सफेद कमीज, उसके ऊपर काली वेस्ट कोट, फिर कोट, ऊपर से एडवोकेट गाउन और टाई की जगह सफेद बैंड। यह लिबास है देश के सर्वोच्च न्यायालय से लेकर निचली अदालतों तक में प्रैक्टिस करने वाले वकीलों का। यह लिबास किसी को भी पहनना सजा से कम नहीं लगेगा। हाईकोर्ट के अधिवक्ता रवींद्र सिंह ने जनहित याचिका दाखिल कर वकीलों की इसी परेशानी को उजागर किया है। मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र में रवींद्र सिंह ने प्रार्थना की है कि पत्र को जनहित याचिका के तौर पर स्वीकार कर केंद्र सरकार तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया को गर्मी के मौसम के अनुकूल ड्रेस बनाने का निर्देश दिया जाए। अधिवक्ता का कहना है कि वकीलों द्वारा पहना जाने वाला परंपरागत परिधान ब्रिटिश शासन के दौर की देन है। आजादी के छह दशक से अधिक बीत जाने के बाद भी हम इस परंपरा को ढो रहे हैं। जबकि ब्रिटेन में ही अब यह परिधान सभी अदालतों के लिए जरूरी नहीं रह गया है। पत्र में कहा गया है कि इलाहाबाद समेत उत्तर प्रदेश के अधिकांश इलाकों में भीषण गर्मी पड़ती है। इन दिनों औसत तापमान 40 से 48 डिग्री होता है। काला रंग वैसे भी गर्मी को अधिक सोखता है जबकि अधिवक्ता के पास इस ड्रेस को पहनने के सिवाए कोई दूसरा विकल्प नहीं होता है।