हिमालय में बढ़ी स्नो लाइन

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hemalउत्तराखंड से एक अच्छी खबर है की हिमालय में स्नो लाइन करीब पांच सौ मीटर आगे बढ़ गई है। यानी जिन क्षेत्रों में पहले 4500 मीटर तक की ऊंचाई पर बर्फ मिलती थी, वहां अब 4000 मीटर पर ही बर्फ की मोटी परतें बिछी हुई हैं। उत्तरकाशी और चमोली जिले में चार ग्लेशियरों का अध्ययन कर लौटे वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों की रिपोर्ट से यह सुखद खुलासा हुआ है।

वाडिया संस्थान कई वर्षों से उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में ग्लेशियरों पर जलवायु परिवर्तन के असर का अध्ययन कर रहा है। उच्च हिमालयी क्षेत्रों में संस्थान ने अपनी प्रयोगशालाएं भी बनाई हुई हैं। जहां प्रतिवर्ष हिमपात की स्थिति, ग्लेशियरों के पिघलने की दर आदि पर रिपोर्ट तैयार की जाती है। हाल में नेपाल में आए भूकंप के बाद संस्थान के वैज्ञानिकों की चार टीमें ग्लेशियरों का अध्ययन करने निकली थीं, लेकिन वे ग्लेशियरों पर तय प्वाइंट तक नहीं पहुंच सकीं।

संस्थान के हिमनद विभाग के प्रमुख डॉ. डीपी डोभाल ने बताया कि इस बार मई-जून के मौसम में भी ग्लेशियरों में बर्फ समुद्र तल से चार हजार मीटर ऊंचाई पर मिली, जबकि पिछले छह साल से सीजन में कभी भी बर्फ चार हजार पांच सौ मीटर से नीचे नहीं मिलती थी। डॉ. डोभाल ने बताया कि ग्लेशियरों पर अब भी बर्फबारी जारी है, जबकि यह बर्फ पिघलने का समय है। बताया कि भारी बर्फबारी की वजह से ग्लेशियरों की दरारों का अध्ययन नहीं हो सका, लेकिन ग्लेशियरों की मौजूदा स्थिति हिमालय के भविष्य के लिए बेहतर संकेत है।