बाबा बटुक भैरव की पूजा से मिलेगी तुरंत सफलता

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baTUKबटुक भैरव भगवान रूद्र के अवतार है। दस भैरवों में जहां कालभैरव को सर्वाधिक उग्र रूप माना जाता है वहीं बटुक भैरव को सबसे शांत और सौम्य स्वरूप मान कर पूजा जाता है। अघोरियों, तांत्रिकों तथा सन्यास ले चुके व्यक्तियों के लिए जहां काल भैरव की पूजा बताई गई हैं वहीं दूसरी ओर गृहस्थों के लिए बटुक भैरव की पूजा करना उपयुक्त माना गया है।

भैरव तंत्र के अनुसार जो भय से मुक्ति दिलाए उसे भैरव कहा जाता है। इनकी साधना करने से समस्त कष्टों से मुक्ति मिलती है।

साधना का मंत्र

ॐ ह्रीं वां बटुकाये क्षौं क्षौं आपदुद्धाराणाये कुरु कुरु बटुकाये ह्रीं बटुकाये स्वाहा

उक्त मंत्र की प्रतिदिन 11 माला 21 मंगल तक जप करें। मंत्र साधना के बाद अपराध-क्षमापन स्तोत्र का पाठ करें। भैरव की पूजा में श्री बटुक भैरव अष्टोत्तर शत-नामावली का पाठ भी करना चाहिए।

ऐसे करें साधना

श्री बटुक भैरव यंत्र लाकर उसे अपने पूजा स्थान पर रखें, साथ में भैरवजी का चित्र या प्रतिमा भी हो तो बेहतर होगा, दोनों को लाल वस्त्र बिछाकर उस पर रखना चाहिए। चित्र के सामने फूल, काले उड़द आदि चढ़ाकर शाम को लड्डू का भोग लगाएं।

इस साधना को किसी भी मंगलवार या अष्टमी के दिन शुरू करना चाहिए। पूजा का समय शाम 7 से 10 बजे के बीच ही रखें।