगलवार पूरा कर लिया…हमारे घर के पिछवाड़े में पहले से टॉयलेट है लेकिन घर के सामने मेहमानों के लिए नया टॉयलेट बनवाया गया है ताकि उनके लिए ये सुविधाजनक रहे।”

हालांकि राजनेताओं द्वारा गरीबो के यहाँ भोजन करने की परिपाटी रही है। राहुल गाँधी भी दलित और गरीबों के यहाँ भोजन करते रहें हैं। लेकिन गुजरात में अमित शाह का यह कार्यक्रम चुनावी रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है।

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