एक बहुत पुरानी कहावत है जो मै आज आप लोगो से सैर करने जा रहा हूँ एक बार फकीर के घर में चोर घुस आया। उस समय फकीर खिजरविया लेटे हुए थे। चोर ने सोचा घर का मालिक सोया हुआ है और वह चोरी करने के लिए सामान ढूंढने लगा, लेकिन वहां कुछ माल हाथ नहीं लगा। चोर वापस जाने लगा। यह देखकर अहमद खिजरविया ने उसे रोका और कहा- ‘ये फकीर का घर है, इस कारण यहां कोई कीमती सामान नहीं मिलेगा, लेकिन हम तुम्हें मोहब्बत तो दे ही सकते हैं। यहां बैठो और बस एक काम करो, सारी रात इबादत करो।‘ चोर ने फकीर की बात मान ली और सारी रात इबादत की।
सुबह किसी अमीर भक्त ने फकीर अहमद खिजरविया को कुछ दीनारें भेजीं। फकीर ने सभी दीनारें उस चोर को दी और कहा- ‘यह दीनारें हैं, तुम्हारी इबादत के एवज में, इन्हें रख लो।‘
यह देखकर चोर की आंखों में आंसू आ गए और वह बोला- ‘मैं उस खुदा को भूल बैठा था, जो एक रात की इबादत में इतना दे देता है।‘ चोर ने दीनारे नहीं लीं। फकीर के प्रेम से ही चोर का व्यक्तित्व पूरी तरह बदल चुका था।
हमें भी दूसरों की बुराइयों को सुधारने के लिए किसी को दंड नहीं देना चाहिए, बल्कि प्रेम का ही सहारा लेना चाहिए।
इसलिए प्रेम से किसी भी व्यक्ति के व्यक्तित्व (Personality) में भी बदलाव किया जा सकता है। हमारे अवतारों ने, संतों-महात्माओं ने, विद्वानों ने भी प्रेम पर ही सबसे ज्यादा जोर दिया है।