बराक ओबामा ने दक्षिण चीन सागर में तनाव कम करने के लिएकिसी भी तरह के नए निर्माण और सैन्यीकरण को तत्काल रोकने का आह्वान करते हुए दो टूक कहा है कि अमेरिका उन सभी क्षेत्रों में उड़ान भरेगा, नौकाएं चलाएगा और संचालन करेगा जहां अंतरराष्ट्रीय कानून उसे ऐसा करने की अनुमति देता है और वह ऐसा करने के सभी देशों के अधिकारों की रक्षा करेगा। खास बात यह रही कि ओबामा ने सांकेतिक भाषा का इस्तेमाल करते हुए सीधे तौर चीन का नाम कहीं नहीं लिया। ओबामा ने कैलिफोर्निया के सन्नीलैंड्स में दो दिवसीय अमेरिका-आसियान शिखर सम्मेलन के समापन पर संवाददाताओं से कहा, ‘हमने दक्षिण चीन सागर में नए निर्माण और विवादित क्षेत्रों के सैन्यीकरण को रोकने समेत ठोस कदम उठाए जाने की आवश्यकता पर चर्चा की।’
उन्होंने कहा, ‘हम अपने सहयोगियों और साझीदारों की मदद करते रहेंगे ताकि वे अपनी समुद्री क्षमताओं को मजबूत कर सकें। हमने इस बात पर चर्चा की कि क्षेत्र में दावा पेश करने वाले पक्षों के बीच किसी भी प्रकार के विवाद को किस प्रकार शांतिपूर्वक और कानूनी माध्यमों के जरिए दूर किया जाना चाहिए जिनका सम्मान एवं पालन करना सभी पक्षों के लिए बाध्यकारी है।’ओबामा और 10 आसियान नेताओं ने एक संयुक्त बयान में कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर, आसियान चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के उसूलों एवं मकसदों को दृढता से बरकरार रखते हुए सभी देशों की संप्रभुता, क्षेत्रीय अखंडता, समता एवं राजनीतिक स्वतंत्रता के लिए आपसी सम्मान होना चाहिए।’
ओबामा ने कहा, ‘नौवहन की स्वतंत्रता को बरकरार रखा जाना चाहिए और वैध वाणिज्य को बाधित नहीं किया जाना चाहिए। मैं दोहराता हूं कि अमेरिका उन सभी क्षेत्रों में उड़ान भरना, नौकाएं चलाना और संचालन करना जारी रखेगा जहां कहीं भी अंतरराष्ट्रीय कानून उसे इसकी अनुमति देता है और हम ऐसा करने के सभी देशों के अधिकारों का समर्थन करेंगे।’ उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों में उनके मुख्य संदेशों में से एक संदेश अमेरिका की आसियान एवं उसके लोगों के प्रति प्रतिबद्धता है। यह प्रतिबद्धता मजबूत एवं स्थायी है और बनी रहेगी।
ओबामा ने कहा, ‘हमारे पास एक ऐसा खाका है जो आने वाले दशकों तक हमारी रणनीतिक साझीदारी के साथ हमारे संबंधों का मार्गदर्शन करता रहेगा। हमने इस सम्मेलन में कई अहम उसूलों पर सहमति जताई है। हमने इस सिद्धांत पर सहमति व्यक्त की है कि आसियान एशिया प्रशांत में शांति, समृद्धि एवं प्रगति के लिए केंद्रीय, बल्कि अपरिहार्य भूमिका निभाता रहेगा।’ उन्होंने कहा, ‘आसियान जब एक स्पष्ट, एकजुट आवाज के साथ बात करता है, तो वह केवल आसियान के 60 करोड़ से अधिक लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि एशिया प्रशांत एवं विश्व भर के लोगों की सुरक्षा, अवसर, और मानवीय प्रतिष्ठा बढाने में मदद कर सकता है।