उन महिलाओं को बुढ़ापे में ये बातें ज्यादा तकलीफ देती हैं, जो तलाकशुदा या विधवा हों क्योंकि अपना अकेलापन और बच्चों का ऐसा रवैया वह किसी से बांट भी नहीं सकतीं। यदि बेटा-बहू दोनों ही जॉब करते हों तो उस समय उसे बच्चे के साथ एक पल का आराम भी नहीं मिल पाता क्योंकि तब घर का काम भी उसे करना पड़ सकता है।
यदि मां इस पर एतराज करती है तो बेटा-बहू या तो खुद घर छोड़ देते हैं या मां को छोडऩे पर मजबूर कर देते हैं । आखिर बदलते रिश्ते जन्म देने वाली मां को भीतर ही भीतर तोड़ देते हैं जबकि उन्हें उम्र की ढलती सांझ में उपेक्षित व्यवहार की नहीं, बल्कि प्यार और सहारे की जरूरत होती है ।