माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह तय किया गया है कि किसी दलित नेता को ही राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनाया जाय। ऐसा करने से दलितों में बीजेपी के प्रति विश्वास जागेगा और चुना में पार्टी को लाभ होगा
अखिलेश अखिल/ New Delhi
दलितों पर लगातार हो रहे हमले ने सत्ताधारी बीजेपी को सकते में डाल दिया है। ऊपरी स्तर पर दलितों पर हो रहे हमले पर बीजेपी भले ही चुप्पी साढ़े राजनीति करती दिखती हो लेकिन सच्चाई यही है कि दलितों पर हमले ने बीजेपी को अगले लोकसभा चुनाव के लिए परेशानी बढ़ा दी है।
बीजेपी के शीर्ष नेताओं को लगने लगा है कि अगर दलितों के मन में सत्ता सरकार के प्रति विश्वास और उम्मीद नहीं जगी तो पार्टी को इसका खामियाजा भुगतना पद सकता है। पिछले दिनों नागपुर में संघ प्रमुख मोहन भागवत, पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और संघ नेता भैया जी जोशी के बीच हुई गुप्त बैठक में दलितों पर हो रहे हमले पर चर्चा की बातें सामने आ रही है।
माना जा रहा है कि 2019 के लोकसभा चुनाव को देखते हुए यह तय किया गया है कि किसी दलित नेता को ही राष्ट्रपति चुनाव का उम्मीदवार बनाया जाय। ऐसा करने से दलितों में बीजेपी के प्रति विश्वास जगेगा और अगले विधानसभा चुनावों में में पार्टी को लाभ होगा। सूत्रों के मुताविक इस बात पर भी नागपुर में सहमति बानी है कि अगर दलित उम्मीदवार को लेकर कोई पेंच फंसता है तब किसी आदिवासी चेहरा को राष्ट्रपति के लिए उम्मीदवार बनाया जाय।
नागपुर में हुई बैठक इस बात के दस्तक देते हैं कि एनडीए की तरफ से दलित नेता ही राष्ट्रपति उम्मीदवार होंगे। दलित नेताओं में सबसे ऊपर मध्यप्रदेश के दलित नेता और केन्दीय मंत्री थावर चाँद गहलौत के नाम को लेकर चर्चा चल रही है। इस रेस में गहलौत सबसे आगे चल रहे हैं।
गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने सोमवार को संघ प्रमुख मोहन भागवत और भैयाजी जोशी से संघ मुख्यालय में मुलाकात की थी। ऐसा माना जा रहा है कि भागवत और जोशी चाहते हैं कि संघ की पृष्ठभूमि वाले किसी व्यक्ति को राष्ट्रपति बनाया जाए। संघ दलित या आदिवासी नेता को राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार बनाकर यह संदेश देना चाहता है कि आरएसएस कोई जातिवादी संगठन नहीं है।
69 साल के थावर चंद गहलोत मध्यप्रदेश के उज्जैन से आते हैं। गहलोत ने 80 के दशक में राजनीति शुरू की थी। वह तीन बार विधायक रहे और मध्यप्रदेश सरकार में राज्यमंत्री भी रह चुके हैं। वह 1996 से 2009 तक शाजापुर सुरक्षित सीट से लगातार चार बार सांसद चुने गए। 2009 में चुनाव हारने के बाद 2012 में मध्य प्रदेश से राज्यसभा भेजे गए।गहलौत संघ के प्रचारक भी रहें हैं। संगठन पर भी गहलौत की पकड़ है और संघ के नजदीक भी हैं।
थावर चंद गहलोत के अलावा एक और नाम झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू का भी है। अगर मुर्मू राष्ट्रपति चुनी जाती हैं तो आदिवासी समाज से आने वाली पहली महिला राष्ट्रपति होंगी। बीजेपी की सोच है की मुर्मू को उतारकर 12 फीसदी आदिवासी वोट को अपने पास कर सकती है। इसके साथ ही आदिवासी समाज की राजनीति करने वाली पार्टियां मुर्मू का विरोध भी नहीं कर सकती।