हैरानी की बात है कि आपदा के दौरान रुद्रप्रयाग में पीड़ित खुले आसमान के नीचे भूखे मर रहे थे तो मदद के लिए अधिकारी-कर्मचारी होटलों में मौज कर रहे थे। इनके होटलों में रहने-खाने पर ही 25 लाख 19 हजार रुपये का खर्चा दर्शाया गया है। इसमें एक व्यक्ति का नाश्ता 250 रुपये, लंच 300 रुपये और डिनर 350 रुपये यानी एक दिन की डाइट 900 रुपये प्रति व्यक्ति आई है। जबकि एक व्यक्ति के एक दिन तक होटल में ठहरने का किराया 6750 रुपये दर्शाया गया, जो किसी फाइव स्टार होटल के किराये जितना है। आयोग का कहना है कि आपदा में वहां कोई होटल तक सलामत नहीं बचा था, तो फिर ऐसे में वहां किस होटल में इतना महंगा कमरा मिला।